Wednesday 17 August 2022

बीसलपुर बांध में एक घंटे में डेढ़ सेंटीमीटर की रफ्तार से पानी की आवक। जल स्तर 312 मीटर के पार।बनास और गंभीरी नदी उफान पर, इसलिए बांध के भर जाने की उम्मीद।वर्ष 2016 में मात्र 8 घंटे में भर गया था बांध। त्रिवेणी का गेज गड़बड़।

अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध के इस बार भर जाने की पूरी उम्मीद है। बांध में पानी लाने वाली बनास और गंभीरी नदी उफान पर है। यही वजह है कि 17 अगस्त को एक घंटे में डेढ़ सेंटीमीटर की रफ्तार से बांध में पानी की आवक हुई। 315.50 आरएल मीटर की क्षमता वाले बांध का जल स्तर 312 मीटर के पास हो गया है। बांध के जल स्तर पर निगरानी रखने वाले जलदाय विभाग के कार्यवाहक एक्सईएन रामनिवास खाती ने बताया कि वर्ष 2016 में मात्र 8 घंटे में बीसलपुर बांध भर गया था। इसी प्रकार 2019 में दो दिन में बांध भर गया। चूंकि बांध में पानी लाने वाली दोनों प्रमुख नदियां बनास और गंभीरी उफान पर है, इसलिए इस बार बांध के भर जाने की पूरी उम्मीद है। बांध के भराव क्षेत्र राजसमंद, चित्तौड़ और भीलवाड़ा में लगातार वर्षा हो रही है। नदियों में उफान की वजह से ही गंभीरी बांध भी ओवरफ्लो हो गया है।
 
बनास नदी को रोक कर बना है बांध:
असल में राजसमंद की ओर से आने वाली बनास नदी को टोंक जिले के बीसलपुर गांव में रोककर बांध का निर्माण किया गया है। बीसलपुर में जिस स्थान से दो पहाड़ों के बीच से बनास गुजर रही थी, वहीं पर बांध का निर्माण किया गया है। पूर्व में बनास नदी में वर्ष भर पानी बहता था। इस उपयुक्त स्थिति को देखते हुए ही बीसलपुर में नदी को रोककर बांध बनाया गया। लेकिन बांध बनने के बाद बनास नदी का वर्ष भर बहना भी बंद हो गया। पिछले कई वर्षों से तो बरसात में भी बनास नदी में पानी की आवक कम हुई है। असल में लोगों ने अपने स्वार्थ की खातिर नदी क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिए जिसकी वजह से बनास नदी का वर्ष भर बहना भी बंद हो गया। बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर जिले की पेयजल की समस्या के समाधान को प्राथमिकता देने के लिए हुआ था। लेकिन बाद में जयपुर को भी पेयजल की सप्लाई शुरू कर दी गई। हालत यह है कि अजमेर के मुकाबले जयपुर को तीन गुना पानी ज्यादा दिया जाता है। अजमेर में गर्मी के दिनों में चार दिन में और सामान्य दिनों में दो-तीन दिनों में एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई की जाती है। असल में अजमेर जिले में पानी की टंकियां बनाने और पाइप लाइन बिछाने के कार्य में ढिलाई बरती गई, जबकि जयपुर जिले में पाइप लाइन बिछा कर बीसलपुर बांध से पानी लेने का कार्य लगातार जारी रहा। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर में प्रतिदिन पेयजल की सप्लाई हो रही है, जबकि अजमेर में प्रतिदिन सप्लाई सपना ही बना हुआ है।
 
त्रिवेणी का गेज गड़बड़:
यूं तो बीसलपुर बांध से जुड़े मैनाली बेरछ और बनास नदी के त्रिवेणी संगम पर 17 अगस्त को पांच मीटर का गेज मापा गया। लेकिन तकनीकी जानकारों का मानना है कि त्रिवेणी का यह गेज गड़बड़ है। असल में तीन मीटर तक तो त्रिवेणी पर पानी आता ही नहीं है, ऐसे में अब यदि पांच मीटर का गेज है तो यह माना जाएगा कि त्रिवेणी पर जल स्तर दो मीटर का है। गेज में शुरू से ही तकनीकी गड़बड़ी है, इसलिए बीसलपुर बांध के जलस्तर के आंकलन में भी कई बार विरोधाभास हो जाता है। त्रिवेणी संगम से बीसलपुर बांध तक पानी पहुंचने में करीब 20 घंटे लगते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-08-2022)
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