राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया 22 फरवरी को दिन भर दिल्ली में रहे। जानकार सूत्रों के अनुसार पूनिया ने प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालातों पर राष्ट्रीय नेताओं से चर्चा की। ऐसे सभी राष्ट्रीय नेता राजस्थान की राजनीति से जुड़े हुए हैं। पूनिया ने नेताओं का मार्ग दर्शन भी प्राप्त किया। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक 20 विधायकों ने हाल ही में जो पत्र लिखा है उसको लेकर भी राष्ट्रीय नेताओं के साथ चर्चा हुई। पूनिया का कहना रहा कि विधानसभा में जनहित के मुद्दे उठाने को लेकर विधायकों का उन्हें कोई पत्र नहीं मिला, लेकिन अखबारों में खबरें छप गई है। जिन विधायकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, वे पुष्टि भी कर रहे हैं। राष्ट्रीय नेताओं ने पत्र लिखने के मामले को उचित नहीं माना है। इससे पहले 21 फरवरी को दिल्ली में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के जुझारू अंदाज़ की प्रशंसा की। प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय जेपी नड्डा की उपस्थिति में पीएम ने कहा कि सतीश पूनिया कोरोना काल में दो बार संक्रमित हुए। लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दोनों बार कोरोना को मात दी। घर पर क्वारंटीन रहते हुए ही वर्चुअल तकनीक से संगठन का काम किया। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी पंचायतीराज के चुनाव में भाजपा की जीत हुई है तथा निकाय चुनावों के परिणाम उल्लेखनीय रहे हैं। इसी बातचीत के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि राजस्थान में भाजपा संगठन अच्छा कार्य कर रहा है। लंच अवकाश में पीएम मोदी काफी समय तक पूनिया के साथ खड़े रहे। इस मौके पर पूनिया ने प्रधानमंत्री से कहा कि हम तो आपसे प्रेरणा लेते हैं। आप चौबीस घंटे काम करते नजर आते हैं। आपके नेतृत्व में ही देश विकास कर रहा है। देश की जनता का भरोसा आप पर है। यहां यह उल्लेखनीय है कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नाते पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी भाग लिया। लंव अवकाश में पीएम मोदी और राजे का आमना सामना भी हुआ। लेकिन सतीश पूनिया की तरह राजे से कोई संवाद नहीं हो सका। फोटो में राजे पीएम के सामने हैं, तो पूनिया चाय का काप लेकर पीएम के बगल में खड़े हैं। दोनों फोटो से मुलाकात का अंदाजा लगाया जा सकता है। पीएम के साथ राजे और पूनिया के फोटो मेरे फेसबुक पर www.facebook.com/SPMittalblog पर देखी जा सकते हैं।
पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकला:
22 जनवरी को केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है। मुख्यमंत्री वी नारायण सामी ने विधानसभा में बहुमत साबित किए बगैर ही उप राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। हालांकि इस्तीफ़े से पहले मुख्यमंत्री ने सरकार को अल्पमत में लाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सामी का कहना रहा कि पुदुचेरी में तमिल और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है, लेकिन केन्द्र सरकार हिन्दी भाषा थोपना चाहती है। उप राज्यपाल ने सामी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। 33 सदस्यों के सदन में 7 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया। मौजूदा समय में सदन की संख्या 26 सदस्यों की है, लेकिन मुख्यमंत्री सामी 14 विधायकों का जुगाड़ नहीं कर सके। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि अप्रैल मई में तमिलनाडु में भी चुनाव हो रहे हैं और यहां कांग्रेस डीएमके मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पुदुचेरी में कांग्रेस की सरकार को गिरवाने में डीएमके और कांग्रेस के विधायकों की भूमिका रही। मुख्यमंत्री नारायण सामी के रवैये से नाराज होकर कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया। पुदुचेरी के हाथ से निकल जाने के बाद कांग्रेस के पास अब पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारें हैं, जबकि महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल हैं। राजस्थान में गत वर्ष कांग्रेस में बगावत हो चुकी है। कांग्रेस के 19 विधायक एक माह तक दिल्ली में रहे। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने की साजिश भाजपा कर रही है। मौजूदा समय में भी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट किसान पंचायतें कर अपना शक्ति प्रदर्शन लगातार कर रहे हैं। 19 फरवरी को भी एक महापंचायत में पायलट के साथ कांग्रेस के 15 विधायक उपस्थित रहे। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के लिए यह खुश खबर है कि भाजपा में भी गुटबाज़ी नजर आती है। इस गुटबाज़ी को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की शह माना जा रहा है। भाजपा की गुटबाज़ी का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिलता है।
पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकला:
22 जनवरी को केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है। मुख्यमंत्री वी नारायण सामी ने विधानसभा में बहुमत साबित किए बगैर ही उप राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। हालांकि इस्तीफ़े से पहले मुख्यमंत्री ने सरकार को अल्पमत में लाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सामी का कहना रहा कि पुदुचेरी में तमिल और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है, लेकिन केन्द्र सरकार हिन्दी भाषा थोपना चाहती है। उप राज्यपाल ने सामी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। 33 सदस्यों के सदन में 7 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया। मौजूदा समय में सदन की संख्या 26 सदस्यों की है, लेकिन मुख्यमंत्री सामी 14 विधायकों का जुगाड़ नहीं कर सके। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि अप्रैल मई में तमिलनाडु में भी चुनाव हो रहे हैं और यहां कांग्रेस डीएमके मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पुदुचेरी में कांग्रेस की सरकार को गिरवाने में डीएमके और कांग्रेस के विधायकों की भूमिका रही। मुख्यमंत्री नारायण सामी के रवैये से नाराज होकर कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया। पुदुचेरी के हाथ से निकल जाने के बाद कांग्रेस के पास अब पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारें हैं, जबकि महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल हैं। राजस्थान में गत वर्ष कांग्रेस में बगावत हो चुकी है। कांग्रेस के 19 विधायक एक माह तक दिल्ली में रहे। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने की साजिश भाजपा कर रही है। मौजूदा समय में भी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट किसान पंचायतें कर अपना शक्ति प्रदर्शन लगातार कर रहे हैं। 19 फरवरी को भी एक महापंचायत में पायलट के साथ कांग्रेस के 15 विधायक उपस्थित रहे। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के लिए यह खुश खबर है कि भाजपा में भी गुटबाज़ी नजर आती है। इस गुटबाज़ी को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की शह माना जा रहा है। भाजपा की गुटबाज़ी का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिलता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-02-2021)
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