Sunday 25 February 2024

बेटी के विवाह में कंजर, सांसी, बंजारा, बावरिया आदि जातियों के छात्रों को विशेष मेहमान बनाया।भीलवाड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता अशोक चौहान ने प्रेरणादायक पहल की।भीलवाड़ा में अनिल मानसिंघा से आत्मीय मुलाकात भी।

भीलवाड़ा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता अशोक चौहान ने अपनी पुत्री दीक्षा का विवाह पंकज भनौद के पुत्र सचिन के साथ 24 फरवरी को किया। यूं तो इस विवाह समारोह में वीवीआईपी मेहमान थे, लेकिन अशोक चौहान की नजर में असली मेहमान सांसी, कंजर, बंजारा, बावरिया आदि जाति के छात्र रहे। छात्रावास में पढ़ने वाले इन छात्रों को मेहमान बनाकर अशोक चौहान स्वयं को गौरवान्वित समझ रहे है। चौहान का कहना रहा कि इन जातियों के बच्चे यदि मन लगाकर पढ़ रहे हैं तो यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। चौहान ने इन बच्चों को विवाह समारोह के सभी स्वादिष्ट व्यंजन खिलाएं और माला पहनाकर स्वागत भी किया। चौहान की यह पहल वाकई प्रेरणादायक है। यदि बड़े विवाह समारोह में इस तरह की पहल की जाए तो सामाजिक भेदभाव भी खत्म होगा। इस अनुकरणीय पहल के लिए मोबाइल नंबर 9829084789 पर अशोक चौहान को बधाई दी जा सकती है।
 
मानसिंघा से आत्मीय मुलाकात:
24 फरवरी को भीलवाड़ा प्रवास के दौरान मेरी मुलाकात भीलवाड़ा के विश्व विख्यात कारोबारी अनिल मानसिंघा से हुई। असल में मानसिंघा से मेरी पहचान ब्लॉग लेखन के माध्यम से हुई। 24 फरवरी से पहले तक मैं कभी भी अनिल मानसिंघा से नहीं मिला। सिर्फ फोन पर संवाद हुआ। चूंकि फोन पर भी अनिल मानसिंघा मेरे प्रति सम्मान का भाव जताते रहे, इसलिए 24 फरवरी को मैं मन से चाहता था कि मानसिंघा से मुलाकात करूं। इस मुलाकात से पहले मुझे यह भी पता नहीं था कि अनिल मानसिंघा कितने बड़े कारोबारी है, लेकिन उनके भीलवाड़ा स्थित महावीर कॉलोनी के नक्षत्र बंगले को देखकर मुझे आभास हो गया कि अनिल मानसिंघा बहुत बड़े कारोबारी हैं। लेकिन मैं उनके कारोबार से ज्यादा उनके आत्मीय व्यवहार से प्रभावित हुआ। अनिल मानसिंघा के पास यूरोप की नागरिकता है और उनका कारोबार 25 देशों में फैला हुआ है। मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को ही यूरोप दौरे पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही वे आज मुलाकात कर रहे हो, लेकिन मेरे विचारों से रोजाना ब्लॉग के माध्यम से अवगत होते हैं। चूंकि मानसिंघा का अजमेर से भी संबंध रहा है, इसलिए उन्होंने अजमेर के परंपरागत भोजन आलू प्याज की सब्जी और टिक्कड़ रोटी की चर्चा भी की। यह बात अलग है कि मानसिंघ परिवार की रसोई में लहसुन और प्याज के उपयोग की अनुमति नहीं है। शायद मेरे और उनके विचार इसलिए भी मिल रहे थे कि हमारे परिवार की रसोई में भी लहसुन और प्याज के उपयोग की अनुमति नहीं है। मैं 24 फरवरी के भीलवाड़ा दौरे को इसलिए भी सफल मानता हूं कि अनिता मानसिंघा जैसे सरल व्यक्तित्व से मुलाकात हुई। इस मुलाकात में मेरे साथ कमल पंवार और जितेंद्र पंवार भी थे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-02-2024)
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