आम आदमी पार्टी के नेता जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को स्वतंत्रता सेनानी मान रहे है। नेताओं का कहना है कि जिस प्रकार सरदार भगत सिंह और भीम राव अंबेडकर ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया, वैसा ही आंदोलन अब केजरीवाल मौजूदा भाजपा सरकार की तानाशाही के खिलाफ कर रहे है। यही वजह है कि पार्टी ने अब प्रचार सामग्री में भगत सिंह और अंबेडकर की फोटो के बीच केजरीवाल का फोटो भी लगा दिया है। सवाल उठता है क्या केजरीवाल को स्वतंत्रता सेनानी माना जा सकता है? भगत सिंह और अंबेडकर तो अपने देश की आजादी के लिए जेल में गए थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल तो 100 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में जेल गए हैं। केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं पर जो आरोप लगे है वे अदालतों में विचाराधीन है। किसी भी अदालत ने नेताओं को आरोप मुक्त नहीं किया है। यहां तक कि जमानत भी नहीं मिली है। संजय सिंह को भी जमानत इसलिए मिली कि जांच एजेंसी ईडी ने विरोध नहीं किया। जमानत देने वाले न्यायाधीश ने भी कहा कि हमारे इस निर्णय को मिसाल नहीं माना जाए। जो केजरीवाल शराब घोटाले के आरोप हैं, उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कैसे माना जा सकता है। अंग्रेजों के शासन में तो नागरिकों को कोई अधिकार नहीं थे, जबकि आज अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री है और पंजाब में भी उन्हीं की पार्टी की सरकार है। यदि तानाशाही होती तो केजरीवाल की पार्टी दिल्ली और पंजाब राज्यों में सरकार कैसे बनाती? देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इसलिए केजरीवाल की पार्टी के दो दो मुख्यमंत्री है। सत्ता का इतना सुख भोगने के बाद भी केजरीवाल को स्वतंत्रता सेनानी बताया जा रहा है। जबकि अंग्रेजों के समय तो स्वतंत्रता सेनानियों को जेलों में यातनाएं दी जाती थी। इसके विपरीत केजरीवाल तो तिहाड़ जेल से ही दिल्ली की सरकार चला रहे है। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए घर का स्वादिष्ट खाना भी जेल में दिया जा रहा है। जब केजरीवाल जेल से सरकार चलाने का अधिकार रखते हैं तो स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो सकते हैं? केजरीवाल की तुलना सरदार भगत सिंह और अंबेडकर से करना भी उचित नहीं है। देश की आजादी के लिए भगत सिंह ने खुशी खुशी फांसी का फंदा अपने गले में डाल लिया। जबकि केजरीवाल तो शराब घोटाले का एक भी आरोपी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जांच एजेंसियों ने एक नहीं कई सबूत प्रस्तुत किए हैं। इन सबूतों से जाहिर होता है कि पैसों की लालच में दिल्ली की शराब नीति में बदलाव किया गया। जिसकी वजह से 2 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई। लेकिन फिर भी केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता स्वयं को कट्टर ईमानदार मान रहे है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-04-2024)
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