Friday 28 October 2022

गहलोत साहब! जब प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है, तब आपकी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की क्रियान्विति का अंदाजा लगाया जा सकता है।आखिर एसएमएस अस्पताल के सच को सीएम अशोक गहलोत ने एक वर्ष तक क्यों छिपाए रखा?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 27 अक्टूबर को प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य से सीधा संवाद किया। इन प्राचार्य के अधीन ही बड़े सरकारी अस्पताल संचालित होते हैं। इस संवाद में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी भी उपस्थित रहे। सीएम गहलोत ने स्पष्ट कहा कि प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है। गरीब आदमी का प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना मुश्किल है। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा है, जिन मरीजों के पास कोई हेल्थ पॉलिसी नहीं है, उन्हें तो घर का सोना चांदी, मकान, जायदाद आदि बेच कर इलाज करवाना पड़ता है। गरीब और मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान भर में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है। एक परिवार में जितने भी सदस्य हो, लेकिन इस योजना में वार्षिक प्रीमियम मात्र 850 रुपए रखा गया है। बीपीएल कार्ड धारकों से तो प्रीमियम राशि भी नहीं ली जाती है। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश परिवारों ने मुख्यमंत्री की हेल्थ पॉलिसी ले रखी है। सीएम गहलोत अपनी इस हेल्थ पॉलिसी को बहुत सफल मानते हैं, इसलिए इस पॉलिसी को देशभर में लागू करने की मांग बार बार प्रधानमंत्री से करते है। सीएम गहलोत का दावा है कि उनकी इस हेल्थ पॉलिसी में दस लाख रुपए तक का फ्री इलाज प्राइवेट अस्पतालों में हो रहा है। यानी सीएम की हेल्थ पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति जयपुर के फोर्टिस, सोनी, संतोकबा दुर्लभ जी, इटर्नल, बिड़ला सहित अजमेर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि के प्राइवेट अस्पतालों में 10 लाख रुपए तक का इलाज फ्री करवा सकता है। इलाज का पैसा मरीज से नहीं सरकार से लिया जाएगा। सीएम गहलोत के इस दावे की पोल अब 27 अक्टूबर वाला उनका बयान ही खोल रहा है। सवाल उठता है कि जब प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को लूट रहे हैं, तब चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी में मरीज का इलाज मुफ्त में कैसे हो सकता है। जिन प्राइवेट अस्पतालों में मरीज को प्राथमिक तौर पर देखने के लिए एक हजार रुपए तक शुल्क लिया जाता है, वही अस्पताल चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी में मात्र 135 रुपए के निर्धारित शुल्क में कैसे मरीज को देख सकता है? सीएम गहलोत की पॉलिसी में मरीज को भर्ती करने पर प्रतिदिन एक-दो हजार रुपए का शुल्क निर्धारित कर रखा है। जबकि प्राइवेट अस्पताल वाले तो भर्ती मरीज का एक दिन का भर्ती शुल्क 20 हजार रुपए तक वसूलते हैं। प्राइवेट रूम के ही 8 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लिए जाते हैं। सीएम गहलोत ने सही कहा कि प्राइवेट अस्पताल वालों ने लूट मचा रखी है। क्योंकि जो दवाई बाजार में 100 रुपए की उपलब्ध है, उसकी कीमत इन अस्पतालों में 500 रुपए से भी ज्यादा की वसूली जाती है। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी धारक को प्राइवेट अस्पतालों के चौकीदार ही घुसने नहीं देते है, जब कभी किसी दबाव में इस पॉलिसी धारक मरीज को भर्ती कर लिया जाता है तो उस मरीज के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। सीएम गहलोत अपनी हेल्थ पॉलिसी का चाहे जितना ढिंढोरा पीट ले, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में इस पॉलिसी का कोई महत्व नहीं है। सरकार इस पॉलिसी के नाम पर संबंधित कंपनी को जो करोड़ों रुपए का भुगतान कर रही है, उसका लाभ आम मरीज को नहीं मिल रहा है। जो प्राइवेट अस्पताल इस पॉलिसी में मानवीय दृष्टिकोण अपना कर इलाज कर रहे हैं उन अस्पतालों ने भी पूछा है कि सरकार के खजाने से समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। बकाया राशि का भुगतान नहीं होने पर अनेक अस्पतालों में इलाज करना बंद कर दिया है। अच्छा हो कि सीएम गहलोत अपनी हेल्थ पॉलिसी की प्रभावी क्रियान्विति के लिए ठोस कदम उठाए। जहां तक सरकारी अस्पतालों का सवाल है तो सीएम गहलोत ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि अस्पतालों में सफाई तक नहीं हो रही है। सीएम ने कहा कि जब वे अपने हार्ट की एंजियोप्लास्टी के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती हुए थे, तब अस्पताल परिसर में जगह जगह गंदगी फैली हुई थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम की एंजियोप्लास्टी कोई साल भर पहले हुई थी। यानी सरकारी अस्पतालों में गंदगी होने की सच्चाई को गहलोत ने एक वर्ष तक छुपाए रखा। सब जानते हैं कि सरकारी अस्पतालों के वार्ड तो गंदे रहते ही है, साथ ही शौचालय बदबू से भरे होते हैं। शौचालय तक की खिड़कियां टूटी होती है। अब जब स्वयं मुख्यमंत्री ने सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की सच्चाई स्वीकार कर ली है, तब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में सुधार होगा। सीएम गहलोत ने आम आदमी की भावनाओं को समझ लिया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2022)
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