Thursday 23 June 2022

राहुल गांधी और सचिन पायलट के पेशेंस में बहुत फर्क है ।दिल्ली जाने मात्र से पायलट से सब कुछ छीन लिया गया और देश में कांग्रेस से बहुत कुछ छीन जाने के बाद भी राहुल गांधी निर्णायक की भूमिका में है।ĺ

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने 22 जून को एक समारोह में अपने पेशेंस की तुलना राजस्थान के डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट के पेशेंस (धैर्य) से की। राहुल ने कहा कि वे 2004 से कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी पेशेंस नहीं खोया। समारोह में मंच पर बैठे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की ओर इशारा करते हुए राहुल ने कहा कि सचिन पायलट भी पेशेंस दिखा रहे हैं। राहुल ने यह बाद राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पायलट के बीच चल रही खींचतान के संदर्भ में कही। राहुल गांधी ने भले ही अपने पेेशेंस की तुलना पायलट के पेशेंस से की हो, लेकिन राहुल और पायलट के पेशेंस में बहुत फर्क है। जुलाई 2020 में जब 18 विधायकों के साथ पायलट दिल्ली गए। तब सीएम अशोक गहलोत ने पायलट से डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद छीन लिया। पिछले दो वर्ष से पायलट कांग्रेस में सिर्फ एक विधायक की भूमिका में है। गहलोत का आज भी आरोप है कि सचिन पायलट भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार गिराने के प्रयास में थे। हालांकि पायलट का कहना है कि वे कांग्रेस हाईकमान को अपनी बात करने के लिए विधायकों के साथ दिल्ली गए थे। दिल्ली जाने मात्र से पायलट से सब कुछ छीन लिया गया। पायलट तब भी पेशेंस नहीं खो रहे है, जब सीएम गहलोत आए दिन कटाक्ष करते हैं। दो दिन पहले ही सीएम ने कहा कि 10-10 करोड़ रुपए बंट भी गए थे। यानी जो विधायक पायलट के साथ गए, उन्हें 10-10 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। इतने कटाक्ष के बाद भी पायलट का पेशेंस मायने रखता है। जबकि राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते कांग्रेस से बहुत कुछ छीन गया। लोकसभा में 545 में कांग्रेस के 52 सांसद हैं, जबकि देश में सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है। पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ कर चले गए हैं। लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी कांग्रेस में निर्णायक की भूमिका में है। अध्यक्ष पद माताजी के पास ही है, राहुल गांधी जब चाहे ले सकते हैं। कांग्रेस में राहुल गांधी के निर्णय को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। विगत दिनों राहुल गांधी ने एक झटके में अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। भले ही इसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया हो, लेकिन राहुल के निर्णय की आलोचना किसी ने नहीं की। कांग्रेस का बहुत कुछ छीन जाने के बाद भी राहुल गांधी टेंशन फ्री होकर आए दिन विदेश चले जाते हैं, लेकिन सचिन पायलट राजस्थान में अपने वजूद के लिए संघर्ष करते नजर आते हैं। इतने टेंशन के बाद भी पायलट मोदी सरकार की आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ते। राहुल गांधी और अशोक गहलोत माने या नहीं, लेकिन 2018 में कांग्रेस सरकार बनवाने में पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह बात अलग है कि तब पायलट को पीछे धकेल कर गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया। देखा जाए तो दिसंबर 2018 से ही पायलट पेशेंस दिखा रहे हैं। यदि जुलाई 2020 में एक माह के पेशेंस खोया तो उसकी जिम्मेदारी भी अशोक गहलोत की ही है। पायलट को कब तक पेशेंस रखना होगा, यह कोई नहीं जानता क्योंकि पिछले दिनों दिल्ली में रह कर गहलोत ने अपनी सीएम की कुर्सी और मजबूत कर ली है। राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के दौरान गहलोत ने दिल्ली में जो भूमिका निभाई, उसे देखते हुए गांधी परिवार का कोई भी सदस्य गहलोत को बेदखल नहीं कर सकता है। पायलट को अब गहलोत से ही राजनीति के दांव पेंच सीखने की जरूरत है।

S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2022)
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