Thursday 3 February 2022

उर्स के दौरान ख्वाजा साहब की दरगाह में हालात बिगड़े तो कौन जिम्मेदार होगा?मुख्य सचिव उषा शर्मा और मुख्यमंत्री की सचिव आरती डोगरा तो खुद अजमेर की कलेक्टर रह चुकी हैं।रात के समय जायरीन के सैलाब को दरगाह में जाने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है।

अजमेर का जिला और पुलिस प्रशासन चाहता है कि ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान भी राज्य सरकार की कोरोना गाइडल की पालना हो। सरकार ने प्रदेश में रात 8 बजे सभी धार्मिक स्थल बंद करने की गाइड लाइन जारी कर रखी है। चांद दिखने पर अजमेर में ख्वाजा साहब का छह दिवसीय सालाना उर्स 2 फरवरी से ही शुरू हो गया है। उर्स की अधिकांश धार्मिक रस्में रात को ही होती हे। इन रस्मों में हजारों जायरीन भाग लेते हैं। उर्स अवधि में जन्नती दरवाजा भी खुलता है। दो फरवरी को जब जिला और पुलिस प्रशासन रात आठ बजे बाद दरगाह में कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने लगा तो हालात बेकाबू हो गए। यह माना कि जिला कलेक्टर अंशदीप और पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा के लिए इंतजामों की दृष्टि से यह पहला उर्स है, लेकिन राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा और मुख्यमंत्री की प्रमुख सचिव आरती डोगरा तो अजमेर की कलेक्टर रह चुकी हैं। ये दोनों महिला अधिकारी दरगाह में उर्स के दौरान होने वाली धार्मिक रस्मों और उर्स में आने वाले जायरीन के जुनून से भी अवगत है। इन दोनों को यह पता है कि उर्स में राज के समय जारीन के सैलाब को दरगाह में प्रवेश से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। ऐसा नहीं हो सकता कि अंदर उर्स की रस्तें हो रही हों और दरगाह के बाहर जायरीन को रोक दिया जाए। छह दिवसीय उर्स में रात के समय दरगाह में धार्मिक कव्वालियों से लेकर पवित्र मजार पर गुस्ल तक होती है। दरगाह में जायरीन की जियारत का सिलसिला भी जारी रहता है। 2 फरवरी को जो हालात उत्पन्न हुए उसे देखते हुए खादिमों के एक शिष्टमंडल ने 3 फरवरी को जयपुर में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री साले मोहम्मद से मुलाकात की। मंत्री साले मोहम्मद से आग्रह किया गया कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संवाद कर उर्स के दौरान अजमेर में कोरोना गाइडलाइन में छूट दिलवाएं। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उर्स के दौरान जायरीन को दरगाह में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है। जब जायरीन को ट्रेन, रोडवेज की बस और अपने वाहनों से आने की छूट है तो फिर उर्स के दौरान दरगाह में प्रवेश से रोकना बेमानी है। अंगारा शाह ने कहा कि 4 फरवरी को जुम्मे की नमाज के लिए हजारों जायरीन 3 फरवरी की रात को ही दरगाह में आ जाएंगे। ऐसे में गाइडलाइन का हवाला देकर जायरीन को दरगाह से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। अच्छा होता कि सरकार जायरीन को अजमेर ही नहीं आने देती। उर्स के इंतजामों को लेकर खादिम समुदाय ने हमेशा से ही प्रशासन और सरकार को सहयोग किया है, लेकिन अब हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं। यदि गाइड लाइन में छूट नहीं दी जाती है तो हालातों की जिम्मेदारी सरकार की होगी। अंगारा शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत तो उर्स के दौरान जियारत के लिए दरगाह में आते रहते हैं। उन्हें उर्स में जायरीन की भीड़ का अंदाजा है। धार्मिक दृष्टि से उर्स का समापन 8 फरवरी को कुल की रस्म के साथ होगा। उर्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी तक अपनी ओर से चादर भेजती हैं, जिन्हें सूफी परंपरा के अनुरूप ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किया जाता है। सोनिया गांधी की ओर से भेजी गई चादर को तो खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लेकर आएंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (03-02-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

No comments:

Post a Comment