Tuesday 13 September 2016

शहीद के अधजले शव को चिता से निकाला। टुकड़े-टुकड़े कर दोबारा लकड़ी लगाकर जलाया। मंत्री और अफसर बीच में छोड़ गए अंतिम संस्कार को। बर्खास्त होना चाहिए सिरोही का प्रशासन।

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शहीद के अधजले शव को चिता से निकाला। टुकड़े-टुकड़े कर दोबारा लकड़ी लगाकर जलाया। मंत्री और अफसर बीच में छोड़ गए अंतिम संस्कार को। बर्खास्त होना चाहिए सिरोही का प्रशासन। 
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13 सितम्बर को सिरोही में शहीद रमेश चौधरी का अंतिम संस्कार बड़ी मुश्किल से हो पाया। शुरुआत के मौके पर मंत्री ओटाराम देवासी, सांसद देवजी पटेल, कलेक्टर, एसपी, एसडीओ आदि तमाम अधिकारी मौजूद थे। शहीद के शव के साथ फोटो खिंचवाने में कोई भी पीछे नहीं रहा, लेकिन इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि फोटो खिंचवाने वाले मंत्री और अधिकारी अंतिम संस्कार को बीच में ही छोड़कर चले गए। किसी ने भी इस बात की चिंता नहीं की, कि शहीद का शव पूरी तरह जला है या नहीं। श्मशान से प्रमुख लोगों के चले जाने के बाद जब कुछ ग्रामीणों ने देखा कि शव पूरी तरह जला नहीं है और चिता की लकडिय़ां भी जल चुकी है। इस स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने अधजले शव को बाहर निकाला और उसके टुकड़े-टुकड़े कर वापस नई लकडिय़ों पर जमाया। इसके बाद ही शहीद का शव राख बन सका। जिस तरह से यह घटना सामने आई है, उसमें सिरोही के जिला प्रशासन के अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। किसी भी शहीद के शव का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होता है। ऐसे में सिरोही के प्रशासन की यह जिम्मेदारी थी कि वह शव का अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक करवाएं। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि जिस जवान ने कश्मीर में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपनी जान गंवा दी, उस जवान का अंतिम संस्कार भी सम्मानपूर्वक नहीं हो सका। यह वो ही शहीद है, जिसने कश्मीर में तैनाती के दौरान शादी करने से इंकार कर दिया था। रमेश का कहना था कि कश्मीर में भारतीय जवान के सामने हर समय मौत मंडराती है। ऐसे में जब कश्मीर से तैनाती खत्म हो जाएगी, तभी वह विवाह करेगा। यानि रमेश ने अपने देश के खातिर शादी भी नहीं की और सिरोही का प्रशासन उसका अंतिम संस्कार भी सही ढंग से नहीं कर सका। इस मामले में मंत्री ओटाराम देवासी का बयान भी शर्मनाक है। देवासी का कहना है कि मैं स्वयं भी अंतिम संस्कार में था, लेकिन शहीद के पिता को देखने के लिए बीच में ही उसके घर चला गया। मंत्री के चले जाते ही कलेक्टर और एसपी भी मौके से भाग गए। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चाहिए कि इस मामले में तुरंत जांच करवाकर दोषी अधिकारियों के साथ-साथ देवासी को भी मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए।  

(एस.पी. मित्तल)  (13-09-2016)
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