राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र के दिग्गज नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय के भाजपा में शामिल होने के बाद पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, रिछपाल मिर्धा, रामलाल जाट, रतन देवासी आदि कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है, यह सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक रहे हैं। गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सत्ता की मलाई सबसे ज्यादा इन्हीं नेताओं को चटाई है। महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मंत्री बनाने के साथ साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य भी बनाया। इतना ही नहीं मालवीय की पत्नी रेशमा देवी को बांसवाड़ा का जिला प्रमुख भी बनाया। सवाल उठता है कि आखिर गहलोत के समर्थक ही भाजपा में शामिल क्यों हो रहे हैं? वह भी तब जब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस को मजबूत किए जाने की सख्त जरूरत है। गत विधानसभा के चुनावों में राजस्थान के 25 संसदीय क्षेत्रों में 11 में कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले। इसलिए भाजपा ने इन 11 संसदीय क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए विशेष फोकस किया है, इसके मद्देनजर मालवीय को भाजपा में शामिल करवाया गया। आदिवासी क्षेत्र के बांसवाड़ा-डूंगरपुर और जालौर-सिरोही संसदीय क्षेत्रों में मालवीय का खास प्रभाव है। भाजपा ने इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में मालवीय के दम पर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। जानकार सूत्रों की मानें तो पूर्व सीएम गहलोत चाहते तो मालवीय को भाजपा में जाने से रोक सकते थे, लेकिन गहलोत ने मालवीय को रोकने में कोई रुचि नहीं दिखाई। गहलोत के रुचि न दिखाने के कारण ही लालचंद कटारिया, रिछपाल मिर्धा, रामलाल जाट, रतनदेवासी जैसे दिग्गज कांग्रेसी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। मालूम हो कि 2020 के सियासी संकट में ये सभी नेता गहलोत के समर्थक थे। इतना ही नहीं 25 सितंबर 2022 को इन नेताओं ने गहलोत के समर्थन में विधायक पद से इस्तीफा भी दिया था। कहा जा सकता है कि इन नेताओं को कांग्रेस में मजबूत करने में गहलोत ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अब गहलोत ने इन नेताओं को खुला छोड़ दिया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को अभी तक भी संगठन में कोई दायित्व नहीं दिया है। इस वजह से गहलोत नाराज बताए जाते हैं। यही वजह है कि गहलोत ने अपने समर्थकों को खुला छोड़ दिया है। जिन कांग्रेस नेताओं ने गहलोत के शासन में सबसे ज्यादा सरकार का फायदा उठाया अब वे ही भाजपा शामिल होने को उतावले हो रहे हैं। ये नेता सरकार में रहते हुए भी गहलोत को ही अपना नेता मानते थे। शांति धारीवाल ने तो मंत्री रहते हुए सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उनके लिए अशोक गहलोत ही हाईकमान है। यह बात अलग है कि गहलोत ने जिन सचिन पायलट को गद्दार धोखेबाज और मक्कर कहा उन पायलट का एक भी समर्थक कांग्रेस नहीं छोड़ रहा है। पायलट के समर्थक विधायक और नेता अभी भी पूरी तरह कांग्रेस के साथ खड़े हैं। सूत्रों के अनुसार यदि कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को राजनीतिक दृष्टि से संतुष्ट नहीं किया तो आने वाले दिनों में गहलोत समर्थक कई नेता भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
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