Sunday 16 October 2022

मार्टिंडल ब्रिज से पुरानी आरपीएससी का सफर मात्र चार मिनट का हुआ।एलिवेटेड रोड के शुरू होने से अजमेर वासियों का सपना साकार।बाजारों में पटाखा बिक्री के लाइसेंस नहीं देने थे तो ढाई सौ लोगों से आवेदन क्यों मांगे गए?

16 अक्टूबर 2022 का दिन अजमेर वासियों के लिए सौगात लेकर आया है, जिस एलिवेटेड रोड का अजमेर वासी वर्षों से इंतजार कर रहे थे, उस रोड पर मार्टिंडल ब्रिज से लेकर पुरानी आरपीएससी भवन तक यातायात शुरू हो गया है। 16 अक्टूबर को जिन दुपहिया चालकों ने अपना वाहन रोड पर दौड़ाया उनका कहना रहा कि 2.6 किलोमीटर का सफर मात्र 4 मिनट पूरा हो गया है। कार जीप आदि चालकों का सफर तो चार मिनट से भी कम का रहा। जमीन से ऊपर सीमेंट कांक्रीट के पिलरों पर बना यह एलिवेटेड रोड अभी अधूरा है। मार्टिंडल ब्रिज से गांधी भवन चौराहे से एक भुजा सोनी जी की नसिया तक जा रही है, अभी इस भुजा पर काम अधूरा है। प्रशासन ने लोगों की असुविधा को देखते हुए फिलहाल मार्टिंडल ब्रिज से गांधी भवन चौराहा होते हुए कचहरी रोड वाली भुजा पर यातायात शुरू कर दिया है। क्योंकि इस भुजा पर बिजली के खंभे नहीं लगे हैं, इसलिए यातायात का समय प्रात: 6 बजे से सायं 6 बजे तक का रखा गया है। प्रशासन का प्रयास है कि दीपावली से पहले पुरानी आरपीएससी भवन की ओर से भी मार्टिंडल ब्रिज तक यातायात शुरू कर दिया जाए। लेकिन जब पीआर मार्ग वाली भुजा पर यातायात शुरू होगा, तब पुराने आरपीएससी भवन से यातायात को रोक दिया जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के लोग पिछले कई वर्षों से एलिवेटेड रोड निर्माण की वजह से बहुत ज्यादा परेशान थे। सात जुलाई 2018 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलिवेटेड रोड का शिलान्यास किया तभी से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मार्टिंडल ब्रिज से आने वाले वाहनों को पड़ाव के भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से गुजर कर गांधी भवन तक पहुंचना पड़ता था। इसमें एक घंटा भी लग रहा था। एलिवेटेड रोड की वजह से आए दिन जाम की स्थिति हो रही थी। लेकिन 16 अक्टूबर को यह सुखद अहसास रहा कि मार्टिंडल ब्रिज से लेकर पुरानी आरपीएससी भवन तक का सफर मात्र चार मिनट का हो गया। पुरानी आरपीएससी भवन के निकट ही कलेक्ट्रेट रोडवेज बस स्टैंड, राजस्व मंडल आदि संस्थान हैं। इसी प्रकार मार्टिंडल ब्रिज के बाद गवर्नमेंट कॉलेज, सेंट पॉल स्कूल, कॉन्वेंट, सेंट एंसलम स्कूल, आर्य समाज के विभिन्न शिक्षण संस्था संचालित है। स्वाभाविक है कि अब तक इन संस्थाओं के यातायात का दबाव स्टेशन रोड पर था। एलिवेटेड रोड के निर्माण के बाद जमीन का यातायात सुगम हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 जुलाई 2018 को जब शिलान्यास किया था, तब यह कहा गया कि अगले दो वर्ष में एलिवेटेड रोड बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन कोरोना काल और काम की धीमी गति की वजह से यह रोड जुलाई 2020 में पूरा नहीं हो सका। विलंब होने की वजह से रोड के निर्माण की लागत भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इस रोड पर अब 300 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जबकि शिलान्यास के समय इसकी लागत 225 करोड़ रुपए आंकी गई थी। यह रोड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनाया गया है। मोदी ने 2014 में जब देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब सबसे पहले देश के तीन शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की गई, उनमें से एक अजमेर भी था। अजमेर को स्मार्ट बनाने के लिए करीब दो हजार करोड़ रुपए की योजना बनाई थी। स्मार्ट सिटी के सभी कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण एलिवेटेड रोड का निर्माण था। भले ही यह रोड चार साल बाद भी अधूरा हो, लेकिन एक भुजा के शुरू हो जाने से कचहरी रोड, स्टेशन रोड का यातायात सुगम होगा।
 
विशालकाय मशीन को हटाया जाए:
16 अक्टूबर को सुबह 6 बजे से मार्टिंडल ब्रिज से पुरानी आरपीएससी भवन तक के एलिवेटेड रोड पर यातायात शुरू कर दिया गया है, लेकिन अभी भी पुरानी आरपीएससी भवन के सामने जमीन खोदने वाली विशालकाय मशीन बीच सड़क पर पड़ी हुई है। पिछले दो वर्षों से यह मशीन कंडम स्थिति में हैं। उम्मीद की जा रही थी कि इस भुजा पर जब यातायात शुरू होगा तो उससे पहले ही मशीन को हटा दिया जाएगा, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि यह कंडम मशीन अभी भी बीच सड़क पर पड़ी हुई है। जिसकी वजह से दुर्घटना की आशंका है। जो वाहन तेजी से उतरेंगे उनके इस मशीन से टकराने की संभावना है। यह मशीन एलिवेटेड रोड के ठीक सामने है। रोड पर यातायात शुरू करने से पहले प्रशासन और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने कई बार निरीक्षण किया है, लेकिन शायद बीच सड़क पर पड़ी यह कंडम मशीन किसी को भी नजर नहीं आई है।
 
आवेदन क्यों मांगे:
जिला प्रशासन ने दो दिन पहले यह निर्णय लिया है कि दीपावली के अवसर पर पटाखों की बिक्री शहर के चार स्थानों पर होगी। प्रशासन ने इसके लिए तोपदड़्ा स्कूल का मैदान, पंचशील, चंदबरदाई और पटेल मैदान के स्थान निर्धारित किए हैं। यानी इन स्थानों पर लाइसेंस धारी विक्रेता अपने पटाखों की बिक्री कर सकते है। सवाल उठता है कि जब प्रशासन को सिर्फ चार स्थानों पर ही पटाखों की बिक्री करवानी थी तो फिर दो माह पहले बाजारों में बिक्री के आवेदन क्यों मांगे गए? कांग्रेस के मनोनीत पार्षद मुनव्वर कायमखानी ने बताया कि प्रशासन ने दो माह पहले छोटे दुकानदारों से आवेदन मांगे ताकि उन्हें बाजारों में पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस दिया जा सके। दुकानदारों ने संबंधित पुलिस स्टेशन से वेरिफिकेशन भी करवा लिया। प्रशासन ने पक्की दुकान के लिए जो दस्तावेज मांगे उनकी पूर्ति की गई। एक दुकान दुकानदार के दो हजार से भी ज्यादा खर्च हो गए, लेकिन अब प्रशासन ने बाजारों में पटाखों की बिक्री का लाइसेंस देने से इंकार कर दिया है। प्रशासन का यह रवैया तानाशाहीपूर्ण है। कायमखानी ने कहा कि एक ओर तो लाइसेंस देने के लिए पक्की दुकान की शर्त लगाई गई है हो दूसरी ओर चार स्थानों पर टेंट की दुकान लगाकर पटाखों की बिक्री करने की छूट दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पक्की दुकान के मुकाबले में एक साथ अनेक दुकान लगने से जोखिम ज्यादा है। अजमेर प्रशासन को कोटा की घटना से सबक लेना चाहिए। कायमखानी ने कहा कि प्रशासन भले ही चार स्थानों पर टेंट वाली दुकानें लगाए, लेकिन शहर के जो मार्ग खुले हैं और जिन पर यातायात का दबाव नहीं है, वहां पर मांग के अनुरूप पटाखों की बिक्री का लाइसेंस दिया जाए। कायमखानी ने कहा कि प्रशासन के इस रवैये को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र लिखा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-10-2022)
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