Sunday 23 November 2014

लोक के विरुद्ध आचरण से बचे बाबा रामदेव

लोक के विरुद्ध आचरण से बचे बाबा रामदेव
नीति वाक्य 'यद्यपि शुद्ध, लोक विरुद्धम, नहीं करणीयम, नहीं चरणियम
यानि हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जो लोक के विरुद्ध हो, भले ही ऐसा कार्य आपके शुद्ध मन से किया हो। इन सोशल मीडिया पर योगगुरु बाबा रामदेव का एक फोटो वायरल हो रहा है। इस फोटो में बाबा रामदेव एक युवती के साथ कंधे से कंधे मिला कर बैठे है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि बाबा शुद्ध मन से युवती के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं। मतलब यह फोटो किसी ने चोरी छिपे नहीं, युवती की सहमति से खींचा है। फोटो खिंचवाते वक्त बाबा को भी अहसास नहीं होगा, यह फोटो किस रूप में जनता के समक्ष जाएगा। मैं भी समझता हूं कि इस फोटो में कोई गलत बात नहीं है, लेकिन सवाल उस नीति वाक्य का है जो हमारी संस्कृति के ग्रंथों में लिखा है। यह नीति वाक्य इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि बाबा रामदेव स्वयं को भारतीय संस्कृति का झंडाबरदार मानते है। इतना ही नहीं बाबा सन्यासी होने के साथ-साथ रोजाना लोगों को योग सिखाते है। ऐसे में बाबा से यह उम्मीद की जाती है कि वे तो कम से कम भारतीय संस्कृति के अनुरूप आचार करें। माना बाबा सभी युवतियों को बहन-बेटी मानते हैं, लेकिन यह हमारी ही संस्कृति है,जिसमें एक धोबी के कहने से मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी अपने देवी समान पत्नी सीता पर शक कर लिया था। अब तो कलयुग है, जहां राम से ज्यादा रावणों की संख्या है। यदि बाबा रामदेव जैसे योगी भी लोक  विरुद्ध आचरण करेंगेे तो पश्चिमी संस्कृति में भीगते भोगवादी क्या नहीं कर सकते हंै। बाबा स्वयं के खातिर नहीं तो कम से हमारी संस्कृति के खातिर तो लोक के विरुद्ध आचरण नहीं करे। माना कि अब बाबा भी जेड सुरक्षा लेकर सत्ता का स्वाद चखने लगे है, लेकिन देशवासियों को उम्मीद है कि बाबा के इस स्वाद से मदहोश नहीं होंगे और पहले की तरह करोडों नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा रखेंगे। लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रखने में बाबा ने महत्वूपर्ण भूमिका निभाएं है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। (एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogstop.in)

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