Friday 4 June 2021

बहुत फर्क है कांग्रेस की राजनीति में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत में।नवजोत सिंह सिद्धू वाले 25 विधायकों को राहुल गांधी का समर्थन है, जबकि अमरेन्द्र सिंह ने स्वयं को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 58 विधायकों का जुगाड़ कर लिया है। बहुमत के लिए 59 चाहिए।

कांग्रेस शासित पंजाब में इन दिनों जो राजनीतिक खींचतान हो रही है, उसकी तुलना कुछ लोग राजस्थान से कर रहे हैं। अपने पाठकों को विस्तार से समझाने से पहले मैं यह बताना चाहता हंू कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत में बहुत फर्क है। गहलोत जहां गांधी परिवार की मेहरबानी से तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, वहीं कैप्टन पंजाब में अपने दम पर सीएम बने हैं। गहलोत कांग्रेस को चलाने वाले गांधी परिवार के भरोसेमंद मुख्यमंत्री है तो कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पंजाब में अपने विवेक और नजरिए से सरकार चलाते हैं। गहलोत की तरह अमरेन्द्र गांधी परिवार के प्रति वफादार नहीं है, इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में पंजाब के 25 कांग्रेसी विधायकों को दिल्ली बुला लिया गया है। इतना ही नहीं कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खिलाफ आए इन विधायकों से मुलाकात करने के लिए राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मलिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी भी बना दी गई है। अब इस कमेटी का उसी तरह मजाक उड़ रहा है जैसे सिद्धू हर बात में चुटकले सुनाते हैं। गांधी परिवार का यह प्रयास है कि अमरेन्द्र सिंह को यह अहसास करवाया जाए कि गांधी परिवार के बगैर पंजाब में कांग्रेस की सरकार नहीं चल सकती है। लेकिन कैप्टन भी राजनीति के पुराने खिलाड़ी है, इसलिए दिल्ली दरबार की हवा निकालने के लिए आम आदमी पार्टी के तीन विधायकों को कांग्रेस में उसी तरह शामिल कर लिया है, जिस तरह राजस्थान में अशोक गहलोत ने बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाया था। यहां यह बताना जरूरी है कि पंजाब में सबसे बड़ा विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ही है। 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 80 विधायक हैं, जबकि आप के 19 विधायक है। अकाली दल के 14 तथा भाजपा के सिर्फ दो विधायक है। 3 विधायकों के कांग्रेस में चले जाने के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी के 16 विधायक ही रह गए हैं, लेकिन कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पास 58 विधायकों का जुगाड़ हो गया है। जबकि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 59 विधायक चाहिए। अब यदि नवजोत सिंह सिद्धू 25 विधायकों को लेकर गांधी परिवार की गोद में बैठै रहे तो भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह अपनी सरकार को चला लेंगे। 25 विधायकों को दिल्ली बुलाकर गांधी परिवार ने जो दबाव बनाया था उसे अमरेन्द्र सिंह ने केजरीवाल के तीन विधायकों को शामिल कर दबाव को उलटा कर दिया है। अब गांधी परिवार और तीन सदस्यीय कमेटी अमरेन्द्र सिंह के दिल्ली आने का इंतजार कर रही है। गांधी परिवार की ओर से कहा जा रहा है कि कैप्टन तीन सदस्यीय कमेटी के समक्ष पेश होंगे। क्या किसी कमेटी में इतनी हिम्मत है कि वह अमरेन्द्र सिंह को पेश होने के लिए कहे। उल्टा कमेटी के तीनों सदस्यों को अमरेन्द्र सिंह के सामने पेश होना होगा। गांधी परिवार ने हास्य कलाकार नवजोत सिंह सिद्धू के माध्यम से जो करना था, वो कर लिया। अब जवाब देने की बारी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की है। कैप्टन ने यह जता दिया है कि पंजाब में अमरेन्द्र ही कांग्रेस है। सब जानते हैं कि पंजाब में छह माह बाद  विधानसभा के चुनाव होने है,  अमरेन्द्र सिंह ने सरकार और कांग्रेस को अपने नियंत्रण में कर लिया है। अब यदि गांधी परिवार ने कोई प्रतिकूल निर्णय लिया तो पंजाब में भी कांग्रेस का वही हाल होगा जो अभी पश्चिम बंगाल में हुआ है। 294 सदस्यों वाली बंगाल विधानसभा में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं होना, गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठता है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो पंजाब में पहले ही उसका कोई वजूद नहीं है।
कैप्टन ने कमेटी से मुलाकात की:
चार जून को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने दिल्ली आकर तीन सदस्य कमेटी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद अमरेन्द्र सिंह ने मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन यह कहा कि मैंने कमेटी के सदस्यों को बता दिया है कि छह माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। मैंने पंजाब की मौजूदा स्थिति के बारे में भी कमेटी को बता दिया है। कमेटी अब अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को सौंपेगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (04-06-2021)
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