Monday 22 August 2022

बीसलपुर बांध का पानी अब आगामी एक वर्ष तक अजमेर, जयपुर और टोंक के लोगों की प्यास बुझा सकेगा।बांध का जल स्तर 313.10 मीटर के पार। प्रति घंटा एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है जल स्तर।तो अजमेर की सड़कों पर गड्ढों के लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार है।

22 अगस्त का दिन अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के लोगों के लिए खुशखबर से भरा दिन है। टोंक जिले के जिस बीसलपुर बांध से इन तीनों जिलों के लोगों को पेयजल की सप्लाई होती है। उस बांध में आगामी एक वर्ष तक का पानी आ गया है। बांध के जल स्तर पर निगरानी रखने वाले जलदाय विभाग के कार्यवाहक एक्सईएन रामनिवास खाती ने बताया कि बांध का जल स्तर 313.10 मीटर के पार हो गया है। इतने पानी से वर्ष 2023 के मानसून तक तीनों जिले के लोगों को मात्र के अनुरूप पेयजल की सप्लाई की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बांध में पानी लाने वाली डाई और खारी नदी में पानी का बहाव तेज है, त्रिवेणी पर गेज चार मीटर से ऊपर है। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि कुछ दिनों में बांध पूरा भर जाएगा। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। चूंकि बांध में पर्याप्त पानी एकत्रित हो गया है, इसलिए जरूरत पड़ने पर टोंक जिले में सिंचाई के कार्य के लिए भी पानी दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगले एक वर्ष तक जयपुर, अजमेर और टोंक में पेयजल की कोई किल्लत नहीं होगी।
 
सिंचाई विभाग तैयार:
बीसलपुर बांध में पानी की आवक को देखते हुए सिंचाई विभाग के इंजीनियर बांध के गेट खोलने को लेकर तैयार है। इंजीनियरों ने बांध के सभी गेटों के परीक्षण भी कर लिए हैं। शुरुआत में बांध के दो या तीन गेट खोले जाएंगे। गेट खोलने से पहले 315 मीटर वाले जल स्तर का आकलन किया जाएगा। 315 के जलस्तर के बाद पानी आने की रफ्तार देखी जाएगी। सिंचाई विभाग के इंजीनियर भी मान रहे हैं कि इस बांध के गेट खोले जाएंगे। उल्लेखनीय है कि बांध पर सिंचाई विभाग का नियंत्रण है।
 
कलेक्टर जिम्मेदार:
केरल हाईकोर्ट के आदेश की क्रियान्विति अजमेर में होती है तो अजमेर की सड़कों पर हो रहे एक एक फीट के गड्ढों के लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार है। इन गड्ढों की वजह से भी कोई हादसा होता है तो कलेक्टर को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा। केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश में कहा है कि जिला कलेक्टर ही आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी होते हैं ऐसे में सड़कों पर गड्ढों की जिम्मेदारी भी कलेक्टर की ही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर की सड़कों पर इन दिनों चलना बहुत मुश्किल है। बुजुर्ग नगारिक तो दुपहिया वाहन पर अक्सर दुर्घटना के शिकार होते हैं। अखबारों में रोजाना टूटी सड़कों की खबरें प्रकाशित होती है। अजमेर की सड़क नगर निगम, एडीए, पीडब्ल्यू आदि विभाग के अधीन आती है। ऐसे में विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं। लेकिन केरल हाईकोर्ट ने विभागों की जिम्मेदारी के बजाए सिर्फ जिला कलेक्टर को जिम्मेदार मान लिया है। चूंकि किसी भी हाईकोर्ट का आदेश पूरे देश में नजीर बनता है, इसलिए अब यही अजमेर की सड़कों के गड्ढों की समस्या का समाधान नहीं होगा तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। कोई भी जागरूक नागरिक केरल हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर राजस्थान हाईकोर्ट में अजमेर जिला प्रशासन के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि न्यायालय की अवमानना करने से बचने के लिए अजमेर प्रशासन तत्काल सड़कों की मरम्मत करवाएगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (22-08-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

No comments:

Post a Comment