Friday 19 February 2021

तेल मूल्यों की वृद्धि के विरोध में यदि अमिताभ और अक्षय ने ट्वीट नहीं किया तो कांग्रेस के कार्यकर्ता मुंबई में शूटिंग नहीं होने देंगे।फिर से दिल्ली कूच के लिए ट्रेक्टरों को तैयार रखें। कानून वापस नहीं हुए तो फसल भी जला देंगे-राकेश टिकैत।

स्वयं को प्रगतिशील और बुद्धिजीवी बता कर जिन लोगों ने पूर्व में अवार्ड हासिल किए उन्हें अब अक्सर देश में असहिष्णुता नजर आती है। कई बार ऐसे बुद्धिजीवी और कलाकार अपने अवार्ड वापस करने की घोषणा भी करते हैं, लेकिन अब ऐसे लोगों को ताजा बयानों पर गैर करना चाहिए। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने धमकी दी है कि फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार ने यदि तेल मूल्यों की वृद्धि का विरोध नहीं किया तो इन दोनों अभिनेताओं की फिल्मों की शूटिंग नहीं होने दी जाएगी। यानि अमिताभ और अक्षय को फिल्मों की शूटिंग करनी है तो तेल मूल्य वृद्धि का विरोध करना ही पड़ेगा। क्या यह धमकी असहिष्णुता वाली नहीं है? क्या आप किसी कलाकार को धमका कर विरोध करवा सकते हैं? सब जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार जैसे अभिनेता हमेशा राष्ट्रहित की बात करते हैं। अमिताभ बच्चन तो सरकार के जनहित के विज्ञापनों के पैसे भी नहीं लेते हैं तथा अक्षय कुमार हमारे शहीद जवानों के परिवारों की मदद करने के लिए अभियान चलाते रहते हैं। नाना पटोले की धमकी का कितना असर होगा, आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इससे एक राजनीतिक दल की सोच का पता चलता है।
टिकैत की भी धमकी:
कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने धमकी दी है कि कानून वापस नहीं हुआ तो किसान अपनी फसलें जला देंगे। टिकैत का यह भी कहना है कि दिल्ली में दोबारा से मार्च के लिए किसानों को अपने टे्रक्टरों में डीजल भरवा कर तैयार रखना है। सब जानते हैं कि 26 जनवरी को ट्रेक्टर मार्च की आड़ में दिल्ली में कैसी हिंसा हुई थी। अभी इस हिंसा के आरोपी गिरफ्तार हो ही रहे हैं कि दोबारा से टे्रक्टर मार्च की धमकी दे दी गई है। टिकैत की ऐसी धमकियों का कितना असर होता है, यह समय ही बताएगा, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्या ऐसी धमकियां दी जा सकती है? एक तरफ कहा जा रहा है कि किसान गरीब है तो दूसरी ओर गरीब किसान की फसल ही जलवाई जा रही है। सरकार ने जब यह स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानून वैकल्पिक है, तब कानूनों को वापस लेने की मांग बेमानी है। यदि कोई किसान परंपरागत तरीके से ही खेती कर अपनी फसल मंडियों में बेचना चाहता है तो उसे पूरी तरह छूट है। सरकार की पहल के बाद ही दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है। खुद राकेश टिकैत यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि में किसान पंचायतें कर रहे हैं। महाराष्ट्र में तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार ने राकेश टिकैत को किसान सम्मेलन करने की अनुमति ही नहीं दी है। आंदोलन के कमजोर होने के बाद ही राकेश टिकैत धमकी भरी भाषा बोल रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (19-02-2021)
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