Friday, 11 June 2021

भाजपा यह अच्छी तरह समझ ले कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है।गत वर्ष एक ऑडियो से सरकार बचा ली गई थी, तो जयपुर ग्रेटर की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर क्या मायने रखती है। इस बार तो संघ को भी लपेटे में ले लिया।निलंब के प्रकरण में अब 14 जून को होगी सुनवाई।

जयपुर में सफाई का काम करने वाली बीवीजी कंपनी के कथित प्रतिनिधि संदीप चौधरी और जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर (अब निलंबित) के पति राजाराम के बीच हुई 20 करोड़ की डील का संवाद क्या गुल खिलाएगा यह अभी कोई नहीं जानता। ऑडियो वीडियो किसने बनाई तथा किसने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए अभी कुछ भी पता नहीं हैए लेकिन इन वीडियो के आधार पर अखबारों में खबरें 11 जून को तब छपी है जब सौम्या गुर्जर के निलंबन को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। इतना ही नहीं अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण के लिए चंदा लेने के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी लपेटे में ले लिया गया है। ऑडियो वीडियो को जिस तरह एडिट कर पोस्ट किया गया है ए उससे जाहिर है कि सारा काम योजनाबद्ध तरीके से किया गया। ऑडियो वीडियो के कई टुकड़े अभी और भी आ सकते हैं। राजस्थान के लोगों को पता होगा कि गत वर्ष इन्हीं दिनों में जब कांग्रेस की राजनीति में उठापटक हो रही थी, तब मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा ने मीडिया कर्मियों को मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग भेजी थी। रिकॉर्डिंग के आधार पर पुलिस की विभिन्न एजेंसियों ने राजद्रोह के मुकदमे दर्ज किए और सचिन पायलट वाले गुट के विधायकों को नोटिस तक जारी किए। विधायकों को पकडऩे के लिए राजस्थान की पुलिस दिल्ली तक गई। तीन निर्दलीय विधायकों को तो भूमिगत होना पड़ा। 11 जून के ऑडियो के आधार पर अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल रहे। सरकार बचाने के बाद इस मामले में एफआर भी लगा दी गई। मीडिया कर्मियों के माध्यम से पिछली बार यह पता चल गया था कि मोबाइल रिकॉर्डिंग मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा ने डाली है, लेकिन इस बार सौम्या गुर्जर वाले प्रकरण में पोस्ट करने वाले की पहचान भी नहीं हो रही है, लेकिन ऑडियो वीडियो के आधार पर अशोक गहलोत के अधीन काम करने वाली एसीबी ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। सौम्या गुर्जर और उनके पति राजाराम का मामला तो निपट जाएगा लेकिन संघ के लपेटे वाला मामला लंबा खींचेगा। राम मंदिर निर्माण के धन संग्रह अभियान को भी नुकसान पहुंचाया जाएगा। भाजपा के लोगों को यह अच्छी तरह समझना होगा कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। कलेक्टर एसपी जैसे बड़े अधिकारियों को पकड़ना कितना मायने नहीं रखता, उतना राजाराम द्वारा 20 करोड़ की कथित डील करना है। अब चाहे राजाराम कितनी भी सफाई दे लेकिन सौम्या गुर्जर और संघ को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है। बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि संदीप चौधरी में इतना दम नहीं कि वह ऑडियो वीडियो बना ले संदीप चौधरी के पीछे बड़ी ताकतें खड़ी है। यदि राजाराम वाकई ?20 करोड़ की मांग कर रहे थे तो कार्यवाही होनी ही चाहिए। भ्रष्ट व्यक्ति किसी भी पार्टी का हो कार्यवाही होनी ही चाहिए। बीवीजी कंपनी की यह सफाई कोई मायने नहीं रखती कि संदीप चौधरी कंपनी का कोई अधिकारी नहीं है। यदि संदीप चौधरी कंपनी का प्रतिनिधि नहीं होता तो राजाराम कभी भी बात नहीं करते।
14 जून को होगी सुनवाई:
जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन के प्रकरण में 11 जून को हाईकोर्ट में कोई पांच घंटे तक सुनवाई हुई। सरकार के महाधिवक्ता ने जहां सौम्या गुर्जर के निलंबन को नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत वैधानिक बताया वहीं सौम्या के वकील राजेन्द्र प्रसाद ने तर्क दिया कि जांच अधिकारी ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें सौम्या गुर्जर का नाम नहीं है। रिपोर्ट में निगम के आयुक्त के साथ पार्षदों द्वारा अभद्र व्यवहार करने का आरोप है। लेकिन फिर भी सरकार ने राजनीतिक द्वेषता की वजह से मेयर का भी निलंबन कर दिया। वकील ने कहा कि सरकार को पार्षद पद से निलंबन करने का अधिकार नहीं है। लम्बी बहस को देखते हुए न्यायाधीश पंकज भंडारी और पीके सोनगरा ने अब 14 जून सोमवार को सुनवाई जारी रखने का निर्णय दिया है। कोर्ट ने अभी निलंबन पर स्टे नहीं किया है, इसलिए शील धाबाई ही नगर निगम की कार्यवाहक मेयर का काम करती रहेंगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (11-06-2021)
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