Thursday, 1 May 2025
जातिगत जनगणना की घोषणा के साथ ही आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को बढ़ाने का रास्ता भी खुला। एससी एसटी और ओबीसी वर्ग की कमजोर व पिछड़ी जातियां आगे आएंगी। दबंग जातियों को लगेगा धक्का। मुसलमानों की पिछड़ी जातियां भी सामने आएगी।
30 अप्रैल को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने घोषणा की कि आगामी जनगणना जाति आधारित होगी। यानी अब जनगणना में व्यक्ति की जाति भी लिखी जाएगी। जाति आधारित जनगणना की मांग कांग्रेस सहित विपक्षी दल कर रहे थे। विपक्ष के खासकर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का कहना था कि मौजूदा समय में सरकारी नौकरियों में पचास प्रतिशत की सीमा निर्धारित कर रखी है, उससे पिछड़ी जातियों को नुकसान हो रहा है। देश में ओबीसी और अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है। लेकिन उन्हें मात्र पचास प्रतिशत ही आरक्षण मिल रहा है। जिन जातियों की संख्या कम है, उन्हें भी पचास प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। राहुल गांधी का तर्क है कि जब जाति आधारित जनगणना होगी तो फिर आरक्षण की पचास प्रतिशत की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। आबादी के हिसाब से सरकार को आरक्षण देना ही पड़ेगा। अब जब सरकार ने जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर दी है, तब आरक्षण की पचास प्रतिशत की सीमा बढ़ाने का रास्ता भी साफ हो गया है। देश में ऐसे कई राज्य है, जिन्होंने अति पिछड़ी जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल कर आरक्षण को 65 प्रतिशत तक कर दियाहै। स्वाभाविक है कि जब देशभर में जातिगत जनगणना होगी तो पिछड़ी जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। जानकारों की मानें तो जातिगत जनगणना का फायदा उन पिछड़ी जातियों के लोगों को भी मिलेगा जो अभी तक आरक्षण से वंचित है। एससी एसटी और ओबीसी वर्ग में कुछ दबंग जातियां ही आरक्षण का लाभ ले रही है। अब जब इन वर्गों की सभी जातियों के आंकड़े सामने आएंगे तो फिर उन जातियों के लोगों को पहले नौकरी मिलेगी जो अभी तक वंचित है। कोटे में कोटा देने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति जताई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार ने पिछड़ी जातियों के लोगों को मुख्ध्याारा में लाने के लिए बड़ा फैसला किया है।
मुसलमानों की स्थिति भी सामने आएगी:
जातिगत जनगणना से मुसलमानों की जातियां भी सामने आएगी। मुसलमानों में भी बड़ी संख्या में लोग पिछड़ी जाति के है। जिन्हें पसमांदा कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार पसमांदा मुसलमानों की वकालत कर चुके हैं। वक्फ के नए कानून में पिछड़ी जाति के मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया है। अब जब मुसलमानों की भी जातिगत जनगणना होगी तो पिछड़ी जाति के मुसलमानों के आंकड़े भी सामने आएंगे। इससे उन उच्च जाति के मुसलमानों को धक्का लगेगा जो अभी तक मुसलमानों के ठेकेदार बने हुए हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-05-2025)
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