Wednesday 22 June 2022

राजस्थान को भी विधायकों को 10-10 करोड़ रुपए बटे-सीएम गहलोतअब सचिन पायलट बताएं कि दिल्ली में किन-किन विधायकों को पैसा मिला।जनता साथ नहीं देगी तो हम क्या करेंगे?-सीएम गहलोत।महाराष्ट्र की असली शिवसेना अब गुवाहाटी में। ठाकरे सरकार का जाना तय। क्या एनसीपी ने शिवसेना के विधायकों को महाराष्ट्र से बाहर निकलने का मौका दिया?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों दिल्ली में रह कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 22 जून को भी गहलोत ने दिल्ली में रह कर गांधी परिवार के समर्थन में देश के कांग्रेसी सांसदों और विधायकों को एकत्रित किया। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नामांकन के समर्थन में कांग्रेस के सांसदों और विधायकों के हस्ताक्षर भी करवाए। 21 जून को राजस्थान के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश शिंदे संभाजी शिवाजी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए जयपुर आए थे, लेकिन 22 जून को फिर दिल्ली पहुंच कर कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मोदी सरकार को देश विरोधी बताते हुए गहलोत ने कहा कि मौजूदा शासन में भाजपा और संघ वाले जमकर पैसा खा रहे हैं। संघ वालों को तो मोदी राज में मजा आ गया है। लेकिन इसके साथ ही गहलोत का यह भी कहना रहा कि जनता हमारा साथ नहीं देगी तो हम क्या कर सकते हैं? 22 जून को गहलोत ने मीडिया के प्रति स्वर भी बदले नजर आए। जो अशोक गहलोत जयपुर में न्यूज चैनलों और अखबारों को गोदी मीडिया कहते रहें, उन्हीं गहलोत ने राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के दौरान कवरेज के लिए मीडिया की प्रशंसा की। राहुल गांधी और कांग्रेस के संघर्ष को लगातार दिखाने पर गहलोत ने मीडिया को धन्यवाद दिया।
 
अब पायलट जवाब दें:
महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सीएम गहलोत का कहना है कि जुलाई 2020 में भी राजस्थान में आए संकट के समय 10-10 करोड़ रुपए बंट गए थे। गहलोत का इशारा पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए कांग्रेस के 19 विधायकों की ओर था। हालांकि उस समय गहलोत ने एक एक विधायकों को 35-35 करोड़ के ऑफर की बात कही थी, लेकिन अब गहलोत ने 10-10 करोड़ रुपए बांटने की बात कही है। चूंकि कांग्रेस के 18 विधायक पायलट के नेतृत्व में ही दिल्ली गए थे, इसलिए अब पायलट को ही बताना चाहिए कि सच क्या है। क्या दिल्ली जाने वाले विधायकों को 10-10 करोड़ रुपए मिले? हालांकि जुलाई 2020 में भी पायलट ने कहा था कि वे कांग्रेस हाईकमान को अपनी बात सुनाने के लिए दिल्ली आए हैं, लेकिन पायलट की इस सफाई को अशोक गहलोत ने कभी भी स्वीकार नहीं किया। अब तो गहलोत ने 10-10 करोड़ रुपए बंटने की बात कह दी है। गहलोत के दावे में कितनी सच्चाई है यह पायलट ही बता सकते हैं, लेकिन पायलट के जो विधायक दिल्ली गए उनमें दीपेंद्र सिंह शेखावत, राकेश पारीक, जीआर खटाणा, मुरारीलाल मीणा, इंद्राराज सिंह, भंवरलाल शर्मा, बिजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गवाडिय़ा, मुकेश भाकर, सुरेश मोदी, हरीश मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी व अमर सिंह जाटव हैं।

असली शिवसेना गुवाहाटी में:
उद्धव ठाकरे भले ही महाराष्ट्र में शिवसेना के प्रमुख हो, लेकिन मौजूदा हालातों में असली शिवसेना असम की राजधानी गुवाहाटी में है। ठाकरे सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 55 विधायकों में से 30 विधायक गुवाहाटी में मौजूद हैं। शिंदे का कहना है कि गत विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था, इसलिए शिवसेना को भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनानी चाहिए। शिंदे ने कहा कि हम शिवसेना के बागी विधायक नहीं है बल्कि हम ही असली शिवसेना हैं। आज भी यदि उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ सरकार बनाने की घोषणा कर दे तो हम वापस मुंबई लौट जाएंगे। शिंदे ने जो शर्त रखी है उसे स्वीकारना अब उद्धव ठाकरे के लिए आसान नहीं है। क्योंकि पिछले ढाई वर्ष से कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से उद्धव ठाकरे सरकार चला रहे हैं। चूंकि अब ठाकरे के पास बहुमत नहीं है इसलिए वे विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव कर रहे हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 30 विधायकों के अलग हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे का प्रस्ताव संवैधानिक दृष्टि से कोई मायने नहीं रखता है। यदि उद्धव ठाकरे अपनी ओर से कोई प्रस्ताव रखते हैं तो राज्यपाल सबसे पहले विधानसभा में सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में असली शिवसेना और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार बनेगी। महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के दौरान ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गए हैं। यही वजह है कि अब राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों का राज्यपाल से मुलाकात करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि किसी पड़ोसी राज्य के राज्यपाल को महाराष्ट्र का चार्ज दे दिया जाएगा। इस बीच यह भी खबर है कि शिवसेना के विधायकों को महाराष्ट्र से भगाने में एनसीपी की भी भूमिका रही है। असल में गृह मंत्रालय एनसीपी के विधायक दिलीप वाले के पास है। सवाल उठता है कि जब इतनी बड़ी संख्या में विधायक महाराष्ट्र से बाहर जा रहे थे, तब गृह विभाग को खबर क्यों नहीं लगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (22-06-2022)
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