राजस्थान में 90 शहरी निकायों के चुनाव के परिणाम 31 जनवरी को घोषित हो गए। इन 90 निकायों में 3 हजार 34 वार्डों में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला हुआ। इसमें से कांग्रेस को 1194 वार्डों में सफलता मिली, जबकि 1 हजार 836 वार्डों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के खाते में 1146 तथा निर्दलीयों के खाते में 631 वार्ड दर्ज किए गए। एनसीपी ने 46 व आरएलपी ने 13 वार्डों में जीत दर्ज की है। भाजपा को 24 और कांग्रेस को 19 निकायों में स्पष्ट बहुमत मिला है। 90 निकायों के चुनाव परिणाम को देखा जाए तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति कमजोर रही है। यह तब हुआ है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही कांग्रेस के कर्ताधर्ता है। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा वो ही ही करते हैं जो अशोक गहलोत चाहते हैं। सचिन पायलट के 6 वर्ष तक प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहते हुए कांग्रेस का जो मजबूत ढांचा तैयार किया गया वह अब खुर्दबुर्द हो चुका है। कांग्रेस की राजनीति में गहलोत को चाणक्य माना जाता है। चाहें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना हो या फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के हमलों से श्रीमती सोनिया गांधी को बचाना हो, सभी मामलों गहलोत की रणनीति को महत्व दिया जाता है। मई में होने वाले केरल विधानसभा चुनाव में भी गहलोत वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है। केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से ही राहुल गांधी सांसद हैं। इससे अशोक गहलोत की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन 90 निकायों के परिणाम बताते हैं कि अशोक गहलोत अपने प्रदेश में ही कांग्रेस को चुनाव नहीं जीतवा पा रहे हैं। गहलोत किस तरह सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक तक को मूली गाजर की तरह उखाड़ कर फेंक दिया जाता है, इसलिए अब माना जा रहा है कि 90 निकायों में प्रशासनिक मशीनरी का इस्तेमाल कर कांग्रेस के बोर्ड बनवा लिए जाएंगे। इसमें निर्दलीयों की भूमिका अहम होगी। यदि जनता के बीच गहलोत और डोटासरा की कांग्रेस की छवि अच्छी होती तो 3 हजार 34 वार्डों में से एक 836 वार्डों में कांग्रेस की हार नहीं होती, जबकि निकाय चुनावों में इन दोनों नेताओं ने पूरी ताकत लगा दी थी। सब जानते हैं कि सीएम गहलोत राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया को दोयम दर्जे का नेता कहते रहे हैं। पूनिया को जब प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया, तब भी गहलोत ने कहा कि मेरी सरकार गिराने का टास्क पूनिया को दिया गया है। कांग्रेस में जब सचिन पायलट ने बगावत की, तब भी गहलोत ने पूनिया की साजिश बताया। लेकिन उन्हीं दोयम दर्जे के नेता सतीश पूनिया की रणनीति से राजस्थान में अशोक गहलोत की कांग्रेस की लगातार हार हो रही है। हाल ही में संपन्न पंचायतीराज के चुनावों में भी कांगे्रस की हार हुई है। 90 निकायों के परिणाम बताते हैं कि कांगे्रस सरकार की उपलब्धियों के लाख दावों के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस की हार हो रही है। अशोक गहलोत भले ही सतीश पूनिया को दोयम दर्जे का नेता कहें, लेकिन पूनिया ही अपनी टीम के साथ भाजपा को लगातार बढ़त दिलवा रहे हैं। पूनिया का हर जीत पर कहना होता है कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की जीत है। पूनिया जीत का श्रेय हमेशा प्रधानमंत्री मोदी को ही दे रहे हैं।
वसुंधरा के लिए भी सबक:
90 निकायों के परिणाम भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के लिए भी राजनीतिक सबक हैं। सब जानते हैं कि मौजूदा समय में राजे भाजपा में सक्रिय नहीं है। उल्टे कई मौकों पर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि वसुंधरा राजे भाजपा से नाराज हैं। निकाय चुनाव के दौरान ही मीडिया में खबरें प्रयोजित करवाई गई कि अब वसुंधरा राजे भाजपा से अलग हट कर राजनीति करेंगी। टीम वसुंधरा के जिलाध्यक्षों के नाम भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिए गए। टीम वसुंधरा की खबरों के बाद कांग्रेस के नेताओं ने भी भाजपा पर हमला बोला। कांग्रेस के हमले के बाद भी वसुंधरा राजे की ओर से टीम वसुंधरा पर कोई सफाई नहीं दी गई। जबकि वसुंधरा राजे को भी पता था कि ऐसी खबरों से भाजपा को नुकसान होगा। लेकिन अब 90 निकायों के परिणाम बताते हैं कि वसुंधरा के बगैर भी भाजपा की स्थिति मजबूत है। भले ही वसुंधरा सक्रिय न हों, लेकिन भाजपा प्रदेश में लगातार मजबूत हो रही है।
मंत्रियों के घरों में स्थिति खराब:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ की नगर पालिका के 40 वार्डों में से सिर्फ 14 वार्डों में ही कांगे्रस के उम्मीदवार चुनाव जीत पाएं हैं। इससे डोटासरा के घर में ही उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात अलग है कि अब 12 निर्दलीयों की मदद से डोटासरा लक्ष्मणगढ़ में कांग्रेस का बोर्ड बनवा लें। लेकिन लक्ष्मणगढ़ की नजता ने तो अपनी राय डोटासरा के खिलाफ ही दी है। इसी प्रकार सर्वाधिक चर्चित चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में नगर पालिका के 40 वार्डों में से 21 में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीतवा सकें हैं, लेकिन यदि वोट की गणना की जाए तो ज्यादा वोट कांग्रेस के खिलाफ डले हैं। केकड़ी में 26 हजार 444 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, इसमें से 12 हजार 422 वोट ही कांग्रेस को मिले हैं। यानि 14 हजार 22 वोट रघु शर्मा के खिलाफ हैं। यानि विरोध के मत ज्यादा हैं। सब जानते हैं कि केकड़ी में चुनाव जीतने के लिए रघु शर्मा ने पूरी ताकत लगा दी थी। चुनाव के दौरान ही 16 भाजपा कार्यकर्ताओं पर राजकज में बाधा का मुकदमा दर्ज हुआ। पूरे प्रचार के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रही। यह मुकदमा भी रघु शर्मा के अधीन आने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने करवाया। मतदान से पहले पांच दिनों तक रघु शर्मा केकड़ी में ही डेरा जमाए बैठे रहे। केकड़ी में किस वातावरण में मतदान हुआ, यह केकड़ी के लोग ही बता सकते हैं। इतने तौर तरीकों के बाद भी विरोध वाले वोटों की संख्या ज्यादा है।
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की देशनोक नगर पालिका के 25 वार्डों में से कांग्रेस को 11 भाजपा को 10 तथा निर्दलीयों को 3 वार्डों में जीत मिली है। वन मंत्री सुखराम विश्नोई की सांचौर नगर पालिका के 35 वार्डों में से भाजपा और कांग्रेस को 16-16 वार्डों में जीत मिली है, जबकि 3 वार्डाे में निर्दलीय जीते हैं। अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद की पोखरण नगर पालिका के 25 वार्डों में से 10 मे भाजपा 9 में कांग्रेस तथा 6 में निर्दलीय जीते हैं। खेल मंत्री अशोक चांदना की नैनवां नगर पालिका में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। इससे अशोक गहलोत के मंत्रियों की स्थिति का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
वसुंधरा के लिए भी सबक:
90 निकायों के परिणाम भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के लिए भी राजनीतिक सबक हैं। सब जानते हैं कि मौजूदा समय में राजे भाजपा में सक्रिय नहीं है। उल्टे कई मौकों पर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि वसुंधरा राजे भाजपा से नाराज हैं। निकाय चुनाव के दौरान ही मीडिया में खबरें प्रयोजित करवाई गई कि अब वसुंधरा राजे भाजपा से अलग हट कर राजनीति करेंगी। टीम वसुंधरा के जिलाध्यक्षों के नाम भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिए गए। टीम वसुंधरा की खबरों के बाद कांग्रेस के नेताओं ने भी भाजपा पर हमला बोला। कांग्रेस के हमले के बाद भी वसुंधरा राजे की ओर से टीम वसुंधरा पर कोई सफाई नहीं दी गई। जबकि वसुंधरा राजे को भी पता था कि ऐसी खबरों से भाजपा को नुकसान होगा। लेकिन अब 90 निकायों के परिणाम बताते हैं कि वसुंधरा के बगैर भी भाजपा की स्थिति मजबूत है। भले ही वसुंधरा सक्रिय न हों, लेकिन भाजपा प्रदेश में लगातार मजबूत हो रही है।
मंत्रियों के घरों में स्थिति खराब:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ की नगर पालिका के 40 वार्डों में से सिर्फ 14 वार्डों में ही कांगे्रस के उम्मीदवार चुनाव जीत पाएं हैं। इससे डोटासरा के घर में ही उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात अलग है कि अब 12 निर्दलीयों की मदद से डोटासरा लक्ष्मणगढ़ में कांग्रेस का बोर्ड बनवा लें। लेकिन लक्ष्मणगढ़ की नजता ने तो अपनी राय डोटासरा के खिलाफ ही दी है। इसी प्रकार सर्वाधिक चर्चित चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में नगर पालिका के 40 वार्डों में से 21 में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीतवा सकें हैं, लेकिन यदि वोट की गणना की जाए तो ज्यादा वोट कांग्रेस के खिलाफ डले हैं। केकड़ी में 26 हजार 444 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, इसमें से 12 हजार 422 वोट ही कांग्रेस को मिले हैं। यानि 14 हजार 22 वोट रघु शर्मा के खिलाफ हैं। यानि विरोध के मत ज्यादा हैं। सब जानते हैं कि केकड़ी में चुनाव जीतने के लिए रघु शर्मा ने पूरी ताकत लगा दी थी। चुनाव के दौरान ही 16 भाजपा कार्यकर्ताओं पर राजकज में बाधा का मुकदमा दर्ज हुआ। पूरे प्रचार के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रही। यह मुकदमा भी रघु शर्मा के अधीन आने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने करवाया। मतदान से पहले पांच दिनों तक रघु शर्मा केकड़ी में ही डेरा जमाए बैठे रहे। केकड़ी में किस वातावरण में मतदान हुआ, यह केकड़ी के लोग ही बता सकते हैं। इतने तौर तरीकों के बाद भी विरोध वाले वोटों की संख्या ज्यादा है।
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की देशनोक नगर पालिका के 25 वार्डों में से कांग्रेस को 11 भाजपा को 10 तथा निर्दलीयों को 3 वार्डों में जीत मिली है। वन मंत्री सुखराम विश्नोई की सांचौर नगर पालिका के 35 वार्डों में से भाजपा और कांग्रेस को 16-16 वार्डों में जीत मिली है, जबकि 3 वार्डाे में निर्दलीय जीते हैं। अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद की पोखरण नगर पालिका के 25 वार्डों में से 10 मे भाजपा 9 में कांग्रेस तथा 6 में निर्दलीय जीते हैं। खेल मंत्री अशोक चांदना की नैनवां नगर पालिका में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। इससे अशोक गहलोत के मंत्रियों की स्थिति का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-02-2021)
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