Sunday 26 June 2022

शिवसैनिकों को तय करना है कि मंदिर बनाने वालों के साथ रहना है या मंदिर तोड़ने वालों के समर्थकों के साथ।फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा की द्रौपदी मुर्मू पर बेहूदा टिप्पणी।

महाराष्ट्र में कोई सियासी संकट नहीं है। कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के सहयोग से चल रही उद्धव ठाकरे की सरकार का खेल खत्म हो गया है। ठाकरे के 55 विधायकों में से 40 विधायक पिछले पांच दिनों से गुवाहाटी में जमे हुए हैं। लोकतंत्र में सिर गिने जाते हैं और उद्धव ठाकरे के पास मात्र 15 सिर रह गए हैं। 286 में से 15 विधायकों को लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके उद्धव की ओर से गुवाहाटी में जमे विधायकों को धमकी दी जा रही है। कांग्रेस और शरद पवार को ठाकरे परिवार की ताकत के टुकड़े टुकड़े करना चाहते हें, लेकिन उद्धव को यह समझना चाहिए कि जब सत्ता हाथ से जाती है, तब प्रशासनिक तंत्र भी सहयोग नहीं करता है। मुंबई पुलिस को भी पता है कि सत्ता में कौन आने वाला है। ऐसे में पुलिस के दम पर राज नहीं किया जा सकता है। जिस मुंबई पुलिस के दम पर विरोधी विधायकों को मुंबई की चौपाटी पर आने की चेतावनी दी जा रही है, वही मुंबई पुलिस विधायकों को सुरक्षित तरीके से एयरपोर्ट से विधानसभा और राजभवन तक ले जाएगी। मुंबई पुलिस की मदद के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों के सशस्त्र जवान भी तैनात रहेंगे। धमकियां अपने आप फुस्स हो जाएंगी, लेकिन उद्धव ठाकरे के पास जो शिव सैनिक बचे हैं, उन्हें यह तय करना चाहिए कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनवाने वालों के साथ रहना है या फिर मंदिर तोड़ने वालों के समर्थकों के साथ। शिवसैनिक को पता है कि कौन कहां खड़ा है। जिन वीर छत्रपति शिवाजी ने अपनी धरती के लिए आक्रमणकारियों से संघर्ष किया, क्या उन्हीं आक्रमणकारियों के समर्थकों के साथ शिव सैनिक खड़े होंगे? शिव सैनिकों को संजय राउत जैसे नेताओं के बहकावे में नहीं आना चाहिए। राउत का तो कुछ नहीं होगा, लेकिन शिवसैनिक कानूनी झंझटों में फंस जाएंगे।
 
वर्मा की बेहूदा टिप्पणी:
अपनी फिल्मों में अभिनेत्रियों को कम कपड़ों में डांस और अभिनय कराने के लिए कुख्यात फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर बेहूदी टिप्पणी की है। वर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा, यदि द्रौपदी राष्ट्रपति हैं तो पांडव कौन है? और ज्यादा जरूरी सवाल कौरव कौन है? एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के नाम को महाभारत की द्रौपदी से जोड़ना कतई उचित नहीं है। सब जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला है और उनका जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है। राष्ट्रपति भवन में वे न केवल आदिवासी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी, बल्कि संघर्षशील महिलाओं की प्रेरणा स्त्रोत भी होंगी। ऐसी संघर्ष शील महिला पर रामगोपाल वर्मा की यह टिप्पणी बेहूदगी भरी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2022)
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