7 जून को सुबह जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में 26 वर्षीय ईशान शास्त्री की भी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। ठीक 14 दिन पहले 24 मई को ईशान के पिता और टोंक स्थित वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री की मौत भी कोरोना संक्रमण से हो गई थी। आदित्य शास्त्री की उम्र भी मात्र 59 वर्ष थी। 15 दिन में परिवार के दो प्रमुख सदस्यों की मौत हो जाने से परिवार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कोरोना की दूसरी लहर में इस बार ऐसे अनेक परिवार हैं, जिनके दो-तीन प्रमुख सदस्यों की मृत्यु हुई है। दूसरी लहर में 25 से 50 वर्ष की उम्र वालों की मौत भी बड़ी संख्या में हुई। ऐसे परिवारों के जख्म कैसे भरेंगे, यह ईश्वर ही जानता है। कल्पना कीजिए कि जिन दो बेटियों या बेटों की 40 वर्षीय मां या पिता की मृत्यु हो गई है, वे किस के सहारे जीवन व्यतीत करेंगे। 26 वर्षीय ईशान शास्त्री की मृत्यु इसलिए भी दु:ख है कि 24 मई को पिता आदित्य की मृत्यु के बाद मां इना शास्त्री को बड़ी मुश्किल से संभाला था। आदित्य की मृत्यु के बाद इना शास्त्री को ही वनस्थली विद्यापीठ का कार्यवाहक कुलपति बनाया गया था। जिस इना शास्त्री के पति और जवान पुत्र की मृत्यु हो जाए वह महिला कैसे जिंदा रहेगी, इसका जवाब भगवान ही दे सकता है। अब मां की देखभाल की जिम्मेदार बड़े पुत्र अंशुमान शास्त्री के पास आ गई है। ईश्वर से प्रार्थना है कि अंशुमान को इतनी शक्ति दे कि वह अपनी मां इना शास्त्री को संभाल सके। जहां तक इना शास्त्री का सवाल है तो उन्हें अपने पति और पुत्र के गम के साथ ही 18 हजार छात्राओं वाले शैक्षिक संस्थान को भी संभालना है। यह काम आसान नहीं है।
6 बालिकाओं से की थी शुरुआत:
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ने 1935 में 6 लड़कियों के साथ टोंक जिले में वनस्थली गांव में इस विद्यापीठ की शुरुआत की थी। आज वनस्थली विद्यापीठ में देशभर की 18 हजार छात्राएं अध्ययन करती हैं। हीरालाल शास्त्री के निधन के बाद उनके पुत्र सुधाकर शास्त्री और दिवाकर शास्त्री ने इस शिक्षण संस्थान को आगे बढ़ाया। मौजूदा समय में सुधाकर शास्त्री के पुत्र सिद्धार्थ शास्त्री और दिवाकर शास्त्री के पुत्र आदित्य शास्त्री संस्थान को आगे बढ़ा रहे थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री और लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार ने भी इसी विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की है।
6 बालिकाओं से की थी शुरुआत:
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ने 1935 में 6 लड़कियों के साथ टोंक जिले में वनस्थली गांव में इस विद्यापीठ की शुरुआत की थी। आज वनस्थली विद्यापीठ में देशभर की 18 हजार छात्राएं अध्ययन करती हैं। हीरालाल शास्त्री के निधन के बाद उनके पुत्र सुधाकर शास्त्री और दिवाकर शास्त्री ने इस शिक्षण संस्थान को आगे बढ़ाया। मौजूदा समय में सुधाकर शास्त्री के पुत्र सिद्धार्थ शास्त्री और दिवाकर शास्त्री के पुत्र आदित्य शास्त्री संस्थान को आगे बढ़ा रहे थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री और लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार ने भी इसी विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की है।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-06-2021)
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