Thursday, 9 January 2025
राज धर्म निभाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो 11 वर्षों से ख्वाजा साहब के उर्स में चादर पेश कर रहे हैं, तो क्या अब राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, स्टालिन, उमर अब्दुल्ला, असदुद्दीन ओवैसी जैसे राजनेता प्रयागराज के महाकुंभ में गंगा स्नान करेंगे?
अजमेर स्थित दरगाह में ख्वाजा साहब के 813 वें सालाना उर्स में इस बार भी 4 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री किरण रिजिजू ने सूफी परम्परा के अनुरूप मजार शरीफ पर चादर पेश की। देश का प्रधानमंत्री होने के नाते नरेन्द्र मोदी इस परम्परा को 11 वर्षों से निभा रहे हैं। यानी पीएम मोदी राजधर्म का पालन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, पंजाब और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, एआईएमआईएम चीफ गंगा स्नान करेंगे? भारत की सनातन संस्कृति में गंगा स्नान का खास धार्मिक महत्व है। यह 100 करोड़ से भी ज्यादा सनातनियों की आस्था से जुड़ा हुआ महापर्व है। इसे सनातन संस्कृति का विशाल हृदय ही कहा जाएगा कि महाकुंभ कोई तीन चार दिन नहीं बल्कि पूरे 45 दिन का है। कुंभ में पहला स्नान मकर संक्रांति के पर्व पर 13 जनवरी को होगा, जबकि अंतिम स्नान 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन होगा। श्रद्धालु लोग इन 45 दिनों की अवधि में अपनी सुविधा से स्नान कर सकते हैं। यानी ममता बनर्जी से लेकर उमर अब्दुल्ला तक यह नहीं कह सकते कि 45 दिनों में उन्हें गंगा स्नान का समय ही नहीं मिला? भारत जब पंथनिरपेक्ष देश है, तब यहां के राजनेताओं के सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। भारत में संघीय व्यवस्था है इसलिए राज्यों के मुख्यमंत्री सर्वे सर्वा होते है। मुख्यमंत्रियों और प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की यह जिम्मेदारी होती है कि लोगों की भावनाओं का ख्याल रखें। सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्था सनातन धर्म है और वे समय समय पर मंदिरों और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाकर सनातन धर्म के अनुरूप पूजा पाठ और अनुष्ठा भी करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए राजधर्म निभाने के कारण दरगाह में सूफी संतों की मजार पर चादर भी पेश करते हैं। इस बार पीएम मोदी की चादर विशेष परिस्थितियों में पेश की गई । देश के मीडिया में जब अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने की चर्चा जोरों पर है तब भी पीएम मोदी ने राजधर्म निभाया। सभी आशंकाओं को पीछे धकेलते हुए मोदी की ओर से 4 जनवरी को चादर पेश की गई । इतना ही नहीं मोदी ने अपने संदेश में ख्वाजा साहब को शांति और भाईचारे का प्रतीक भी बताया। अब देखना होगा कि सौ करोड़ से भी ज्यादा सनातनियों की आस्था के अनुरूप देश के कितने राजनेता महाकुंभ में गंगा स्नान करते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-01-2025)
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