Monday 7 June 2021

तो कचरा उठाने वाली कंपनी बीवीजी ने जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर और भाजपा के तीन पार्षदों को सस्पेंड करवा दिया।राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार ने इतिहास रच दिया। यह पहला अवसर है जब किसी निर्वाचित मेयर को सस्पेंड किया गया है।8 जून को भाजपा प्रदेश भर में मंडल स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगी।कोर्ट के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं-मंत्री धारीवाल।

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट तक दबाव में काम कर रहा है। ऐसे आरोप देश में सबसे ज्यादा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगाए हैं। अब गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की निर्वाचित भाजपाई मेयर श्रीमती सौम्या गुर्जर और तीन भाजपा पार्षदों को सस्पेंड कर दिया है। यह कार्यवाही लोकतांत्रिक इतिहास में पहला अवसर है, जब किसी मेयर को इस तरह पद से हटाया गया है। ऐसा नहीं कि मेयर पर भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप हो। सरकार की ओर से कहा गया है कि मेयर ने अपने अधिकारों से परे जाकर निगम के आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह के साथ अभद्र व्यवहार किया है। अभद्र व्यवहार किया या नहीं यह तो जांच का विषय है, लेकिन सवाल उठता है कि मेयर और आयुक्त के बीच विवाद की नौबत क्यों आई? जयपुर में कचरा उठाने का ठेका बीवीजी कंपनी के पास है। जयपुर में प्रतिदिन 1500 टन कचरा एकत्रित होता है, इस कचरे को शहर भर से उठाने का काम ही यह कंपनी करती है। लेकिन कंपनी द्वारा सही तरीके से कचरा नहीं उठाने को लेकर पार्षद और जागरूक नागरिक शिकायत कर रहे थे। जब कंपनी के भुगतान में कटौती की जाती तो कंपनी ने हड़ताल की धमकी दी और 5 जून से कचरा उठाने का काम बंद कर दिया। हड़ताल की स्थिति को देखते हुए मेयर ने आयुक्त को सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। लेकिन निगम प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था के बजाए बीवीजी कंपनी को भुगतान करने की बात कही। इसी मुद्दे पर आयुक्त और मेयर के बीच विवाद हो गया। यानी जो विवाद सफाई ठेका कंपनी के भुगतान से शुरू हुआ था वह मेयर और पार्षदों के सस्पेंड होने तक पहुंच गया। असल में सभी शहरी निकायों में सफाई कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पार्षद से लेकर तमाम अधिकारी ठेका कंपनी के इशारे पर ही नाचते हैं। हो सकता है कि जयपुर में ठेकेदार के पास काम करने वाले सफाई कर्मी सड़कों पर प्रदर्शन करें। सवाल यह भी है कि जब सरकार ने बड़ी संख्या में स्थायी सफाई कर्मियों की नियुक्ति कर रखी है,तब ठेकेदार पर ही निर्भरता क्यों बनी रहती है। सरकार को मेयर को सस्पेंड करने से पहले स्थायी सफाई कर्मचारियों से काम करवाना चाहिए था। सरकार ने जिन कारणों से मेयर को सस्पेंड किया है, वे कारण अदालत में नहीं टिक पाएंगे। सौम्या गुर्जर अब हाईकोर्ट पहुंच गई है। मालूम हो कि गत वर्ष अजमेर की केकड़ी नगर पालिका के अध्यक्ष अनिल मित्तल को भी राजनीतिक कारणों से सस्पेंड किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने मित्तल को एक झटके में बहाल कर दिया। हाईकोर्ट के दखल के बाद मित्तल ने पालिकाध्यक्ष के पद पर कार्यकाल पूरा भी किया।
8 जून को प्रदेशभर में भाजपा का विरोध प्रदर्शन:
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने जयपुर की मेयर को सस्पेंड करने को अलोकतांत्रिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को न्यायालय में तो चुनौती दी जाएगी ही, साथ ही भाजपा के कार्यकर्ता 8 जून को प्रदेशभर में मंडल स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं को लोकतांत्रिक अधिकारों का सबसे बड़ा पक्षधर बताते हैं, लेकिन उन्हीं की सरकार ने एक निर्वाचित मेयर को सस्पेंड किया है। असल में कांग्रेस को यह रास नहीं आ रहा है कि जयपुर ग्रेटर नगर निगम में भाजपा की मेयर हो। चुनाव में हारने के बाद अब कांग्रेस ने गैर कानूनी तरीके से अपना कब्जा निगम पर कर लिया है। जनता कांग्रेस के इस कृत्य का मुंह तोड़ जवाब देगी।
कोर्ट के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं:
वहीं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जयपुर की मेयर का निलंबन नगर पालिका के प्रावधानों के अंतर्गत किया गया है। यदि ऐसा निलंबन इतिहास में पहला है तो इतिहास में यह भी पहली बार हुआ है की मेयर की मौजूदगी में नगर निगम के आयुक्त के साथ धक्का मुक्की की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस घटना के लिए जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट में मेयर और तीन पार्षद दोषी पाए गए इसलिए उनका निलंबन किया गया है। जहां तक कोर्ट में जाने का सवाल है तो कोर्ट के दरवाजे सभी के लिए दरवाजे खुले होते हैं। भाजपा के नेताओं को कोर्ट जाने से कोई नहीं रोक रहा है। विरोध प्रदर्शन करना तो भाजपा की आदत है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (07-06-2021)
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