कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह 22 जून को गांधी परिवार द्वारा गठित सुलह कमेटी के समक्ष उपस्थित हुए। पिछले 10 दिनों में अमरेन्द्र सिंह दूसरी बार कमेटी के समक्ष पेश हुए हैं। बार बार दिल्ली बुलाए जाने पर अमरेन्द्र सिंह ने नाराजगी जताई साथ ही कमेटी के अध्यक्ष मल्लिार्जुन खडग़े को स्पष्ट कहा कि वे नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्री नहीं बनाएंगे तथा सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनने देंगे। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सिद्धू को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। हालांकि पंजाब के असंतुष्ट कांग्रेसी विधायकों से गांधी परिवार के प्रमुख सदस्य राहुल गांधी स्वयं मिल रहे हैं, लेकिन इसका भी मुख्यमंत्री पर कोई असर नहीं हो रहा है। मीडिया रिपोर्टों में तो यहां तक हा गया है कि अमरेन्द्र सिंह ने पंजाब में अलग पार्टी बनाने की धमकी भी दी है। पंजाब में भी अगले वर्ष मार्च में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पंजाब की तरह राजस्थान में भी सचिन पायलट के नेतृत्व में असंतुष्ट गतिविधियां लगातार चल रही है। लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गांधी परिवार का कोई दबाव काम में नहीं आ रहा है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरह अशोक गहलोत को भी दिल्ली तलब किया जाता, इससे पहले ही गहलोत ने स्वयं को आगामी 15 अगस्त तक के लिए क्वारंटीन कर लिया। यानी गहलोत अब 15 अगस्त से पहले मुख्यमंत्री के सरकारी आवास से बाहर नहीं निकलेंगे। स्वयं को दो माह के लिए क्वारंटीन होने की घोषणा कर गहलोत ने सचिन पायलट से किसी समझौते की संभावना से भी इंकार कर दिया है। जब गहलोत किसी से बात ही नहीं करेंगे तो फिर समझौता किससे होगा? उल्टे 13 निर्दलीय विधायकों की बैठक करवा कर सीधे गांधी परिवार को चुनौती दी गई है। स्वयं 13 निर्दलीय विधायक स्वयं को अशोक गहलोत के प्रति वफादार बता रहे हैं। यानी ऐसे विधायकों का कांग्रेस पार्टी से कोई सरोकार नहीं है। सब जानते हैं कि असंतुष्ट नेता सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के 18 विधायक हैं, वहीं इन 18 विधायकों की भरपाई सीएम गहलोत ने 13 निर्दलीय विधायकों से कर रखी है। जबकि गत वर्ष बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया था। गहलोत का मानना है कि यदि पायलट के नेतृत्व में 18 विधायक दोबारा से बगावत करते हैं तो भी उनकी सरकार को खतरा नहीं है। जब सरकार को खतरा नहीं है तो फिर वे पायलट से सुलह क्यों करें? गांधी परिवार जिस तरह पंजाब में अमरेन्द्र सिंह के सामने बेबस है, वही स्थिति राजस्थान में अशोक गहलोत के सामने है। वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनाने में भले ही सचिन पायलट और उनके समर्थकों का परिश्रम रहा हो, लेकिन आज प्रदेश के हालात गहलोत के नियंत्रण में है। गहलोत ने 200 में से 110 विधायकों का बहुमत बनाए रखा हुआ है। इन 110 विधायकों में पायलट गुट वाले 18 कांग्रेसी विधायक शामिल नहीं है। पायलट गुट के 18 विधायक लगातार आरोप लगा रहे हैं कि गहलोत सरकार में पिछड़े वर्गों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मौजूदा हालातों में गांधी परिवार पंजाब और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के सामने बेबस नजर आ रहा है। अमरेन्द्र सिंह और अशोक गहलोत अब गांधी परिवार और कांग्रेस के भरोसे नहीं, बल्कि खुद के दम पर मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस के इतिहास में अशोक गहलोत पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे, जिन्होंने स्वयं को दो माह के लिए मुख्यमंत्री आवास में क्वारंटीन किया हो। अब तक तो गांधी परिवार की सहमति के बगैर कोई मुख्यमंत्री एक दिन भी मुख्यमंत्री आवास में नहीं रह सकता था।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2021)
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