कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि भाजपा विपक्ष को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने दे रही है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस के बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए है तो दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल दिया गया है। विपक्ष के नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों से कार्यवाही करवाई जा रही है। राहुल गांधी कुछ भी कहे, लेकिन सब जानते हैं कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन घोटाले और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में जेल जाना पड़ा है। इसके विपरीत राजस्थान में तो कांग्रेस के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ना नहीं चाहते। अब झुंझुनूं के कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेंद्र ओला ने कहा कि उन्होंने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया था। लेकिन राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र सिंह ने पार्टी के संकट में होने की दुहाई देकर उम्मीदवार बनवा दिया। बृजेंद्र ओला तीसरे ऐसे उम्मीदवार है, जो चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। इससे पहले जयपुर शहर के कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कहा था कि वे मजबूरी में चुनाव लड़ रहे हैं। राजसमंद के घोषित उम्मीदवार सुदर्शन रावत ने तो अपना टिकट ही पार्टी को लौटा दिया। रावत ने स्पष्ट कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ सकता। इतना ही नहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने तो कोटा के कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल को सांप्रदायिक विचारधारा का बता दिया। हो सकता है कि आने वाले दिन में कांग्रेस के अन्य उम्मीदवार भी अपनी भावना को प्रकट करे। कांग्रेस की यह स्थिति तब है, जब 25 में से 2 सीटें समझौते में दी गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बड़ी चतुराई से अपने गृह जिले सीकर की सीट सीपीएम आई को दिलवा दी। इसी प्रकार नागौर की सीट आरएलपी को दी गई है। इतना ही नहीं बांसवाड़ा से कांग्रेस अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी है। राहुल गांधी को भाजपा पर आरोप लगाने से पहले राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति को देख लेना चाहिए। जिन घोषित उम्मीदवारों ने चुनाव न लड़ने की बात कही है, उन पर किसी भी जांच एजेंसी का शिकंजा नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के उम्मीदवार आखिर चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते? इस सवाल का जवाब जयपुर शहर के प्रत्याशी खाचरियावास ने ही दिया है। खाचरियावास का मानना है कि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा मजबूत स्थिति में है। एक ओर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े नेताओं में आपसी तालमेल भी नहीं है। राजस्थान कांग्रेस में गफलत का माहौल है। पहले भीलवाड़ा से डॉक्टर दामोदर गुर्जर को उम्मीदवार घोषित किया गया, लेकिन 29 मार्च को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भीलवाड़ा का उम्मीदवार बन दिया गया। जबकि दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से हटाकर राजसमंद भेज दिया गया। इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर संकट है। असल में गत दो बार से भाजपा प्रदेश की सभी 25 सीटें जीत रही है। इस बार भी भाजपा ने सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। प्रचार अभियान में भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा आगे नजर आ रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (31-03-2024)
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