Monday 17 October 2022

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य नरेश सालेचा को गौरव सम्मान से नवाजा गया।जैन धर्म के प्रति समर्पित व्यक्ति को ही यह सम्मान दिया जाता है।चूरू के छापर में तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में हुआ भव्य समारोह।

जैन धर्म से जुड़े तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में 15 अक्टूबर को राजस्थान के चूरू के निकट छापर में एक भव्य धार्मिक समारोह हुआ। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित इस समारोह में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य (तकनीकी) और रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेश सालेचा को गौरव सम्मान से नवाजा गया। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि राजकीय सेवा में रहते हुए भी सालेचा ने जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन किया है। फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन पारख और महामंत्री हिम्मत मांडोत ने बताया कि गौरव सम्मान एक वर्ष में सिर्फ एक व्यक्ति को ही दिया जाता है। सालेचा को यह सम्मान वर्ष 2021 के लिए दिया गया है। समारोह में अपने सम्मान के लिए आचार्य महाश्रमण और फोरम का आभार जताते हुए नरेश सालेचा ने कहा कि राजकीय सेवा में रहते हुए जब कभी मैंने दबाव और तनाव महसूस किया तब  तेरापंथ  के अणुव्रत सिद्धांतों का स्मरण किया। मेरे लिए पुरस्कार पाने से बड़ा कार्य गुरुदेव महाश्रमण का सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त करना है। मेरे जीवन की इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती कि मेरा सम्मान आचार्य महाश्रमण के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म ही हमें अहिंसा, सामाजिक समरसता और नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। जो व्यक्ति  तेरापंथ के अणुव्रत सिद्धांतों का पालन करता है उसके जीवन में कभी भी कठिनाई नहीं होती। सालेचा ने बताया कि उनके पिता भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे। उन्होंने अपने जीवन काल में मृत्यु के बाद देहदान को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया। 2007 में जब माताजी का निधन हुआ तब राजस्थान में पहली बार किसी महिला का शव मेडिकल विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। 2008 में दादी जी की देह भी दान की गई। इसी प्रकार 2018 में जब पिता का निधन हुआ, तो उनकी इच्छा के अनुरूप ही शव को जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में दिया गया। सालेचा ने बताया कि उनके पिता ने जैन धर्म पर पीएचडी की। वे जैन धर्म की संथरा परंपरा पर डीलेट करना चाहते थे, लेकिन अध्ययन पूरा होने से पहले ही पिता का निधन हो गया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं डीलेट के  अणुव्रत  के सिद्धांतों का पालन करते हैं, इसलिए उनका जीवन बेहद सरल बना हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि नरेश सालेचा पूर्व में अजमेर रेल मंडल के डीआरएम भी रहे। अजमेर से उनका स्थानांतरण रेलवे बोर्ड में ही हुआ। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-10-2022)
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