6 जून को न्यूज़ चैनलों पर लाइव प्रस्तुति देकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथ जोड़कर बड़ी मासूमियत के साथ कहा कि मेरी सरकार की घर घर तक राशन सामग्री पहुंचाने वाली योजना पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। केजरीवाल ने कहा कि कोरोना काल में यदि दुकानों पर राशन लेने वालों की भीड़ जुटेगी तो संक्रमण और फैलेगा। मैं तो राशन माफिया को समाप्त करने के लिए दिल्ली वासियों के घरों तक राशन सामग्री पहुंचाना चाहता हूं, लेकिन मेरे इस नेक काम में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बाधा पहुंचा रही है। जिस मासूमियत के साथ केजरीवाल ने अपनी बात रखी, उससे एक बार तो यही लगेगा कि मोदी सरकार दिल्ली सरकार के अच्छे कामों में बाधा उत्पन्न कर रही है। यदि कोरोना काल में दिल्ली वासियों को घर बैठे राशन सामग्री मिले तो इसमें एतराज की क्या बात है? लेकिन सवाल उठता है कि केजरीवाल राशन की सामग्री को अपने कार्मिकों या पार्टी के कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों के घरों तक क्यों पहुंचाना चाहते हैं? इस सवाल का उत्तर समझने के लिए पहले राजस्थान में राशन दुकानों पर लागू बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन के सिस्टम को समझना होगा। राजस्थान में यह सिस्टम वर्ष 2016 से चल रहा है। इससे फर्जी राशन कार्ड तो बंद हुए ही साथ ही अपात्र परिवार भी हट गए। प्रदेश के सभी राशन विक्रेताओं को पोस मशीन उपलब्ध कराई गई। इस मशीन पर राशन कार्डधारी का अंगूठा रखवाया जाता है, जिससे उसका वेरिफिकेशन (पहचान) हो जाता हे। इससे पात्र व्यक्तियों को राशन की सामग्री मिलती है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे बड़े आलोचक अशोक गहलोत मुख्यमंत्री है। लेकिन गहलोत भी केन्द्र सरकार की बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन सिस्टम के समर्थक हंै। गहलोत का भी मानना है कि इस सिस्टम से राशन सामग्री में घोटाला समाप्त हुआ है। राजस्थान में कोरोना काल में भी इसी सिस्टम से राशन की दुकानों पर सामग्री दी जा रही है। देश के अधिकांश राज्यों में बायोमेट्रिक सिस्टम लागू कर दिया गया है लेकिन दिल्ली जैसे कुछ प्रदेश हैं जिन्होंने इस सिस्टम को लागू नहीं किया है। यदि केजरीवाल को वाकई राशन माफिया को समाप्त करना है तो राजस्थान की तरह बायोमेट्रिक सिस्टम लागू करना चाहिए। उल्टे अब केजरीवाल को यह बताना चाहिए कि दिल्ली में राशन की दुकानों पर बायोमेट्रिक सिस्टम लागू क्यों नहीं किया जा रहा? क्यों राशन की सामग्री को कार्मिकों और कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर घर पहुंचाने में रुचि दिखाई जा रही है। न्यूज़ चैनलों पर केजरीवाल भले ही मोदी सरकार को कोसे, लेकिन इसी मोदी सरकार ने देशभर के 80 करोड़ लोगों को पांच किलो गेंहू कोरोना काल में नि:शुल्क दिया है। इतना ही नहीं वन नेशन, वन राशन कार्ड की योजना को भी पूरे देश में लागू किया जा रहा है। इससे दिल्ली का मजदूर अपने राशन की सामग्री राजस्थान में भी ले सकेगा। जिन प्रदेशों में बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन सिस्टम लागू हो चुका है, वहां राशन का घोटाला अपने आप रुक जाएगा। अच्छा हो कि केजरीवाल घर घर राशन पहुंचाने के काम में रुचि दिखाने के बजाए दिल्ली में बायोमेट्रिक सिस्टम लागू करवाएं।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-06-2021)
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