Friday 4 May 2018

तो अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में एससी एसटी वर्ग को आरक्षण भी मिलना चाहिए। नहीं हटेगी जिन्ना की तस्वीर। पांच दिन के लिए बंद।
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उत्तर प्रदेश स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कह दिया है कि मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर छात्र संघ कार्यालय से नहीं हटेगी। छात्र संघ की घोषणा के बाद किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं कि जिन्ना की तस्वीर को हटा सके। हालांकि यूपी सरकार ने इस पूरे घटना क्रम पर अलीगढ़ प्रशासन से रिपोर्ट तब की है। लेकिन सब जानते है। कि इस यूनिवर्सिटी में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी कुछ नहीं कर पाएंगे। जब यूनिवर्सिटी परिसर में छात्र संघ के पदाधिकारी जुलूस निकाल कर जिन्ना की तस्वीर के समर्थन में सक्रिय है तो कोई सरकार क्या कर लेगी। अब जब जिन्ना की तस्वीर को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चर्चाओं में है तो संविधान इस यूनिवर्सिटी  में भी एससी एसटी और ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिल जाना चाहिए। देश की तमाम यूनिवर्सिटीज में छात्रों के प्रवेश और शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण का लाभ मिलता है, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऐसी शिक्षण संस्थाएं हैं, जहां एससी एसटी और ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। देश के विभाजन के जिम्मेदार जिन्ना के समर्थन में तर्क दिया जा रहा है कि 1936 में जिन्ना इस यूनिवर्सिटी में तंब आए थे जब देश का विभाजन नहीं हुआ था। इसलिए विभाजन से पहले की परंपरा को अभी भी निभाया जा रहा है। इसलिए यह सवाल उठा है कि इस यूनिवर्सिटी देश के संविधान के मुताबिक पिछड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए जो लोग इस यूनिवर्सिटी  में जिन्ना की तस्वीर लगाने रखने के हिमायती हैं उन्हें दलित वर्ग को आरक्षण का लाभ दिलवाना चाहिए। कोई भी यूनिवर्सिटी देश के संविधान से ऊपर नहीं हो सकती।
पांच दिन के बंद यूनिवर्सिटीः
जिन्ना की तस्वीर को लेकर यूनिवर्सिटी परिसर में जो हालात उत्पन्न हुए हैं, उसे देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पांच दिनों के लिए यूनिवर्सिटी में अवकाश घोषित कर दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूनिवर्सिटी परिसर के हालात कितने खराब हो गए हैं। 
पाकिस्तान में गांधी जी की तस्वीर क्यों नहीं?
विभाजन से पहले जिस प्रकार मोहम्मद अली जिन्ना अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और अन्य स्थानों पर आए उसी प्रकार भारत के राष्ट्रपिता माने जाने वाले महात्मा गांधी भी लाहौर इस्लामाबाद आदि में गए थे, लेकिन पाकिस्तान शायद ही कोई संस्थान होगा, जिसमें अभी तक महात्मा गांधी की तस्वीर लगा रखी हो, यदि पता चल जाए तो पाकिस्तान में महात्मा गांधी की तस्वीर हटवाने के लिए प्रदर्शन हो। पाकिस्तान का शायद ही कोई नागरिक होगा जो महात्मा गांधी की तस्वीर का समर्थक हो।

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