Wednesday 17 February 2021

अजमेर के अधिकांश दिशा सूचक बोर्डों पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं का कब्जा। महावीर सर्किल वाले बोर्ड का बुरा हाल।ख्वाजा उर्स में आने वाले जायरीन परेशान हो रहे हैं, लेकिन जायरीन की परेशानी की फिक्र नहीं है जिला और नगर निगम प्रशासन को। क्या जिम्मेदार अधिकारी दबंग नेताओं से डरते हैं?

अजमेर में इन दिनों ख्वाजा साहब का सालाना उर्स भर रहा है। देश भर से हजारों जायरीन उर्स में शिरकत करने के लिए आए हुए हैं। ऐसे शहर के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर लगे दिशा सूचक बोर्डों का खास महत्व है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि शहर के अधिकांश बोर्डों पर भाजपा और कांग्रेस के दबंग नेताओं का कब्जा हो गया है। मेरे फेसबुक पेज पर  www.facebook.com/SPMittalblog महावीर सर्किल के दिशा सूचक बोर्ड का फोटो देखा जा सकता है। इस बोर्ड पर अजमेर की नवनिर्वाचित मेयर श्रीमती बृजलता हाड़ा और कांग्रेस के नेताओं के फ्लैक्स लगे हुए हैं, जिससे बोर्ड पर लिखी गई सूचना छिप गई है। चूंकि महावीर सर्किल ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़ा हुआ है, इसलिए जायरीन के लिए बोर्ड पर लिखी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। बोर्ड पर रोडवेज बस स्टैंड, सर्किट हाउस, रेलवे स्टेशन तथा जयपुर आदि स्थानों पर जाने के लिए संकेत दिए गए हैं। किसी भी शहर में ऐसे संकेत बोर्ड बहुत मायने रखते हैं। और जब अजमेर में उर्स में हजारों जायरीन आए हुए हों तो बोर्डों का और भी महत्व है। ऐसे दिशा सूचक बोर्ड नगर निगम की सम्पत्ति होते हैं। ऐसे बोर्डों पर अतिक्रमण नहीं हो, इसकी जिम्मेदारी निगम प्रशासन की है। चूंकि निगम पर भाजपा का कब्जा है, इसलिए मेयर को बधाई देने वाले फ्लैक्स उतारने की हिम्मत निगम के अधिकारियों की नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए ही कांग्रेस के नेताओं ने भी अपने फ्लैक्स लगा दिए हैं। आखिर कांग्रेस तो राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी है। दबंग नेताओं के फ्लैक्सों को देखते हुए ही जिला प्रशासन भी आंखें बंद कर बैठा हुआ है। प्रशासन के बड़े अधिकारी दरगाह जाने के लिए महावीर सर्किल से ही गुजरते हैं, लेकिन दिशा सूचक बोर्ड को देख कर अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। देखा जाए तो पुलिस की ज़िम्मेदारी भी बनती है, लेकिन जब जिला और निगम प्रशासन ही आंखें बंद कर बैठा है तो फिर पुलिस प्रशासन अपनी आंखें क्यों खोले? जिम्मेदार विभागों की अनदेखी की वजह से गली कूचों के उन नेताओं की मौज हो गई है जो दो चार सौ रुपए खर्च कर फ्लैक्स बनवाते हैं। बड़े नेताओं के फोटो लगाकार खुद लोकप्रिय हो रहे हैं। लेकिन इससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को भले ही यह समस्या छोटी लगे, लेकिन जो जायरीन बाहर से आया है उसके लिए यह बड़ी समस्या है। उम्मीद की जानी चाएिह कि उर्स के दौरान तो नेताओं के फ्लैक्स दिशा सूचक बोर्डों से हटाए जाएं। जिन नेताओं के फोटो हैं वे भी सकारात्मक पहल कर सकते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (17-02-2021)
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