देश के संविधान के अनुच्छेद 142 में मिले विशेषाधिकारों के तहत सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र शासित चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया। चीफ जस्टिस का कहना रहा कि निर्वाचन अधिकारी अनिला मसीह ने पहले आठ मत पत्रों पर गड़बड़ी के निशान लगाए और फिर उन्हें अवैध घोषित कर भाजपा के उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया। चीफ जस्टिस ने अपनी उपस्थिति में मत पत्रों की गणना करवाई और आदेश दिए कि निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए। इसमें कोई दो राय नहीं कि जस्टिस चंद्रचूड़ की यह कार्यवाही सराहनीय है। इससे लोकतंत्र और मजबूत होगा तथा चुनाव में राजनीतिक दल के प्रभाव में जो अधिकारी काम करते हैं उन्हें सबक मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में जो तत्परता दिखाई, वैसी ही अब किसान आंदोलन के संदर्भ में दिखानी चाहिए। संविधान के कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति सड़क जाम करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होती है। यहां तक की बाजार में दुकान के सामने सामान रखने वाले व्यापारी पर भी कानूनी कार्यवाही होती है। सब जानते हैं कि पिछले एक सप्ताह से किसान पंजाब, हरियाणा की सीमा पर बैठे हुए हैं। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल हयिाणा पुलिस ने पंजाब की सीमा पर रोक रखा है। हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए जो बेरिकेट्स लगाए है, उन्हें तोडऩे के लिए अब पोकलेन और जेसीबी मशीन तैनात कर दी गई है। किसानों ने साफ कहा कि यदि बेरिकेड्स नहीं हटाए गए तो पोकलेन और जेसीबी मशीनों से तोड़ दिए जाएंगे। जिन पुलिस वालों के पास डंडे हैं वे पोकलेन मशीन से कैसे मुकाबला करेंगे, यह आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। नेशनल हाइवे पर मशीनों को देखते हुए हरियाणा के डीजीपी ने पंजाब के डीजीपी को पत्र भी लिखा है। लेकिन आंदोलन के साथ ही देखा गया है कि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब की पुलिस किसानों के साथ नजर आ रही है, इसलिए हाईवे पर पोकलेन और जेसीबी मशीन लाने से नहीं रोका गया। जेसीबी मशीन लेकर खड़े हैं, वहीं हरियाणा की सीमा पर पुलिस बेरिकेड्स लगाकर खड़ी है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना चाहते हैं। किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच लगातार टकराव हो रहा है। दो राज्यों की सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। उसमें सुप्रीम कोर्ट को दखल देना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मेयर चुनाव में चुनाव आयोग के अधिकार अपने हाथ में लिए उसी प्रकार किसान आंदोलन में भी सुप्रीम कोर्ट को अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करना चाहिए। किसान आंदोलन की वजह से प्रतिदिन करोड़ों लोगों को परेशानी हो रही है। यदि हिंसक झड़प होती है तो भारी नुकसान होगा। चूंकि हमारे देश में लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ सुप्रीम कोर्ट है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का दखल देना चाहिए। यह सही है कि किसानों की मांगों पर सरकार को निर्णय लेना है, लेकिन जब कानून व्यवस्था बिगड़ने के हालात उत्पन्न हो तो सुप्रीम कोर्ट भी अपने स्तर पर दखल दे सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (21-02-2024)
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