पिछले सात वर्षों में राजस्थान भाजपा में वही हुआ जो संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने चाहा। चंद्रशेखर संगठन महामंत्री के पद पर सबसे अधिक समय तक रहने वाले नेता तो हैं ही साथ ही उनके कार्यकाल में भाजपा में बड़े उतार चढ़ाव हुए। 2018 में भाजपा को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा तो वहीं लोकसभा की सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत हुई। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई। अब चंद्रशेखर को राजस्थान से स्थानांतरित कर तेलंगाना भाजपा का संगठन महामंत्री नियुक्ति किया गया है। भाजपा में संगठन महामंत्री का सर्वाधिक महत्व होता है, क्योंकि संगठन महामंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भेजा जाता है। आमतौर पर संघ के किसी प्रचारक को संगठन महामंत्री का दायित्व दिया जाता है। चंद्रशेखर के जाने के बाद राजस्थान भाजपा का अब नया स्वरूप सामने आएगा। जिस प्रकार पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को सीधे मुख्यमंत्री नबा दिया गया उसी प्रकार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी किसी युवा को बनाया जाएगा। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को भी बदलने की तैयारी है। जोशी को बदलने से पहले राजस्थान में संगठन महासचिव की नियुक्ति होगी। माना जा रहा है कि संघ से आए संगठन महासचिव की नया अध्यक्ष बनाने में भूमिका निभाएंगे। मौजूद संगठन में भी बड़ा बदलाव किया जाएगा। संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि सरकार को इस तरह चलाया जाएगा जिससे पांच वर्ष बाद सरकार रिपीट हो सके। हालांकि अभी लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य है। इसके लिए भाजपा में तैयारियां शुरू हो गई है।
कांग्रेस में विधायक दल का नेता भी नहीं:
एक और भाजपा में तेजी से बदलाव हो रहा है, तो वही राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन भी नहीं हो पा रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आए थे, लेकिन डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है, जबकि विधानसभा का सत्र 19 जनवरी से शुरू हो रहा है। प्रदेश के कांग्रेस विधायकों ने नेता घोषित करने का जिम्मा कांग्रेस हाईकमान को दे रखा है। दिल्ली में कई दौर की बैठक भी हो गई है, लेकिन फिर भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अभी भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत और राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के गुटों में बंटी हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-01-2024)
कांग्रेस में विधायक दल का नेता भी नहीं:
एक और भाजपा में तेजी से बदलाव हो रहा है, तो वही राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन भी नहीं हो पा रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आए थे, लेकिन डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है, जबकि विधानसभा का सत्र 19 जनवरी से शुरू हो रहा है। प्रदेश के कांग्रेस विधायकों ने नेता घोषित करने का जिम्मा कांग्रेस हाईकमान को दे रखा है। दिल्ली में कई दौर की बैठक भी हो गई है, लेकिन फिर भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अभी भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत और राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के गुटों में बंटी हुई है।
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