पूर्व विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा ने अजमेर के जिला प्रमुख का पद 10 दिसंबर, 2020 को ग्रहण किया था। इन दो वर्षों में जिला प्रमुख के तौर पर पलाड़ा की सबसे बडी उपलब्धि साप्ताहिक जनसुनवाई की है। जिला परिषद का मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकार की ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं की क्रियान्विति करना होता है। ऐसे में जिला प्रमुख के पास कोई बड़े और प्रभाव अधिकार नहीं होते हैं। गांव पंचायत में सरपंच ही सर्वेसर्वा होता है, लेकिन फिर भी श्रीमती पलाड़ा ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहचान को बनाए रखा है यह दूसरा अवसर है कि श्रीमती पलाड़ा जिला प्रमुख नहीं है। पहले कार्यकाल में 10 ग्राम पंचायतों पर जिला परिषद आपके द्वार अभियान चलाया तो इस बार प्रत्येक मंगलवार को जिला परिषद के सभागार में जनसुनवाई की। श्रीमती पलाड़ा विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ उपस्थित रहती हैं और सुनवाई के दौरान ही समस्याओं का समाधान करती हैं। जिन समस्याओं के समाधान के लिए पत्र लिखने होते हैं उन्हें दर्ज भी किया जाता है। पिछले दो वर्षों में 1150 शिकायतों को दर्ज किया गया है। इनमें वे शिकायतें शामिल नहीं है जिनका मौखिक समाधान किया गया। ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले पीड़ित व्यक्ति को भी पता है कि मंगलवार की सुनवाई में समस्या का समाधान होगा। यही वजह है कि प्रत्येक मंगलवार को जिला परिषद में मेले जैसी स्थिति होती है। मंगलवार की जनसुनवाई के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि परिषद आने वालों में ग्रामीणों के साथ साथ सरपंच, प्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य भी शामिल रहते हैं। जिला परिषद के अधीन आने वाले सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहते हैं। इसलिए शिकायत के समाधान में आसानी रहती है। श्रीमती पलाड़ा का कहना है कि गरीबों और जरूरतमंदों की दुआओं और आशीर्वाद का ही परिणाम है कि वे दूसरी बार जिला प्रमुख बनी है और एक बार मसूदा की विधायक भी रहीं। ईश्वर जब तक सेवा का अवसर देता रहेगा, तब तक वे लोगों की सेवा करती रहेंगी। जिला प्रमुख को मिलने वाले वेतन को भी गरीबों पर ही खर्च किया जाता है। इस बार के कार्यकाल में उन्होंने आईटी तकनीक का भी भरपूर इस्तेमाल किया है। जब जिला परिषद से पंचायत समिति का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद होता है। पंचायत समिति मुख्यालय पर वीडियो कॉन्फ्रेंस में पीड़ित ग्रामीण भी भाग ले सकते हैं। उन्होंने जिला प्रमुख के फंड से 17 करोड़ रुपए के 850 कार्य स्वीकृत किए हैं। श्रीमती पलाड़ा ने माना कि अजमेर जिले में मनरेगा में श्रमिकों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। प्रशासन ने चार लाख ग्रामीणों को जॉब कार्ड तो जारी किए हैं, लेकिन रोजगार मुश्किल से डेढ़ लाख लोगों को ही उपलब्ध करवाया जा रहा है। चूंकि मनरेगा में कार्यों और श्रमिकों की स्वीकृति जिला प्रशासन से जारी होती है, इसलिए इस मामले में कलेक्टर का भी ध्यान आकर्षित किया गया है। यदि चार लाख लोगों को 100 दिन का रोजगार मिले तो ग्रामीणों को भी फायदा होगा। मौजूदा समय में बहुत कम ग्रामीण हैं, जिन्हें 100 दिन का रोजगार मिला है। इससे राज्य सरकार द्वारा घोषित अतिरिक्त 25 दिनों का रोजगार भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-12-2022)
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