Sunday 3 July 2022

जांच एजेंसियों में तालमेल के अभाव से कन्हैयालाल के हत्यारों को लाभ मिल जाएगा।जिस हत्याकांड को लेकर देशभर में गुस्सा है, उसकी जांच में ऐसी लापरवाही!अजमेर बंद सफल रहा। जयपुर में महामार्च।सीएम गहलोत खुद सबसे बड़े नकारा-देवनानी।l

राजस्थान पुलिस की जांच एजेंसी एटीएस ने 2 जुलाई को जब जयपुर स्थित एनआईए की विशेष अदालत में उदयपुर के कन्हैयालाल के हत्यारे गौस मोहम्मद, रियाज अंसारी व उनके सहयोगी आफिस और मोहसिन को रिमांड के लिए पेश किया तो न्यायाधीश ने एटीएस अधिकारियों की उपस्थिति को ही दोषपूर्ण माना। न्यायाधीश का तर्क रहा कि यह कोर्ट एनआईए से जुड़े मामले ही सुनती है, इसलिए राज्य सरकार की जांच एजेंसी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं कर सकती। कोर्ट के इस तर्क के बाद एटीएस ने हत्या के प्रकरण की फाइल और आरोपियों को एनआईए के जांच अधिकारियों को सौंप दिए। इसके बाद जब केंद्र सरकार की जांच एजेंसी एनआईए के अधिकारियों ने आरोपियों को पेश कर रिमांड मांगा तो कोर्ट ने आरोपियों को 12 जुलाई तक के लिए एनआईए की कस्टडी में दे दिया। यह सही है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा और राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। गहलोत सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाते रहे हैं कि देश की जांच एजेंसियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दबाव में काम कर रही है। राजनीतिक दृष्टि से गहलोत के आरोप अपनी जगह है, लेकिन जांच एजेंसियों को यह समझना चाहिए कि उदयपुर के कन्हैयालाल टेलर की हत्या के विरोध में राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में गुस्सा है। गुस्सा कैसा है। इसका आभास एनआईए कोर्ट परिसर में कुछ उत्साही वकीलों ने करा भी दिया। एटीएस बड़ी मुश्किल से आरोपियों को बचा कर पुलिस वाहन तक लाई। 2 जुलाई को जांच एजेंसियों में जिस तरह तालमेल का अभाव है नजर आया, उससे तो हत्यारों को लाभ ही मिलेगा। भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के अनुसार हर हत्यारे को अपना बचाव करने का पूरा अवसर मिलता है। गौस मोहम्मद और रिया अंसारी ने हत्या का वीडियो पोस्ट कर भले ही अपना जुर्म कबूल कर लिया हो, लेकिन फिर भी दोनों को अपना बचाव करने का अवसर मिलेगा। देशभर के लोग चाहते हैं कि हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी हो, लेकिन यदि जांच एजेंसियों ऐसी लापरवाही करेंगी तो फिर अदालत में प्रभावी पैरवी कैसे होगी? राजस्थान पुलिस की एटीएस द्वारा मुकदमे की फाइल एनआईए को नहीं सौंपे जाने को लेकर इसलिए भी आश्चर्य है कि 29 जून को अखबारों में विज्ञापन सामग्री भेज कर सीएम अशोक गहलोत ने घोषणा कर दी थी कि मामले की जांच एनआईए कर रही है। सवाल उठता है कि जब 29 जून को ही एनआईए की जांच स्वीकार कर ली गई, तब 2 जुलाई तक फाइल को एटीएस के पास क्यों रखा गया? एक और सीएम खुद एनआईए की जांच स्वीकार कर रहे हैं तो दूसरी ओर एनआईए को फाइल नहीं दी जा रही है। यह गृह विभाग भी मुख्यमंत्री गहलोत के पास ही है। यानी राजस्थान पुलिस सीधे गहलोत के अधीन ही है। मुख्यमंत्री के नाते तो गहलोत की जिम्मेदारी है ही, साथ ही गृह विभाग का प्रचार होने के कारण गहलोत की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। जानकार सूत्रों के अनुसार कन्हैयालाल के हत्यारों के आतंकी संगठनों से भी लिंक है। पाकिस्तान और सऊदी अरब की यात्राएं करने के सबूत भी जांच एजेंसियों को मिले है। यानी हत्यारों के संपर्क सिर्फ उदयपुर और राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों तक हैं। हत्यारों का मकसद सिर्फ कन्हैयालाल की हत्या करना नहीं बल्कि देश भर में खास कर हत्या खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस की तर्ज पर की गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कृत्य राजस्थान के उदयपुर में हुआ है।
 
अजमेर बंद सफल :
3 जुलाई को जयपुर में स्टेच्यू सर्किल पर हजारों लोगों ने एकत्रित होकर उदयपुर हत्याकांड के विरोध में प्रदर्शन किया। पुलिस के अनुमान से भी ज्यादा लोग स्टैच्यू सर्किल पर एकत्रित हुए। प्रदर्शनकारियों ने हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की। वहीं तीन जुलाई को अजमेर में आधे दिन का बंद रहा। सकल हिन्दू समाज की ओर से आयोजित बंद के दौरान बाहरी क्षेत्रों में भी असर देखा गया। चाय की स्टॉलें भी सुबह नहीं खुली। हालांकि व्यापारिक एसोसिएशन दिन भर के बंद के पक्ष में थी, लेकिन युवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं को देखते हुए बंद को दोपहर 12 बजे तक ही रखा गया। समाज के प्रतिनिधि सुनील दत्त जैन ने बताया कि युवाओं को परीक्षा के दौरान कोई परेशानी न हो इसलिए सर्वसम्मति से निर्णय लेकर बंद आधे दिन का रखा गया। भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भी बंद बाजारों का दौरा कर हालातो का जायजा लिया। वहीं नवनियुक्त जिला पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट ने भी बाजारों का दौरा किया। बंद के दौरान लोगों में उदयपुर हत्याकांड के विरोध में आक्रोश भी देखा गया। सकल हिन्दू समाज की ओर से राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया।

सीएम खुद नकारा-देवनानी:
भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि सीएम अशोक गहलोत राजस्थान के सबसे नकारा मुख्यमंत्री है। देवनानी ने यह बात गहलोत के उस कथन के जवाब में कही जिसमें गहलोत ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नकारा मंत्री बताया था। गहलोत का कहना रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नकारा व्यक्ति को केंद्रीय मंत्री बना रखा है। गहलोत ने यह नाराजगी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के संदर्भ में कही। देवनानी ने कहा कि गहलोत के साढ़े तीन साल के शासन में प्रदेश की जनता को सबसे ज्यादा परेशानी हुई है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए गहलोत आए दिन विधायकों के साथ होटलों में कैद हो जाते हैं। एक विशेष वर्ग की तुष्टीकरण की नीति के कारण ही उदयपुर में हिन्दू समुदाय के कन्हैयालाल टेलर की हत्या हुई है। प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह बिगड़ी हुई है। गहलोत को नकारापन छोड़कर मुख्यमंत्री का दायित्व निभाना चाहिए।

S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2022)
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