Friday, 28 March 2025
नव संवत्सर पर अजमेर में चौराहों की सजावट, मंदिर में सुंदर कांड, विक्रम मेला, वाहन रैली, सूर्य वंदना आदि के साथ साथ मिश्री और तुलसी से मुंह मीठा कराया जाएगा। अजमेर थियेटर फेस्टिवल का शानदार आगाज। सरकारी दफ्तरों में 31 मार्च को मनेगा नवसंवत्सर।
विक्रम संवत 2082 के पहले दिन यानी 30 मार्च को नव संवत्सर के अवसर पर अजमेर में विभिन्न आयोजन होंगे। नवसंवत्सर समारोह समिति के संयोजक सुनील दत्त जैन ने बताया कि पूर्व संध्या पर 29 मार्च को सायं छह बजे से रीजनल कॉलेज चौराहा स्थित आनासागर चौपाटी पर विक्रम मेले का आयोजन किया गया है। मेले में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों की प्रस्तुत होगी तथा 25 झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस अवसर पर बच्चों को खाद्य सामग्री निशुल्क दी जाएगी। मेला स्थल पर ही रक्तदान शिविर भी रखा गया है, युवा वर्ग स्वेच्छा से रक्तदान कर सकते हैं। जैन ने बताया कि अगले दिन 30 मार्च की सुबह पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के सामने चौपाटी पर सूर्य वंदना का कार्यक्रम संस्कार भारती की ओर से किया जाएगा। इसमें शास्त्रीय संगीत के माध्यम से सूर्य की उपासना होगी। उन्होंने बताया कि अजमेर शहर के 25 से भी ज्यादा चौराहों को सजाया जा रहा है। कई चौराहों पर बैंड वादन भी होगा। चौराहों पर समिति से जुड़ी 128 टोलियों के कार्यकर्ता लोगों का स्वागत करेंगे। तिलक लगाकर मिश्री और तुलसी से मुंह मीठा कराया जाएगा। इसके साथ ही महानगर की बस्तियों में 29 मार्च को मंदिरों में सुंदरकांड का पाठ होगा। 29 मार्च को ही नगरा क्षेत्र से विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता एक वाहन रैली निकालेंगे तो जो रीजनल कॉलेज चौपाटी पर आयोजित विक्रम मेले में शामिल होगी। जैन ने बताया कि सनातन धर्म के प्रति जन जागरण के लिए नव संवत्सर से पहले अनेक स्थानों पर विचार गोष्ठियां आयोजित की गई, इसमें प्रचार सामग्री का वितरण किया गया। उन्होंने बताया कि नवसंवत्सर के आयोजनों को लेकर शहर भर में उत्साह देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नवसंवत्सर के आयोजन हमारी सनातन संस्कृति को मजबूत करते हैं।
सरकारी दफ्तरों में 31 को:
चूंकि 30 मार्च को रविवार है, इसलिए सरकारी दफ्तरों में नवसंवत्सर के आयोजन सोमवार 31 मार्च को होंगे। जिन दफ्तरों के परिसर में मंदिर बने हुए हैं वहां धार्मिक आयोजन होंगे। साथ ही सनातन धर्म को मानने वाले कार्मिक एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर नवसंवत्सर पर्व मनाएंगे। नव संवत्सर के कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829147270 पर संयोजक सुनील दत्त जैन से ली जा सकती है।
व्यंग्य बाणों पर सजी फूलों की सेज सा चुटीला हास्य चूड़ामणि:
*बाय : डॉ. रमेश अग्रवाल*
व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब और टी.वी. से परे, बंद कमरों की घुटन से दूर, एक ही सभागार में, एक ही मानसिक धरातल पर बैठ कर और एक सी गुदगुदी तरंग पर नगर के सैंकड़ों प्रबुद्ध जन नें 27 मार्च को एक लम्बे अन्तराल के बाद अत्यन्त स्वस्थ मनोरंजन की बयार को साझे महसूस किया। सतगुरू इन्टरनेशनल स्कूल के आगाज सभागार में आरम्भ हुए चार दिवसीय थियेटर फेस्टीवल के पहले ही दिन सौरभ अनंत द्वारा निर्देशत एवं भोपाल के विहान ड्रामा वर्क्स द्वारा मंचित हास्य प्रहसन हास्य चूड़ामणि ने आगाज के साथ ही फेस्टीवल को चरम ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।
प्राचीन पृष्ठ भूमि पर रचित इस प्रहसन में आधुनिक प्रसंगों के समावेश ने हाल में उपस्थित दर्शकों को एक बिल्कुल नये एवं अनूठे अहसास से अवगत कराया। प्रहसन की पूरी पठकथा एक चोर द्वारा किसी गणिका के गहनों की पुटरिया चुरा कर इसे किसी पाखंडी बाबा के पास छिपाने एवं पीड़ित गणिका द्वारा पुटरिया की खोज में तंत्र मंत्र की गरज से इसी बाबा के पास जा पहुंचने के इर्द गिर्द घूमती है। रोचक एवं कसी हुई पटकथा में लपेट कर न सिर्फ बाबागिरी के पाखंड बल्कि अंधविश्वास एवं आडम्बर में आकंठ डूबे मौजूदा परिवेश पर जोरदार प्रहार किया गया है। प्राचीन कथाओं मैं नजर आने वाले पात्रों के से चरित्र वाले पात्रों के मुंह से नैटवर्क पकड़ने की कोशिश कर रहा हूं, क्यू आर कोड स्कैन करना न भूलें, लाइक और सब्सक्राइब भी करें जैसे संवाद, गुदगुदाने वाले अछूते से हास्य का अहसास कराते हैं। बाबा -चेले की चकल्लस के दौरान कई चुटीले संवाद व्यंग्य की पराकाष्ठा छूते से दिखाई देते हैं मसलन, चोरी का माल छिपाने के लिये बाबाओं से ज्यादा सुरक्षित और कौन सी जगह हो सकती है …….. एक स्थान पर चेला कहता है मैं तो बस यहां से वहां घूमता रहता हूं तो बाबा कहता है, तू क्या देश का प्रधानमंत्री है। योग और आध्यात्म के पर्दे में अपने ब्रांड की मार्केटिंग करने वाले स्वामियों पर किया गया व्यंग्य भी जैसे मलमल पर नक्काशी की तरह कढ़ा हुआ नजर आया। हास्य चूड़ामणि की प्रस्तुति को यादगार बनाने वाला सबसे महत्वपूर्ण घटक इसके कलाकारों का असाधारण एवं उच्च स्तरीय अभिनय था। प्ले के आरम्भ में प्रस्तुत नृत्य गान के दौरान ही इन कलाकारों की मुख मुद्राओं ने अहसास करा दिया था कि आगे होने वाली प्रस्तुति किस कदर हास्य से भरपूर रहने वाली है। लगभग सभी कलाकारों के हाथ पैरों की लयबद्धता और भावाभिव्यक्तियों की चपलता हैरत में डालने वाली थी।
कुल मिला कर हास्य चूड़ामणि अजमेर थियेटर फेस्टीवल की एक यादगार उपलब्धि कही जा सकती है। शहर से इतनी दूर और वह भी थियेटर से जुड़े कार्यक्रम में दर्शकों की जितनी उपस्थिति थी वह उत्साहवर्द्धक कही जा सकती है। कुल मिला कर योबी जार्ज , उनकी टीम व रंगकर्म से जुड़े अजमेर के सभी कलाकार इस साझे प्रयास के लिये बधाई के पात्र हैं। शुक्रवार 28 मार्च को इसी मंच पर जोधकुल के अभिनय गुरुकुल के निर्देशक द्वय अरु स्वाति व्यास के नाटक खांचे का प्रदर्शन होगा।
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अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को बंद करवा दिया जाएगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी को गौशालाओं से दुर्गंध का एहसास होता है। सनातन संस्कृति में तो गौमाता, मनुष्य का जीवन चक्र है।
27 मार्च को कन्नौज के एक समारोह में समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को दुर्गंध पसंद है, इसलिए गौशालाएं बनाई जा रही है, जबकि समाजवादी पार्टी को सुगंध पसंद है, इसलिए इत्र पार्क विकसित किए गए। उन्होंने कहा कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर दुर्गंध को बंद कर दिया जाएगा। अखिलेश यादव के बयान से प्रतीत होता है कि यदि वह दोबारा से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते हैं तो प्रदेश में गौशालाओं को बंद कर देंगे। हो सकता है कि गौशालाओं के स्थान पर इत्र के शोरूम खोल दिए जाए। गौशालाओं के बंद हो जाने से गौ माता की स्थिति कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। गौशालाओं से अखिलेश यादव को भले ही दुर्गंध का अहसास होता हो, लेकिन सनातन संस्कृति में तो गौमाता, मनुष्य के जीवन का चक्र है। यहां तक माना जाता है कि जिस घर के आंगन में गाय रहती हो वह घर निरोगी होता है। न केवल गाय का दूध मनुष्य के शरीर को मजबूत बनाता है बल्कि गाय के गोबर और मूत्र से तैयार होने वाली खाद का उपयोग खेती में किया जाता है। गौमाता के गोबर और मूत्र से तैयार खाद से जो फसल तैयार होती है, वह भी क्वालिटी की दृष्टि से उत्तम होती है। यहां तक कि फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का उपयोग भी नहीं करना पड़ता है। गौमाता की वजह से ही भारत में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। भारत की सनातन संस्कृति में गाय को सिर्फ एक दुधारू पशु नहीं माना गया बल्कि माता का दर्जा दिया गया है। घर-परिवार की महिलाएं तो गायों को पूजती है। हमारे यहां गोवर्धन पूजन की परंपरा है। गौशालाओं से दुर्गंध आने की बात कहकर अखिलेश यादव ने भारत की सनातन संस्कृति का भी अपमान किया है। अखिलेश ने ऐसा तब कहा जब यादव समुदाय को भगवान कृष्ण का अनुयायी माना जाता है। भगवान कृष्ण तो स्वयं गौभक्त हैं। उन्हें तो ग्वाले (गाय पालक)की उपाधि भी दी गई है। अखिलेश को ऐसा बयान देने से पहले अपने यादव समाज की धार्मिक भावनाओं को तो ख्याल रखना चाहिए था।
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फर्स्ट इंडिया मीडिया समूह की ओर से 29 मार्च को होटल मेरवाड़ा स्टेट में अजयमेरु गौरव सम्मान का भव्य समारोह। 25 से ज्यादा विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा।
फर्स्ट इंडिया मीडिया समूह की ओर से अजमेर में 29 मार्च को दोपहर तीन बजे से होटल मेरवाड़ा स्टेट में अजयमेरु गौरव सम्मान का भव्य आयोजन होगा। इस मीडिया समूह में राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल भारत 24, फर्स्ट इंडिया (राजस्थान के साथ साथ) अंग्रेजी का फर्स्ट इंडिया अखबार और दैनिक सच बेधड़क शामिल है। मीडिया समूह के सीईओ एवं मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा (रिटायर्ड आईएएस) ने बताया कि फर्स्ट इंडिया पहला न्यूज चैनल है, जिसमें ओटीटी प्लेटफार्म पर एंटरटेनमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की है। इससे राजस्थान के कलाकारों को अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। ओटीटी के प्रोग्राम बेहद लोकप्रिय हो रहे है। इसी क्रम में हमारे मीडिया समूह द्वारा क्षेत्रवार गौरव सम्मान समारोह आयोजित किए जा रहे है। इसमें समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाता है। अजमेर के समारोह की अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी करेंगे। समारोह में जिले के जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। समारोह का लाइव प्रसारण फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर किया जाएगा। अरोड़ा ने शहरवासियों से समारोह में भाग लेने की अपील की है। इस कार्यक्रम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9870607288 पर चैनल के सीनियर जर्नलिस्ट शुभम जैन से ली जा सकती है।
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Thursday, 27 March 2025
कांग्रेस की बैठकों में अजमेर देहात अध्यक्ष राठौड़ दे रहे विदाई भाषण। विजय जैन को ही शहर अध्यक्ष मानते हुए दिल्ली बैठक में बुलाया गया है।
अजमेर देहात और शहर जिला कांग्रेस कमेटी राजस्थान भर में एकमात्र कमेटी है जिसे भंग किए जाने के बाद भी नए अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं की गई। इसलिए अगस्त 2020 से ही भूपेन्द्र सिंह राठौड़ देहात और विजय जैन शहर कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे हैं। इन दिनों प्रदेश भर में विधानसभा वार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन हो रहे हैं। अजमेर देहात में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 26 मार्च को ही केकड़ी विधानसभा क्षेत्र का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में प्रदेश द्वारा नियुक्ति जिला प्रभारी चेतन डूडी, केकड़ी के पूर्व विधायक रघु शर्मा आदि नेता मौजूद रहे। इस सम्मेलन में निवर्तमान जिलाध्यक्ष भूपेंद्र राठौड़ ने विदाई भाषण दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने उन्हें जिलाध्यक्ष नियुक्त किया था। उन्होंने पूरी सक्रियता के साथ संगठन को मजबूत बनाया, लेकिन 2020 में कैंसर रोग के कारण वे संगठन में सक्रिय नहीं रहे लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया। इसके लिए वे डोटासरा के आभारी है। राठौड़ ने कहा कि अब उन्होंने कैंसर रोग को मात दे दी है और वे पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं, लेकिन फिर भी चाहते हैं कि देहात में नया जिलाध्यक्ष नियुक्त हो जाए। अपने विदाई भाषण में राठौड़ पायलट और डोटासरा दोनों का ही आभार प्रकट कर रहे हैं। राठौड़ का कहना है कि वह किसी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी नहीं जता रहे। वे साधारण कार्यकर्ता की हैसियत से कांग्रेस में सक्रिय हैं। राठौड़ देहात के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के सहयोग के प्रति भी आभार जता रहे हैं। राठौड़ के ऐसे भाषणों से माना जा रहा है कि अब अजमेर में कांग्रेस का नया देहात अध्यक्ष नियुक्त होगा। राठौड़ के स्वास्थ्य और राजनीतिक सक्रियता के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829042432 पर ली जा सकती है।
दिल्ली बैठक में जैन को ही बुलावा:
3 अप्रैल को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस जिलाध्यक्षों की बैठक में विजय जैन को ही अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष मानते हुए आमंत्रित किया है। पार्टी के निर्देशों के अनुरूप विजय जैन ने दिल्ली बैठक की तैयारियां शुरू कर दी है। विजय जैन चाहते है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खडग़े और राहुल गांधी के समक्ष उन्हें बोलने का अवसर मिले। अगस्त 2020 में भले ही अजमेर की कांग्रेस कमेटी को भी भंग कर दिया हो, लेकिन नए अध्यक्ष की नियुक्त नहीं होने के कारण विजय जैन ही अध्यक्ष की भूमिका निभाते रहे। प्रदेश के निर्देशों पर शहर में विजय जैन के नेतृत्व में ही जन आंदोलन भी हुए। सचिन पायलट का कट्टर समर्थक होने के कारण अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए सरकार में विजय जैन की उपेक्षा भी हुई। लेकिन जैन ने अपनी सक्रियता को कम नहीं किया। कई बार तो जैन को सरकारी समारोह का बहिष्कार भी करना पड़ा, लेकिन जैन ने हमेशा संगठन के प्रति सेवा भाव दिखाया। अजमेर में कांग्रेस का कार्यालय न होने के कारण जैन ने केसरगंज स्थित अपने निजी दफ्तर को ही कांग्रेस का दफ्तर बना दिया। आज भी कांग्रेस की गतिविधियां इसी दफ्तर से संचालित होती है। कहा जा सकता है कि विजय जैन गत 9 वर्षों से शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का काम पूरी निष्ठा के साथ कर रहे हैं। उनके सरल स्वभाव को अशोक गहलोत के समर्थक भी प्रशंसा करते हैं। दिल्ली बैठक में बुलाए जाने पर विजय जैन गदगद हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि विजय जैन को ही शहर कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर रिपीट किया जाएगा। ताजा राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9414002529 पर विजय जैन से ली जा सकती है।
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डोटासरा और जूली ने राजस्थान के कांग्रेसियों की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट दिल्ली में बड़े नेताओं को बताई। इस रिपोर्ट पर ही राहुल गांधी 3 अप्रैल को प्रदेश के जिला अध्यक्षों से संवाद करेंगे।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली 26 मार्च को दिल्ली प्रवास पर रहे। इन दोनों नेताओं ने दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मिल कर राजस्थान के संगठन और नेताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। मालूम हो कि प्रदेश प्रभारी सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विगत दिनों कहा था कि राजस्थान में भी कांग्रेस के नेताओं का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा। टेस्ट की रिपोर्ट राष्ट्रीय नेताओं को दी जाएगी और इस रिपोर्ट के अनुरूप ही नेताओं का भविष्य तय होगा। रंधावा के निर्देश पर ही डोटासरा और जूली ने अपने नजरिए से प्रदेश के नेताओं का डीएनए टेस्ट किया और उसी के अनुरूप राष्ट्रीय नेताओं को रिपोर्ट बताई। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी ने 27 मार्च से देश भर के कांग्रेस जिलाध्यक्षों से संवाद शुरू कर दिया है। पहले दिन ही 700 जिलाध्यक्षों से मुलाकात की। तय कार्यक्रम के अनुसर खडग़े और राहुल गांधी 3 अप्रैल को राजस्थान के सभी जिलाध्यक्षों से संवाद करेंगे। जिलाध्यक्षों से संवाद से पहले दोनों नेता डोटासरा और जूली द्वारा बताई गई डीएनए टेस्ट रिपोर्ट का भी अध्ययन कर लेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर ही जिलाध्यखों से फीडबैक लिया जाएगा। डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष अगस्त 2020 में तब बने थे, जब बगावत करने के कारण सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया था। कुछ वर्षों तक तो डोटासरा ने सचिन पायलट द्वारा नियुक्त अध्यक्षों से ही काम चलाया, लेकिन गत वर्ष डोटासरा ने अपने नजरिए से सभी 41 जिला कमेटियों के अध्यक्षों पर नियुक्त की। हाल ही में जो 9 नए जिले बने हैं उनमें अध्यक्ष का पद रिक्त है। डोटासरा चाहते हैं कि 3 अप्रैल से पहले इन नए जिलों में भी अध्यक्षों की नियुक्ति हो जाए ताकि राहुल गांधी के सामने प्रदेश के सभी जिलाध्यक्ष उपस्थित रहे। 3 अप्रैल को होने वाली बैठक के लिए सभी जिला अध्यक्षों को मौखिक तौर से सूचित कर दिया गया है। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने जिले के संगठन की स्थिति की रिपोर्ट बनाकर दिल्ली ले जाए। इस रिपोर्ट में संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ साथ संगठन की गतिविधियों की जानकारी भी दर्ज हो। जो पदाधिकारी निष्क्रिय हैं उनकी सूची भी रहनी चाहिए।
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नवरात्रि, चेटीचंड, रामनवमी, हनुमान जयंती जैसे पर्वों पर भी सनातनियों को पीएम मोदी की ओर से उपहार मिलने चाहिए-विहिप। ईद पर 32 लाख मुस्लिम परिवारों को मोदी किट देने का मामला।
हिंदू परिषद राजस्थान के सह प्रांत मंत्री एडवोकेट शशि प्रकाश इंदौरिया ने एक बयान जारी कर मांग की है कि अप्रैल माह में होने वाले नवरात्र, चेटीचंड, रामनवमी, हनुमान जयंती जैसे पर्वों पर भी सनातन धर्म के अनुयायियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाले उपहार मिलना चाहिए। ईद के मौके पर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे की ओर से देश भर में 32 लाख मुसलमानों को मोदी किट (सेंवई्र पिंड खजूर आदि सामग्री) वितरीत किए जाने के संबंध में एडवोकेट इंदौरिया ने कहा कि जब देश में सभी लोगों को समान अधिकार है, तो फिर सनातनियों की धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए यह अच्छी बात है कि ईद के पर्व पर मुस्लिम परिवारों को मोदी किट दिया जा रहा है, लेकिन असल में समरसता तो तभी होगी, जब सनातन धर्म के पर्वों पर भी हिंदुओं को उपहार दिए जाए। अप्रैल माह में नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती जैसे पर्व है। इन पर्वों के प्रति देश के सौ करोड़ से भी ज्यादा हिंदुओं की आस्था है। नवरात्र में भी करोड़ों सनातनी उपवास करते हैं। कई सनातनी तो चौबीस घंटे में सिर्फ एक बार पेयजल का उपयोग करते हैं। धर्म के प्रति सनातनियों की आस्था किसी दूसरे धर्म से कम नहीं है। इंदौरिया ने कहा कि जिस प्रकार मुस्लिम परिवारों को मोदी किट दिए जा रहे है, उसी प्रकार नवरात्र, चेटीचंड, हनुमान जयंती की परम्पराओं के अनुरूप सनातनियों को भी उपहार उपलब्ध कराई जाए। सनातनियों के पर्व और उनसे जुड़ी परंपराओं की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 941466374 पर एडवोकेट इंदौरिया से ली जा सकती है ।
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100 हिंदू परिवारों के बीच एक मुस्लिम परिवार सुरक्षित। क्या पचास मुस्लिम परिवारों के बीच पचास हिंदू परिवार सुरक्षित रह सकते हैं? योगी आदित्यनाथ के इस सवाल का जवाब राहुल गांधी, अखिलेश, ममता, लालू, केजरीवाल जैसे नेताओं को देना चाहिए।
लगातार आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएनआई न्यूज चैनल को एक इंटरव्यू देते हुआ कहा कि भारत में आम मुसलमान सुरक्षित है और यह सुरक्षा सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में है। मेरे मुख्यमंत्री बनने से पहले यूपी में जो सांप्रदायिक दंगे होते थे, उसमें मुसलमान भी मारे जाते थे, लेकिन 2017 के बाद यूपी में सांप्रदायिक बंद हो गए हैं। इसका लाभ मुस्लिम आबादी को भी मिला है। प्रदेश का मुसलमान स्वयं कह रहा है कि अब वह सुरक्षित है। योगी ने कहा कि 100 हिंदू परिवारों के बीच एक मुस्लिम परिवार पूर्ण सुरक्षित तरीके से रहता है। ऐसा मुस्लिम परिवार हिंदुओं के बीच सभी धार्मिक रस्मों को पूरा करता है। किसी भी हिंदू को मुस्लिम परिवार की धार्मिक रस्मों से कोई ऐतराज नहीं होता। लेकिन क्या पचास मुस्लिम परिवारों के बीच पचास हिंदू परिवार सुरक्षित रह सकते हैं? योगी ने कहा कि देश के हालात सर्वविदित है, लेकिन कुछ नेता अपने राजनीतिक स्वार्थों के खातिर मुसलमानों में डर और भय की बात करते हैं। योगी आदित्यनाथ ने मुसलमानों और हिंदुओं के डर को लेकर जो सवाल उठाया है उसका जवाब कांग्रेस के राहुल गांधी, सपा के अखिलेश यादव, टीएमसी की ममता बनर्जी, आरजेडी के लालू प्रसाद यादव, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं को देना चाहिए। असल में यह नेता ही वोट के खातिर मुसलमानों को डराते हैं। यूपी के सीएम योगी ने मुसलमानों को लेकर देश के हालातों की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की है। यह सही है कि मौजूदा समय में भारत में मुस्लिम आबादी 25 करोड़ के पार हो गई है जो दुनिया के किसी भी इस्लामिक देश की आबादी से ज्यादा है। भारत में मुस्लिम आबादी इसलिए भी महत्व रखती है कि सीमा से लगे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश है। भारत में रहने वाले मुसलमानों को इन तीनों इस्लामिक देशों के हालात भी देखने चाहिए। इन तीनों इस्लामिक देशों में आम मुसलमान ही सुरक्षित नहीं है। इसके विपरीत भारत में हिंदू समुदाय के साथ रहने के कारण आम मुसलमान सुरक्षित है। मुसलमानों को भी राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक के नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है। देश में ऐसा वातावरण बनना चाहिए जिसमें सौ मुस्लिम परिवारों के बीच एक हिंदू परिवार सुरक्षित रह सके।
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Wednesday, 26 March 2025
प्रदेशभर में होंगे राजस्थान दिवस के कार्यक्रम, लेकिन अजमेर में एक भी नहीं। क्या यह अजमेर का राजनीतिक पिछड़ा पन है।
1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब अजमेर स्वतंत्र राज्य था। अजमेर राज्य की अपनी विधानसभा और अपना मुख्यमंत्री होता था। अजमेर में राज्य 1956 तक अस्तित्व में रहा, लेकिन इसी वर्ष अजमेर राज्य का विलय संयुक्त राजस्थान में हो गया। अजमेर के राज्य स्तरीय महत्व को बनाए रखने के लिए राजस्व मंडल, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आयुर्वेद निदेशालय जैसे संस्थानों के मुख्यालय दिए गए। एसएमएस जयपुर के बाद मेडिकल कॉलेज भी अजमेर में स्थापित किया गया, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि अब जब राजस्थान दिवस (30 मार्च) के अवसर पर प्रदेश भर में राज्य स्तरीय समारोह हो रहे है, तब एक भी समारोह अजमेर में आयोजित नहीं किया गया है। भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राजस्थान दिवस के जो कार्यक्रम घोषित किए है, उसके अनुसार 25 मार्च को बाड़मेर में महिला सम्मेलन, 26 मार्च को बीकानेर में किसान सम्मेलन, 27 मार्च को भरतपुर (मुख्यमंत्री का गृह जिला) गरीब एवं अंत्योदय सम्मेलन, 28 मार्च को भीलवाड़ा में सुशासन सम्मेलन, 29 मार्च को कोटा में युवा एवं रोजगार उत्सव तथा 30 व 31 मार्च को जयपुर में निवेश उत्सव मनाया जाएगा। यानी राज्य स्तरीय समारोहों की सूची में अजमेर का नाम शामिल नहीं है। यह तब है जब अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी केंद्रीय मंत्री है तथा विधायक वासुदेव देवनानी विधानसभा के अध्यक्ष, विधायक सुरेश रावत कैबिनेट मंत्री है। इतना ही नहीं अजमेर से जुड़े भाजपा नेता ओंकार सिंह लखावत धरोहर प्राधिकरण तथा ओम प्रकाश भडाना देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष है। इन दोनों को भी राज्य मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इतना ही नहीं अजमेर संसदीय क्षेत्र के दूदू विधानसभा के विधायक डॉ. प्रेमचंद बैरवा उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन है। 8 विधायकों में से 7 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा के है। राजनीतिक दृष्टि से इतनी मजबूत स्थिति होने के बाद भी अजमेर में राज्य स्तरीय समारोह न होना अजमेर का राजनीतिक पिछड़ा पन दर्शाता है।
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लालू की इफ्तारी का कांग्रेस ने बहिष्कार किया। बिहार में दिल्ली की राह चल सकते हैं राहुल गांधी।
25 मार्च को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव की ओर से पटना में इफ्तार पार्टी रखी गई, लेकिन इस पार्टी में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने भाग नहीं लिया। जानकार सूत्रों के अनुसार बिहार के विधानसभा चुनाव में दबाव डालने के लिए कांग्रेस ने लालू की इफ्तारी पार्टी से दूरी बनाई। असल में कांग्रेस जितनी सीटें लेना चाहती है, उतनी सीटें आरजेडी देने को तैयार नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि विधानसभा की 70 सीटों पर उनका प्रभाव है, लेकिन आरजेडी अब 70 सीटें कांग्रेस को देना नहीं चाहती। बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन है। जानकार सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने संकेत दिए हैं कि यदि सम्मानजनक सीटें प्राप्त नहीं होती है तो बिहार में कांग्रेस अपने दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। यदि कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो इसका फायदा भाजपा और जेडीयू गठबंधन को मिलेगा। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के साथ समझौता न होने पर कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। कांग्रेस भले ही एक सीट भी न जीत पाई हो, लेकिन दिल्ली में आप को हरा दिया। आपके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी माना कि कांग्रेस की वजह से भाजपा को जीत मिली है। राहुल गांधी और उनके सलाहकारों का मानना है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस से समझौता कर सत्ता में तो आ जाते हैं, लेकिन कांग्रेस को उचित सम्मान नहीं देते। कांग्रेस भले ही अपने दम पर सरकार न बना सके, लेकिन अपने दम पर किसी भी क्षेत्रीय दल को हरा सकती है। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली विधानसभा के चुनाव है। कांग्रेस को लगता है कि यदि बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन न हुआ तो फिर आरजेडी को सफलता मिलना संभव नहीं है। इफ्तार पार्टी का बहिष्कार कर कांग्रेस ने लालू प्रसाद यादव को अपनी ताकत का आभास करा दिया है। मालूम हो कि बिहार में राजनीतिक नजरिए से ही इफ्तार पार्टी की जाती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 23 मार्च को इफ्तार पार्टी रखी। इसमें मुस्लिम प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। हालांकि मुस्लिम प्रतिनिधियों को नीतीश की पार्टी से दूर रखने के लिए आरजेडी ने पांच मुस्लिम संगठनों से बहिष्कार की अपील भी करवाई थी, लेकिन आरजेडी का यह प्रयास सफल नहीं हो सका। उल्टे आरजेडी की इफ्तार पार्टी का कांग्रेस ने ही बहिष्कार कर दिया।
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32 लाख मुस्लिम परिवारों को ईद पर मोदी किट मिलेंगे। क्या इससे मुसलमान भाजपा की ओर आकर्षित होंगे?
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे ने तय किया है कि देश भर में 32 लाख मुस्लिम परिवारों को ईद के अवसर पर व्यंजनों का किट उपलब्ध करवाया जाएगा। मीडिया में इसे मोदी किट का नाम दिया गया है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी का कहना है कि मोर्चे के 32 हजार कार्यकर्ता किट को बांटने का काम करेंगे। एक कार्यकर्ता सौ परिवारों से संपर्क करेगा। पात्र परिवारों की सूची क्षेत्र की मस्जिद और मदरसे के माध्यम से तैयार कराई जाएगी। इस किट में सेवई, पिंड खजूर के साथ साथ पेय पदार्थ भी होंगे। सवाल उठता है कि क्या मोदी किट प्राप्त करने के बाद मुसलमान भाजपा की ओर आकर्षित होंगे? मौजूदा समय में माना जाता है कि मुस्लिम समुदाय भाजपा से खुश नहीं है और चुनाव में अपना वोट कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आरजेडी जैसे राजनीतिक दलों को देता है। ये दल मुस्लिम वोटों के दम पर ही राज्यों में सत्ता में आ जाते हैं। यह बात अलग है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की किसी भी योजना में मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। उल्टे अनेक योजनाएं तो सिर्फ मुसलमानों के लिए ही चलाई गई है। ईद के मौके पर खाद्य सामग्री के किट मुस्लिम परिवारों को देने का उद्देश्य भी सामाजिक समरसता बताया जा रहा है। भाजपा भी मानती है कि मुस्लिम आजादी को समाज से अलग नहीं रखा जा सकता। भाजपा के प्रति कोई दुराव न हो इसलिए ईद के मौके पर खाद्य सामग्री के किट दिए जा रहे हैं। देखना होगा कि मोदी किट का कितना असर मुसलमानों पर पड़ता है। देश में 25 करोड़ आबादी मुसलमानों की मानी जाती है।
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बेटे के जन्मदिन पर हनुमान बेनीवाल ने दिल्ली में राजनीतिक ताकत दिखाई। भाजपा, कांग्रेस के नेताओं के साथ साथ अखिलेश, चिराग आदि भी शामिल हुए।
आरएलपी के राष्ट्रीय संयोजक सांसद हनुमान बेनीवाल ने 25 मार्च की रात को दिल्ली की पांच सितारा इंपीरियल होटल में पांच वर्षीय पुत्र आशुतोष है का जन्मदिन धूमधाम से मनाया। माना जा रहा है कि जन्मदिन पार्टी में बेनीवाल ने अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया है। मौजूदा समय में बेनीवाल अपनी पार्टी के एक मात्र सांसद है और राजस्थान विधानसभा में आरएलपी का एक भी विधायक नहीं है। बेनीवाल ने 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के समर्थन से जीता था, लेकिन इस बार 2024 में बेनीवाल ने कांग्रेस से हाथ मिलाया और एक बार फिर राजस्ािान के नागौर से सांसद बन गए। लेकिन हाल ही के विधानसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल को हार का सामना करना पड़ा। बेनीवाल ने बेटे की जन्मदिन पार्टी में भाजपा और कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दलों के नेताओं को आमंत्रित कर राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया है। 25 मार्च की रात को हुई पार्टी में अखिलेश यादव, चिराग पासवान, जयंत चौधरी के साथ साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरिराज किशोर, रणजीत सिंह, भाजपा के सांसद सीपी जोशी, लुंबाराम चौधरी, कांग्रेस के सांसद हरीश मीणा, मुरारी मीणा, भजनलाल जाटव आदि उपस्थित रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ तथा भीम आर्मी के सुप्रीमो सांसद चंद्रशेखर की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सूत्रों की ओर से कहा गया है कि बेनीवाल के इस शक्ति परीक्षण में चालीस से भी ज्यादा सांसदों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इसी प्रकार करीब पचास विधायकों ने जन्मदिन का पार्टी का लुत्फ उठाया।
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Tuesday, 25 March 2025
कॉमेडियन कामरा ने अब नाम लेकर कहा एकनाथ शिंदे और अजीत पंवार गद्दार है। अब टेरर फंडिंग का आरोपी अब्दुल राशिद सांसद बन सकता है तो कॉमेडियन कामरा क्यों नहीं?
मुंबई के कॉमेडियन कुणाल कामरा ने पहले बिना नाम लिए व्यंग्यात्मक लहजे में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पंवार को गद्दार कहा, लेकिन जब इन दोनों उप मुख्यमंत्रियों के समर्थकों ने कामरा के स्टूडियो में तोड़ फोड़ कर दी तो कामरा ने स्पष्ट कह दिया कि उन्होंने अपने गाने में गद्दार शब्द का इस्तेमाल शिंदे और पंवार के लिए ही किया है। कामरा ने कह दिया कि शिंदे और पंवार के समर्थक कितनी भी गुंडागर्दी कर ले, लेकिन मैं सत्य कहने में नहीं हिचकिचाऊंगा। कामरा ने माफी मांगने से भी इंकार कर दिया है। जानकार सूत्रों के अनुसार कुणाल कामरा अब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के प्रवक्ता होंगे। उद्धव ठाकरे ने भी कुणाल कामरा के गाने और बयान को सही ठहराया है। मालूम हो कि शिंदे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना और अजीत पंवार ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में बगावत कर पहले महाराष्ट्र की महागठबंधन की सरकार को गिरा दिया और फिर गत विधानसभा के चुनावों में इन दोनों नेताओं ने अपनी मूल पार्टी को हरा दिया। अब महाराष्ट्र में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और पंवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को ही असली माना जाता है। शिंदे और पंवार के समर्थक इस बात से नाराज है कि महाराष्ट्र की जनता के फैसले के बाद भी कुणाल कामरा उन्हें गद्दार बता रहे हैं। कुणाल कामरा के ताजा बयान से यह मामला अब और तूल पकड़ेगा। इस बीच महाराष्ट्र महानगर पालिका ने मुंबई के खार स्थित यूनिकॉन्टिनेंटल होटल के अवैध निर्माण को भी तोड़ दिया है। इसी होटल में कुणाल कामरा अपना स्टूडियो चलाता है। अब चूंकि उद्धव ठाकरे का समर्थन मिल गया है, इसलिए कुणाल कामरा को मुंबई में स्टूडियो की कोई कमी नहीं रहेगी। कामरा की लोकप्रियता अब तक मुंबई में ही थी, लेकिन ताजा घटनाक्रम से उनकी लोकप्रियता देशभर में हो गई है। कुणाल कामरा रातों रात देश के ख्याति प्राप्त कॉमेडियन बन गए। कहा जा सकता है कि कामरा का मकसद पूरा हो गया है।
बन सकते हैं सांसद विधायक:
कुणाल कामरा अब सांसद अथवा विधायक बन सकते हैं। जम्मू कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर अब्दुल राशि भी सांसद बन चुके हैं। इंजीनियर राशिद पर विदेशों से पैसा लेकर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का आरोप है।
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Monday, 24 March 2025
भाजपा नेता डॉ. कुलदीप शर्मा के प्रकरण में अब राजपूत समाज आंदोलन की राह पर। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी को ज्ञापन देकर डॉ. शर्मा पर लगाए आरोप।
अजमेर के भाजपा नेता और प्रमुख यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप शर्मा के कथित आवास को तोड़ने के प्रकरण में अब राजपूत समाज आंदोलन की चेतावनी दे रहा है। इस प्रकरण में राजपूत छात्रावास संस्थान के अध्यक्ष सुमेर सिंह के नेतृत्व में एक ज्ञापन अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को दिया गया है। इस ज्ञापन में आरोप लगाया है कि राजनीतिक और ब्राह्मण समाज के दबाव की वजह से अजमेर विकास प्राधिकरण के जेईएन रघुनंदन सिंह को निलंबित किया गया। इस मामले में पूरी तरह राजपूत समाज के जेईएन को दोषी मान लिया गया है। जबकि जेईएन ने तो प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों के निर्देशों की पालना की। इसके साथ ही देवनानी को बताया गया कि पंचशील क्षेत्र में जिस भूखंड को लेकर विवाद है, उसका संबंध डॉ. कुलदीप शर्मा से नहीं है। यह भूखंड तो डॉ. शर्मा के रिश्तेदार के नाम है। यह बात भी पूरी तरह गलत है कि विवादित भूखंड पर बने एक कमरे में डॉ. शर्मा निवास करते है। देवनानी को बताया गया कि डॉ. शर्मा निकट के बंगले में रहते हैं, लेकिन विवादित भूखंड पर कब्जा करने की नीयत से एक कमरा बना लिया। यह झूठ कहा गया है कि जब भूखंड से अतिक्रमण हटाया गया तो डॉ. शर्मा के दो बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। सच्चाई तो यह है कि सहानुभूति के लिए दोनों बच्चों को मौके पर लाया गया। डॉ. शर्मा ने ही सबसे पहले प्राधिकरण के कामकाज में बाधा डाली। ऐसा तब किया गया, जब विवादित भूखंड से डॉ. शर्मा का कोई सरोकार नहीं था। राजपूत समाज ने डॉ. शर्मा के प्रकरण में जेईएन रघुनंदन सिंह के निलंबन को गलत माना है। देवनानी से कहा गया कि यदि निलंबन तो तत्काल रद्द नहीं किया गया तो राजपूत समाज आंदोलन करेगा। सुमेर सिंह ने कुलदीप शर्मा के समर्थन में निजी चिकित्सकों और ब्राह्मण समाज के आंदोलन को गैर जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि विवादित भूखंड डॉ. शर्मा के रिश्तेदार का है, लेकिन फिर भी निजी चिकित्सकों ने तोडफ़ोड की कार्यवाही को डॉक्टरों के पेशे पर हमला मान लिया। इतना ही नहीं ब्राह्मण समाज ने भी इसे समाज पर हमला माना। जबकि भूखंड का मालिक नीति दरगड़ माहेश्वरी समाज से संबंध रखता है। देवनानी ने भरोसा दिलाया कि जेईएन के निलंबन के मामले में न्यायपूर्ण कार्यवाही की जाएगी। इस प्रकरण में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 8000067638 पर संस्थान के अध्यक्ष सुमेर सिंह शेखावत से ली जा सकती है।
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वक्फ एक्ट में संशोधन से नुकसान नहीं है, यह बात बिहार के मुसलमानों ने समझी। कट्टरपंथियों के बहिष्कार की घोषणा के बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में सभी मुस्लिम प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
23 मार्च को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी निवास पर रोजेदारों के लिए इफ्तार पार्टी की। इस इफ्तार पार्टी में बिहार के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। सभी ने इफ्तारी के लिए नीतीश कुमार का शुक्रिया अदा किया। इफ्तार पार्टी में सभी मुस्लिम प्रतिनिधियों की उपस्थिति से नीतीश कुमार भी गदगद हो गए। क्योंकि इस पार्टी में मुस्लिम प्रतिनिधि भाग न ले इसके लिए पांच कट्टरपंथी सोच वाले मुस्लिम संगठनों ने अपील जारी की थी। इन संगठनों का कहना रहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू केंद्र में उस सरकार को समर्थन दे रही है जो वक्फ एक्ट में संशोधन कर रही है। कट्टरपंथी सोच वाले संगठनों ने कहा कि नीतीश कुमार के समर्थन से ही वक्फ एक्ट में संशोधन हो रहा है। बहिष्कार की अपील में यह भी कहा गया कि बिहार के मुसलमान नीतीश कुमार से मांग कर रहे है कि केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया जाए। जानकारों की मानें तो कट्टरपंथी सोच वाले संगठनों से अपील जारी करवाने के पीछे लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी की भूमिका रही। बिहार में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने है। आरजेडी को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में मुस्लिम प्रतिनिधियों के नहीं जाने से जेडीयू की छवि खराब होगी, लेकिन अधिकांश मुस्लिम प्रतिनिधियों ने इफ्तार पार्टी में उपस्थिति दर्ज करवा कर यह समझा है कि वक्फ एक्ट में संशोधन होने से आम मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा। उल्टे नए कानून के बाद वक्फ संपत्तियों का लाभ आम मुसलमान को मिलने लगेगा। केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि नया कानून बनाने के बाद भी वक्फ की संपत्तियां मुस्लिम संगठनों और संस्थाओं के पास ही रहेगी। वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और उनके उपयोग से जो लाभ होगा, उसका फायदा मुसलमानों को ही मिलेगा। मौजूदा समय में वक्फ संपत्तियों पर अधिकांश तौर पर कट्टरपंथी सोच के नेता काबिज हैं। जो संपत्तियों का लाभ आम मुसलमानों को नहीं लेने दे रहे। बिहार के मुसलमानों ने यह समझ लिया है कि नए कानून से आम मुसलमान को ही लाभ होगा।
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पिछले वर्ष का प्रश्न पत्र ही रिपीट हो गया इसलिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की परीक्षा रद्द। 30 हजार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की परेशानी का जिम्मेदार कौन? बोर्ड इतिहास में पहली बार। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर बताएं कि शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज कैसे चल रहा है?
इन दोनों राजस्थान भर में राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं और 12वीं के परीक्षाएं चल रही है, इन परीक्षाओं में करीब 25 लाख विद्यार्थी भाग ले रहे हैं, लेकिन इसे शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज ही होना कहा जाएगा की 12वीं कक्षा के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय की परीक्षा में पिछले वर्ष का प्रश्न पत्र ही रिपीट हो गया। यह परीक्षा 22 मार्च को प्रदेश भर में आयोजित हुई थी। प्रश्न पत्र के रिपीट होने की जानकारी मिलने के बाद बोर्ड प्रशासन ने 23 मार्च को इस परीक्षा को रद्द कर दिया। इस परीक्षा में करीब 30 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया। सवाल उठता है कि इस 30 हजार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को होने वाली परेशानी का जिम्मेदार कौन होगा? शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद्र शर्मा ने एक बयान जारी कर प्रश्न पत्र रिपीट होने के लिए पेपर सेंटर को जिम्मेदार ठहराया दिया है। सचिव का कहना है कि ऐसे पेपर सेंटर को ब्लैकलिस्टेड किया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या प्रश्न पत्र रिपीट होने वाली भीषण गलती के लिए सिर्फ पेपर सेंटर ही जिम्मेदार है? बोर्ड सचिव शर्मा भी पोपा बाई के उसे शासन के हिस्सेदार है जिसमें झूठ भी बोला जा सकता है। बोर्ड सचिव कुछ भी झूठ बोले, लेकिन वार्षिक परीक्षा के प्रश्न पत्र को बनाने की बोर्ड में पूरी प्रक्रिया है। बोर्ड अध्यक्ष के निर्देशों पर ही विषय विशेषज्ञों का चयन होता है। विशेषज्ञों से एक प्रश्न पत्र के चार सेट तैयार कराए जाते हैं। इन चारों प्रश्न पत्रों की जांच कॉलेज स्तर के विषय विशेषज्ञ से करवाई जाती है। यह विशेषज्ञ यह देखा है कि स्कूली शिक्षा के विशेषज्ञों ने जो प्रश्न पत्र तैयार किए हैं उनमें कोई गलती तो नहीं है। इस प्रक्रिया के बाद एक समिति प्रश्न पत्रों की बारीकी से अध्ययन करती है। इसके बाद एक प्रश्न पत्र तैयार किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ एक पेपर सेंटर कैसे जिम्मेदार हो सकता है? इसे शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज ही कहा जाएगा की शिक्षा बोर्ड में निदेशक शैक्षिक के पद पर स्कूल शिक्षक राकेश स्वामी गत 3 वर्षों से कम कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक इस महत्वपूर्ण पद पर जिला शिक्षा अधिकारी स्तर का शिक्षाविद नियुक्त होना चाहिए। पिछले कांग्रेस शासन में तत्कालीन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से राकेश स्वामी की सीधी अप्रोच थी इसलिए शिक्षा बोर्ड में निदेशक शैक्षिक का पद प्राप्त कर लिया गया। यूं तो मौजूद भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्रियों को जेल भेजने के दावे करते हैं, लेकिन दिलावर के अधीन काम करने वाले शिक्षा बोर्ड में आज भी राकेश स्वामी ही निर्देशक (शैक्षिक) के पद पर कायम है। यदि पोपा बाई का राज नहीं होता तो राकेश स्वामी को तो हटाया ही जा सकता था। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रश्न पत्र के विषय विशेषज्ञों का चयन निदेशक शैक्षिक के द्वारा ही होता है। शिक्षा बोर्ड के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी परीक्षा का प्रश्न पत्र गत वर्ष वाला ही रिपीट हो गया है। इस प्रकरण में उन सभी शिक्षाविदों और अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय की परीक्षा का प्रश्न पत्र तैयार करने में भूमिका निभाई। राजस्थान में भाजपा का शासन कायम हुए सवा वर्ष गुजर गया, लेकिन अभी तक भी शिक्षा बोर्ड में स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अजमेर के संभागीय आयुक्त को ही बोर्ड प्रशासक के पद का अतिरिक्त काम दे रखा है बोर्ड अध्यक्ष का पद कांग्रेस शासन में तब से खाली पड़ा है जब रीट परीक्षा घोटाले में तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जरौली को बर्खास्त किया गया था। तब भाजपा नेताओं ने शासन ने आने पर ही बोर्ड की दशा सुधारने का वादा किया था लेकिन भाजपा के शासन में भी बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पा रही है ।
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अजमेर में निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की आपसी प्रतिस्पर्धा और खींचतान का खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। नर्सिंग और स्पोर्टिंग स्टाफ भी मजे ले रहा है। चिकित्सकों का सेवा की भावना से कोई सरोकार नहीं। भगत सिंह की भावनाओं के अनुरूप नौजवान सभा ने दिवंगत फोटो जर्नलिस्ट के आश्रितों की मदद की।
अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल, पंचशील स्थित क्षेत्रपाल अस्पताल जैसे कुछ बड़े निजी अस्पतालों को छोड़ दिया जाए तो शेष निजी अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों की आपसी प्रतिस्पर्धा और खींचतान का खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। अस्पताल के धंधे में कमाई को देखते हुए गाली मोहल्लों में निजी अस्पताल खुल गए है। चूंकि अब सेवा की भावना तो समाप्त ही हो गई है, इसलिए चिकित्सक सबसे पहले अपना आर्थिक फायदा देखते हैं। जो अस्पताल ज्यादा कमीशन देता है उसी अस्पताल में चिकित्सक मरीज का इलाज करता है। यहां उल्लेखनीय है कि जो चिकित्सक अपने घरों पर मरीज को देखते हैं उन्होंने कुछ निजी अस्पतालों से अनुबंध कर रखा है। चिकित्सक गंभीर मरीज का इलाज निजी चिकिल्सायों में करते हैं। कई बार देखा गया है कि इलाज की राशि को लेकर निजी चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधन के बीच विवाद हो जाता है। इस विवाद के चलते मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है। थोड़ा प्रसिद्ध होने पर चिकित्सक अस्पताल प्रबंधन से उम्मीद करता है कि उसे ज्यादा से ज्यादा राशि दी जाए। चिकित्सक को अपने अस्पताल में ही टिकाए रखने के लिए प्रबंधन भर्ती मरीज से ज्यादा राशि वसूलता है। निजी अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को आम शिकायत रहती है कि ज्यादा राशि वसूली गई है। जबकि अस्पताल प्रबंधन को इलाज से प्राप्त राशि में से बड़ा हिस्सा चिकित्सकों को देना होता है। कई अस्पताल अपने यहां सरकारी योजनाओं के अंतर्गत भी मरीजों का इलाज करते हैं। सरकार के निर्देशों के अनुसार निजी अस्पतालों को सरकारी योजनाओं के अंतर्गत निर्धारित राशि में ही इलाज करना होता है। लेकिन चिकित्सक सरकारी योजनाओं में इलाज कराने में रुचि नहीं दिखाते। अस्पताल का संचालन करने वालों का कहना है कि करोड़ों रुपया लगाकर अस्पताल बनाया गया, लेकिन चिकित्सकों के स्वार्थ पूर्ण रवैये के कारण अस्पताल को चलाना मुश्किल हो रहा है। अजमेर के कई अस्पताल तो बंद होने के कगार पर आ गए हैं। बैंकों से लिए गए ऋण की मासिक किस्त भी जमा करना मुश्किल हो रहा है। अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों की आपसी खींचतान में नर्सिंग और स्पोर्टिंग स्टाफ भी मजे ले रहा है। चिकित्सकों की शह पर नर्सिंग और स्पोर्टिंग स्टाफ एक अस्पताल छोड़कर दूसरे अस्पताल में काम कर रहे हैं। इससे भी निजी अस्पताल संचालकों को भारी परेशानी हो रही है। जिन चिकित्सकों ने करोड़ों रुपया लगाकर अस्पताल बनाया, उनकी उम्मीदों पर कुछ चिकित्सक ही पानी फेर रहे हैं।
अनुकरणीय पहल:
दिवंगत फोटो जर्नलिस्ट महेश मूलचंदानी के आश्रितों को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद कर शहीद भगत सिंह नौजवान सभा ने अनुकरणीय पहल की है। 23 मार्च को अजमेर की अंबे बिहार कॉलोनी स्थित शहीद भगत सिंह स्मारक पर आयोजित एक समारोह में दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक आनंद ठाकुर ने सभा की ओर से एक लाख रुपए का चेक दिवंगत मूलचंदानी की पत्नी और बेटियों को दिया। सभा के प्रमुख विजय तत्ववेदी ने बताया कि अजमेर की प्रेस फोटोग्राफी में महेश मूलचंदानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि अब उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा है। परिवार को संबल देने के लिए ही नौजवान सभा की ओर से सहयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि यह सहायता अमर शहीद भगत सिंह की भावनाओं के अनुरूप की गई है। भास्कर के संपादक आनंद ठाकुर ने भी नौजवान सभा की पहल की प्रशंसा की। इस अवसर पर सभा से जुड़े प्रमोद जैन, सूर्य प्रकाश गांधी, नारायण, ललित अग्रवाल, आशीष जोशी, मनोज सैन, नवीन खंडेलवाल, साक्षी शर्मा आदि उपस्थित रहे। तत्ववेदी ने बताया कि उनकी संस्था समय समय पर सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य करती है। संस्था की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9636007744 पर विजय तत्ववेदी से ली जा सकती है।
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Saturday, 22 March 2025
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के झूठ की पोल खोली। अच्छा होता कि गोविंद सिंह डोटासरा से माफी मंगवाते गहलोत।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान को आधारहीन और झूठा बताया है। गहलोत ने 19 मार्च को कहा था कि विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों को बोलने नहीं दिया जा रहा है और कांग्रेस के विधायकों के निलंबन के बाद भी सदन की कार्यवाही जारी रखी जाती है। गहलोत ने अध्यक्ष देवनानी पर भी पक्षपात का आरोप लगाया। गहलोत के बयान के संदर्भ में अब देवनानी ने कहा कि अनुदान मांगों पर सदन में 8 दिन चर्चा हुई। इन 8 दिनों में कांग्रेस के विधायकों को 162 बार बोलने का अवसर दिया गया, जबकि भाजपा के विधायक 161 बार ही बोल पाए। देवनानी ने कहा कि सदन चलाते समय वे सत्तारूढ़ भाजपा से ज्यादा विपक्ष के विधायकों को बोलने का अवसर देते हैं। चूंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भी भूमिका होती है, इसलिए वे लोकतांत्रिक तरीके से सदन का संचालन करते हैं। ऐसे कई अवसर आए जब उन्होंने सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों और विधायकों को भी चेतावनी दी। देवनानी ने कहा कि अशोक गहलोत 15 वर्ष तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्हें एक जिम्मेदार राजनेता की तरह आचरण करना चाहिए। लेकिन वे सदन की कार्यवाही को लेकर गलत बयानी कर रहे है। देवनानी ने इस बात पर अफसोस जताया कि कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा के संवैधानिक कार्यक्रमों का भी बहिष्कार किया है। देवनानी के बयान से जाहिर है कि पूर्व सीएम गहलोत ने जो बयान दिया वह न केवल आधारहीन बल्कि झूठा भी है।
डोटासरा ने नहीं मांगी माफी:
कांग्रेस के विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष देवनानी के आपत्तिजनक बातें कही। इन से मेरा जूता मांगे माफी, तू परमानेंट चला जा जैसी टिप्पणियां भी शामिल है। इन टिप्पणियों से देवनानी विधानसभा में ही आहत दिखे। यहां तक कि उनकी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन डोटासरा ने अपने बयान पर अभी तक भी माफी नहीं मांगी है। इतना ही नहीं जिस दिन कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने डोटासरा की ओर से माफी मांगी, उसी दिन से डोटासरा विधानसभा नहीं आ रहे। अच्छा होता कि अशोक गहलोत अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर डोटासरा से भी माफी मंगवाते। ऐसा प्रतीत होता है कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पर पक्षपात का आरोप लगाकर गहलोत ने डोटासरा के बयान का समर्थन किया है। इसे कांग्रेस में अंतर्विरोध ही कहा जाएगा कि एक और विधायक दल के नेता टीकाराम जूली सदन में अध्यक्ष से माफी मांग रहे है, तो दूसरी ओर सदन के बाहर अशोक गहलोत पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। गहलोत के विधायक होने के बाद भी विधानसभा नहीं आते। 19 मार्च को भी गहलोत विधानसभा परिसर में तो आए, लेकिन सदन के अंदर नहीं गए। क्या गहलोत स्वयं को विधानसभा से बड़ा समझते हैं? गहलोत ने चालू बजट सत्र में सदन के अंदर एक बार भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई है।
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स्मार्ट सिटी के अवैध कार्यों पर खर्च हुई राशि जिम्मेदारी अधिकारियों के वेतन और पेंशन से वसूली जाए। अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक अनिता भदेल ने विधानसभा में मांग की।
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों से अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अवैध कार्यों को तोड़ने की जो कार्यवाही हो रही है, उसके संदर्भ में अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने मांग की है कि अवैध कार्यों पर खर्च हुई राशि की वसूली जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन में से की जाए। जो अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए है, उनकी पेंशन में से राशि वसूली जाए। 21 मार्च को विधानसभा में श्रीमती भदेल ने अजमेर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की ओर से सरकार का ध्यान आकर्षित किया। भदेल ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार में स्मार्ट सिटी के कार्य नियमों के विरुद्ध करवाए गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने सेवन वंडर, फूड प्लाजा, गांधी स्मृति उद्यान, पाथवे आदि को तोड़ने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि ऐसे निर्माण कार्य आनासागर के भराव क्षेत्र में किए गए जबकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का उद्देश्य तो आनासागर झील को संरक्षित करना था। अधिकारियों ने झील के अंदर पाथवे जैसे निर्माण कर आनासागर के भराव क्षेत्र को 33 प्रतिशत कम कर दिया। भदेल ने कहा कि अवैध कार्यों के लिए अधिकारी जिम्मेदार है। इसलिए टूटे हुए निर्माण कार्यों की भरपाई संबंधित अधिकारियों के वेतन और पेंशन से की जाए। भदेल ने सदन में कहा कि वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी देश के पहली बार प्रधानमंत्री बने तब तीन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की। उन तीन शहरों में से एक अजमेर भी है। केंद्र सरकार की ओर से अजमेर को एक हजार करोड़ रुपए की राशि भी मिली, लेकिन अधिकारियों ने इस राशि से महत्वहीन कार्य करवा दिए। शहर के विकास के लिए जो काम जरूरी थे, उन्हें नहीं करवाया गया। श्रीमती भदेल ने अध्यक्ष देवनानी की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपने भी कांग्रेस के शासन में स्मार्ट सिटी के कार्यो की शिकायत की थी। मालूम हो कि देवनानी अजमेर उत्तर क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं।
अधिकारियों की बढ़ेगी मुसीबत:
भाजपा विधायक अनिता भदेल ने विधानसभा में जो मांग की है उससे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों की और मुसीबत बढ़ेगी। एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से पहले ही अधिकारियों में खलबली है। मौजूदा मुख्य सचिव सुधांश पंत को व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ रहा है। नियमों की अवहेलना कर किए गए निर्माण कार्यों से सुप्रीम कोर्ट भी खफा है। अभी तो कोर्ट ने कुछ निर्माणों को ही तोड़ने के आदेश दिए है, लेकिन यदि आनासागर के किनारे बने दस किलोमीटर के पाथवे को भी हटाया जाता है तो फिर अधिकारियों की मुसीबत और बढ़ जाएगी। हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट प्रोजेक्ट के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्यवाही करें।
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एक जेईएन के निलंबन और कुछ होमगाडर्स को हटाने मात्र से क्या भाजपा नेता डॉक्टर कुलदीप शर्मा के अपमान और मकान तोड़ने की भरपाई हो जाएगी?
अजमेर के भाजपा नेता और सुप्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप शर्मा के प्रकरण में संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा के निर्देश पर अजमेर विकास प्राधिकरण के जेईएन रघुनंदन सिंह चौहान को निलंबित और कुछ होमगाडर्स को हटाने की कार्यवाही की गई है। सवाल उठता है कि क्या एक जेईएन के निलंबन और कुछ होमगाडर्स को हटाने से डॉक्टर शर्मा के अपमान और मकान तोड़ने की भरपाई हो जाएगी? 20 मार्च को प्राधिकरण की टीम ने पुलिस के दम पर न केवल डॉ. शर्मा का मकान तोड़ दिया बल्कि उनके साथ बदसलूकी भी की। बदसलूकी के शिकार डॉ. शर्मा ने रोते हुए कहा कि मैं इस अपमान को जिंदगी भर नहीं भूलंूगा। उन्होंने अपने दो मासूम बच्चों के प्रति भी चिंता जताई। डॉ. शर्मा के साथ हुई घटना के विरोध में 21 मार्च को अजमेर के निजी अस्पतालों के चिकित्सक भी हड़ताल पर रहे तथा ब्राह्मण समाज ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। हड़ताल और प्रदर्शन से घबराकर ही प्रशासन ने प्राधिकरण के जेईएन को निलंबन और कुछ होमगाडर्स को हटाने का फैसला किया। जबकि डॉ. शर्मा ने प्राधिकरण के बड़े अधिकारियों और पुलिस के अधिकारियों को घटना का जिम्मेदार बताया था। सवाल उठता है कि सत्तारूढ़ दल के नेता और प्रमुख यूरोलॉजिस्ट के मकान पर बुलडोजर चलाने का निर्णय क्या एक जेईएन ले सकता है? जबकि प्राधिकरण की ओर से नोटिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी ने जारी किया था। इसी प्रकार क्या होमगार्ड का जवान किसी भाजपा नेता के साथ बदसलूकी करने की हिम्मत कर सकता है? क्या पुलिस को होम गार्ड के जवान चला रहे है? साफ जाहिर है कि डॉ. कुलदीप शर्मा के प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया जा रहा है। मालूम हो कि डॉ. शर्मा ने पंचशील क्षेत्र में उसी भूखंड पर मकान बनाया था जो चार वर्ष पहले प्राधिकरण से खुली नीलामी में खरीदा गया। प्राधिकरण ने नियमों के अनुरूप भूखंड की राशि भी जमा कर ली, लेकिन चार वर्ष बाद प्राधिकरण को पता चला कि जो 487 मीटर का भूखंड नीलाम किया गया, उसमें 90 मीटर भूमि पूर्व में ही किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित कर दी गई थी। प्राधिकरण चाहता था कि डॉ. शर्मा पूर्व आवंटित 90 मीटर की भूमि का कब्जा वापस दे दे। जब डॉ. शर्मा ने भूमि का कब्जा नहीं दिया तो प्राधिकरण ने डॉ. शर्मा का मकान तोड़ दिया। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा के चुनाव में डॉ. शर्मा ने ही अजमेर उत्तर क्षेत्र से दावेदारी जताई थी।
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Friday, 21 March 2025
अपनी सरकार को टिकाए रखने के लिए अशोक गहलोत ने विधायकों को ही नहीं तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र को भी पटाए रखा। इसलिए राजस्थान की यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश के शिक्षाविद ही कुलपति नियुक्त हुए। भजन सरकार ने तो सवा वर्ष में सिर्फ दो ही कुलपति बनाए। शेष गहलोत सरकार के ही है। टीकाराम जूली को विधानसभा में बोलने से पहले गहलोत सरकार के कामकाज को देख लेना चाहिए।
20 मार्च को राजस्थान विधानसभा में जब विश्वविद्यालयों में कुलपति पद का नाम कुलगुरु करने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ तो प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने अनेक महत्वपूर्ण बातें कही। जूली का कहना रहा कि अब कुलगुरुओं को विश्वविद्यालयों में अपने नाम के अनुरूप आचरण भी करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि राजस्थान में 32 यूनिवर्सिटी में से सिर्फ चार में ही राजस्थान के शिक्षाविद् नियुक्त है। जूली ने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुलपति पद की सबसे बड़ी योग्यता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वाला शिक्षाविद होना चाहिए। शायद जूली ने इस बात को कहने से पहले अपनी कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज का अध्ययन नहीं किया। जूली को पता होना चाहिए कि प्रदेश में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बने हुए सवा वर्ष हुए हैं और इस अवधि में सिर्फ दो यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति हुई है। मौजूदा समय में अजमेर, जोधपुर और कोटा यूनिवर्सिटी के साथ साथ जोधपुर एग्रीकल्चर और बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में कुलपतियों के पद रिक्त पड़े हैं। यानी प्रदेश में सभी 32 यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में हुई। टीकाराम जूली को यह बताना चाहिए कि क्या गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश की यूनिवर्सिटी में संघ विचारधारा वाले शिक्षाविदों की नियुक्ति की। सब जानते हैं कि गहलोत ने पांच वर्ष तक अपनी सरकार को किस प्रकार टिकाए रखा। अगस्त 2030 में जब डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक एक माह के लिए दिल्ली चले गए, तब गहलोत को अपने समर्थक विधायकों को लेकर जयपुर और जैसलमेर की होटलों में बंद रहना पड़ा। इसके बाद 25 सितंबर 2022 को गहलोत ने स्वयं को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए कांग्रेस के 90 विधायकों के इस्तीफे दिलवा दिए। स्वाभाविक है कि विधायकों को अपने पक्ष में रखने के लिए गहलोत ने अनेक तौर तरीके अपनाए। विधायकों के साथ साथ केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल कलराज मिश्र को भी पटाए रखने में गहलोत ने कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी भी राज्यपाल को पटाए रखने में सबसे बड़ी भूमिका कुलपतियों की नियुक्त होती है। यह सही है कि राज्यपाल ही कुलपति की नियुक्ति करते हैं, लेकिन यह नियुक्ति राज्य सरकार की सिफारिश पर होती है। टीकाराम जूली को इस सच्चाई का पता होना चाहिए कि कलराज मिश्र ने जिन शिक्षाविदों के नाम अशोक गहलोत को बताएं, उन्हीं नामों की सिफारिश राज्य सरकार की ओर से राजभवन को की गई। चूंकि राज्यपाल मिश्र को खुश रखना जरूरी था, इसलिए राजस्थान की यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश के शिक्षाविद ही कुलपति बना। यदि गहलोत और मिश्र में सांठगांठ नहीं होती तो उत्तर प्रदेश के बताए राजस्थान के शिक्षाविद कुलपति बनाए जाते। 32 यूनिवर्सिटीज में से याद मात्र चार यूनिवर्सिटी में राजस्थान के कुलपति नियुक्त है तो इस सवाल का जवाब जूल को अपने नेता अशोक गहलोत से लेना चाहिए।
मोटी अटैची और कुलपति:
कुलपति से कुलगुरु बनाए जाने की चर्चा के दौरान ही निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी ने विधानसभा में आरोप लगाया कि मोटी अटैची लेकर कुलपतियों की नियुक्ति होती है। जब मोटी अटैची देकर कोई व्यक्ति शिक्षाविद बनता है तो वह तीन वर्ष में अनेक अटैचियसों को भरने का काम करता है। भाटी ने कहा कि राजस्थान में कई यूनिवर्सिटी के कुलपति भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े भी गए है। रविंद्र भाटी ने जो सवाल उठाए उसका जवाब भी अशोक गहलोत को ही देना चाहिए।
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Thursday, 20 March 2025
वासुदेव देवनानी का विधानसभा अध्यक्ष बनना राजस्थान का सौभाग्य है। अब पूरे प्रदेश में सेवा कर रहे हैं। अजमेर के व्यापारियों ने विधानसभा में देवनानी का अभिनंदन किया। अजमेर में 150 वर्ष पुरानी धार्मिक परंपरा को आज भी निभा रहा है जीनगर समाज। दीपक जैन की माता जी निर्मल कांत का निधन।
19 मार्च को अजमेर शहर व्यापार महासंघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने जयपुर में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का अभिनंदन किया। इस अवसर पर महासंघ की ओर से एक अभिनंदन पत्र भी देवनानी को भेंट किया गया। इस पत्र में लिखा गया कि देवनानी का विधानसभा अध्यक्ष बनना समस्त राजस्थान वासियों का सौभाग्य है। विधानसभा का अध्यक्ष बनकर देवनानी अब प्रदेश भर की सेवा कर रहे हैं। महासंघ के संरक्षक भगवान चंदीराम, सुरेश चारभुजा, अध्यक्ष किशन गुप्ता, महामंत्री प्रवीण जैन, कोषाध्यक्ष राकेश डीडवानिया ने कहा कि देवनानी अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में लगातार पांचवीं विधायक बने हैं। विधायक रहते हुए देवनानी ने अजमेर का चहुंमुखी विकास करवाया है। विधानसभा का अध्यक्ष बनने के बाद तो अजमेर का विकास तीव्र गति से करवाया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने देवनानी के प्रयासों की जमकर प्रशंसा की। इस अवसर पर देवनानी ने कहा कि अजमेर के लोगों ने जो ताकत दी है, उसी की बदौलत में विकास में भागीदार हंू। अजमेर के लोगों के स्नेह और प्यार की वजह से ही मैं विधानसभा का अध्यक्ष बना हूं। मेरे राजनीतिक जीवन में अजमरे उत्तर क्षेत्र के मतदाताओं की अहम भूमिका रही है। इस अवसर पर अजमेर के व्यापारियों को देवनानी ने विधानसभा की कार्यवाही से भी अवगत करवाया। व्यापारियों ने विधानसभा के संग्रहालय को भी देखा। महासंघ के अध्यक्ष किशन गुप्ता और महामंत्री सुरेश चारभुजा ने बताया कि देवनानी से मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल उत्साहित है। देवनानी ने सभी प्रतिनिधियों के साथ आत्मीय व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि देवनानी बहुत सरल व्यक्तित्व के राजनेता है। इतने बड़े संवैधानिक पद पर आसीन होने के बाद भी देवनानी अपने क्षेत्र के आम मतदाता से सीधा संवाद रखते हैं। प्रतिनिधि मंडल में प्रवीण जैन, कमल गंगवाल, जरनैल सिंह, विवेक जैन, गिरीश लालवानी, विकास अग्रवाल, यश डाणी, ईशान मिश्रा, विजय पांड्या आदि भी शामिल रहे। देवनानी के अभिनंदन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9982719400 पर अध्यक्ष किशन गुप्ता तथा 9414258565 पर सुरेश चारभुजा से ली जा सकती है ।
जीनगर समाज की परंपरा:
गणगौर पर्व के अवसर पर शिव पार्वती के स्वरूप जेले निकालने की परंपरा अजमेर के जीनगर समाज में 150 वर्ष पुरानी है। इस परंपरा को समाज के लोग आज भी निभा रहे हैं। इस परंपरा के अनुरूप ही 21 मार्च को अजमेर के कायस्थ मोहल्ला स्थित जीनगर समाज की धर्मशाला पर सायं चार बजे महिलाएं और पुरुष एकत्रित होंगे और फिर महिलाएं अपने सिर पर पीतल के कलश रख कर नगर निगम कार्यालय तक आएंगी। यहां से सायं सवा सात बजे जीनगर समाज की महिलाएं और पुरुषों का जुलूस निकलेगा। यह जुलूस मुख्य डाकघर, गांधी भवन, मदार गेट, जाटियावास, नला बाजार, घसेटी बाजार, हिंदू मोची मोहल्ला होते हुए पन्नीग्राम चौक पर पहुंचेगा। रात्रि 11 बजे महाआरती के बाद इस धार्मिक आयोजन का समापन होगा। समाज के अध्यक्ष लिखमीचंद चौहान, उपाध्यक्ष जगदीश दायमा, संरक्षक गुलाबचंद पंवार, मंत्री हीरालाल जीनगर आदि ने बताया कि जुलूस में सामाजिक झांकियों के साथ साथ बैंड भी शामिल होंगे। उन्होंने समाज के सभी लोगों से जुलूस में शामिल होने की अपील की है। इस धार्मिक आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414277748 पर समाज के प्रतिनिधि भूपेश सांखला से ली जा सकती है।
दीपक जैन को मातृ शोक:
अजमेर के माकड़वाली रोड स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल के निदेशक दीपक जैन की माता जी श्रीमती निर्मल कांत जैन पत्नी स्व. सुभाष चंद जैन का 20 मार्च को निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आंतेड़ मुक्तिधाम में किया गया। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। मोबाइल नंबर 9829071110 पर दीपक जैन को अपनी संवेदनाएं जताई जा सकती है।
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पंजाब में किसानों पर बुलडोजर चलाने पर भी क्यों चुप है राहुल गांधी और ममता बनर्जी। जिस पंजाब पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में लाचारी दिखाई, उसी पुलिस ने किसानों के तंबू उखाड़ दिए।
19 मार्च की रात को पंजाब-हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी पर बैठे किसानों पर पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्यवाही की। किसानों ने जो टेंट लगा रखे थे, उन्हें बुलडोजर से उखाड़ दिया। यहां तक कि पक्के निर्माण भी ध्वस्त कर दिए। जगजीत सिंह बल्लेवाला, श्रवण सिंह पंढेर जैसे किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने किसानों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि बॉर्डर पर दुबारा से आए तो सख्त कार्यवाही की जाएगी। यह वही पंजाब पुलिस है, जिसने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत कर कहा था कि हम बॉर्डर से किसानों को नहीं हटा सकते। यदि जबरन हटाने की कोशिश की तो हिंसा हो सकती है, लेकिन उसी पंजाब पुलिस ने 19 मार्च की रात को किसानों पर बुलडोजर चला दिया। असल में किसान नेता अब पंजाब सरकार से प्रदेश में कृषि नीति बनाने की मांग कर रहे थे। किसान जब तक केंद्र सरकार से एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग कर रहे थे, तब तक तो पंजाब पुलिस ने हरियाणा की सीमा पर किसानों को बैठे रहने की छूट दे दी, लेकिन जब किसानों ने पंजाब में कृषि नीति बनाने की मांग की तो पुलिस ने बुलडोजर चला दिया। पंजाब कि किसान जब केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, तब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपना समर्थन दे रही थी, लेकिन अब जब पंजाब पुलिस ने किसानों पर बुलडोजर चला दिया है, तब राहुल गांधी और ममता बनर्जी चुप है। सब जानते हैं कि पंजाब में भगवत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार है और इस समय पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब में ही निवास कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि केजरीवाल के निर्देश पर ही किसानों पर बुलडोजर चलाया गया है।
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भूजल विधेयक को वापस लेना राजस्थान की भाजपा सरकार की कमजोरी दर्शाता है। विधानसभा के इतिहास में पहला अवसर है, जब प्रवर समिति से आया प्रस्ताव समिति को वापस भेजा। जब हरियाणा और मध्यप्रदेश से पानी लाया जा रहा है तो राजस्थान में पानी की किल्लत क्यों बताई जा रही है? क्या इससे निवेश पर फर्क नहीं पड़ेगा?
19 मार्च को विधानसभा में राजस्थान भूजल संरक्षण एवं प्रबंध प्राधिकरण विधेयक सरकार की ओर से प्रस्तुत तो किया गया, लेकिन कुछ ही देर में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने इस विधेयक को वापस ले लिया। चौधरी ने कहा कि प्रस्ताव पर विपक्ष ने जो आपत्तियां दर्ज करवाई है, उन्हें देखते हुए विधेयक को फिर से विधानसभा की प्रवर समिति में भेजा जा रहा है। गंभीर बात यह है कि यह प्रस्ताव प्रवर समिति में विचार विमर्श के बाद ही आया था। राजस्थान विधानसभा के इतिहास में संभवत: पहला अवसर रहा, जब प्रवर समिति से आया कोई विधेयक वापस प्रवर समिति को भेज दिया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं, लेकिन भूजल प्राधिकरण विधेयक वापस प्रवर समिति को भेजना सरकार की कमजोरी को दर्शाता है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार पूरी तैयारी के साथ विधेयकों को सदन में नहीं ला रही है। जब कोई विधेयक सदन में रखा जाता है तो उसे प्रवर समित में इसलिए भेजा जाता है ताकि पक्ष-विपक्ष अपनी राय रख सके। प्रवर समिति को भी वो ही अधिकार होते हैं, जो विधानसभा को है। यह विधेयक गत वर्ष एक अगस्त को प्रवर समिति को भेजा गया था। यानी इस विधेयक ने समिति ने 6 माह तक मंथन हुआ। छह माह तक मंथन के बाद भी सरकार के विधेयक को वापस लेना पड़े यह सरकार के लिए अच्छी बात नहीं है।
क्यों बताई जा रही है किल्लत:
भूजल प्राधिकरण का जो विधेयक प्रस्तुत किया गया। उस में सरकार की ओर से बताया गया कि राजस्थान में भूजल का गहरा संकट है, इसलिए भूजल निकासी को लेकर सख्त कानून बनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत जमीन से पानी निकालने वालों से शुल्क वसूला जाएगा। यानी जो लोग मौजूदा समय में अपने घरों में और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में ट्यूबवेल लगाकर जमीन से पानी निकालते हैं उन्हें शुल्क देना होगा। यहां तक कि हैंडपंप खोदने के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी होगी। यदि कोई व्यक्ति इन कानूनों का उल्लंघन करेगा तो उस पर एक लाख तक का जुर्माना और छह माह तक की कैद होगी। प्रस्तुत विधेयक में प्रदेश में भूजल के गिरते स्तर पर चिंता जताई गई। सरकार की ओर से यह चिंता तब जताई जा रही है, जब ईआरसीपी लिंक परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश से राजस्थान में पानी लाया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईआरसीपी का शुभारंभ करते हुए कहा है कि अब राजस्थान में पानी की कोई किल्लत नहीं रहेगी। यहां तक कहा गया कि ईआरसीपी के तहत टोंक जिले के ईसरदा में 28 गेट वाला बांध बनकर तैयार हो गया है। अब बरसात में बीसलपुर बांध का जो पानी ओवरफ्लो होगा, उसे ईसरदा में रोक लिया जाएगा। एक और पानी के क्षेत्र में राजस्थान को आत्मनिर्भर बनाने के दावे किए जा रहे है तो दूसरी ओर भूजल प्राधिकरण जैसा विधेयक प्रस्तुत कर पानी की किल्लत बताई जा रही है। यह सरकार का विरोधाभासी रवैया प्रदर्शित करता है। राइजिंग राजस्थान के माध्यम से 35 लाख करोड़ के निवेश की बात कही जा रही है, लेकिन यदि भूजल निकासी पर शुल्क वसूला जाएगा तो कोई भी उद्योगपति राजस्थान में निवेश नहीं करेगा।
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Wednesday, 19 March 2025
जो काम अशोक गहलोत खुद नहीं कर सके, उसकी उम्मीद अब भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल से है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद का मामला। एमएसपी पर खरीद की सीलिंग बड़ा मुद्दा।
18 मार्च को दिन में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा कि भाजपा सरकार को तत्काल प्रभाव से सरसों की उपज की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करनी चाहिए। गहलोत का कहना रहा कि किसान अपनी उपज मंडियों तक ले आए हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक भी खरीद नहीं की है। ऐसे में किसानों को कम दर पर अपनी उपज व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है। चूंकि सरसों की उपज राजस्थान के आम किसान से जुड़ी हुई है, इसलिए न्यूज 18 (राजस्थान) नेटवर्क पर रात 8 बजे गहलोत के बयान पर लाइव डिबेट रखी गई। इस डिबेट में मेरे साथ सीकर के सांसद कामरेड अमराराम चौधरी, किसान यूनियन के नेता रामपाल जाट, भाजपा के प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज व कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शैलेंद्र गर्ग शामिल हुए। चैनल की ओर से एंकर हेमंत कुमार ने तीखे सवाल रखे। रामपाल जाट और मेरा कहना रहा कि अशोक गहलोत आज जो मुद्दा उठा रहे है उससे पहले यह बताना चाहिए कि अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए राजस्थान में सरसों की उपज की खरीद कब की गई। पिछले आंकड़े बताते हैं कि मार्च माह में सरसों की खरीद एमएसपी पर नहीं हुई। आमतौर पर अप्रैल माह में ही सरसों की खरीद होती रही है। यानी जो काम अशोक गहलोत खुद नहीं कर सके उसकी उम्मीद भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से की जा रही है। यह सही है कि राजस्थान में देश की चालीस प्रतिशत सरसों उत्पादित होती है, इसलिए सरसों की खरीद राजस्थान के लिए बड़ा मुद्दा हे। अब जब यह दावा किया जाता है कि राजस्थान में डबल इंजन की सरकार है तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी चाहिए कि प्रदेश में सरसों की खरीद मार्च माह में ही शुरू हो जाए।सरकार ने सरसों की एमएसपी पांच हजार 950 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखी है। चूंकि अभी एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई, इसलिए किसानों को पांच हजार से लेकर साढ़े पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है। इसकी वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। यदि मार्च माह में ही सरसों की खरीद शुरू हो जाती है तो यह माना जाएगा कि डबल इंजन की सरकार का फायदा राजस्थान के किसानों को मिल रहा है।
सीलिंग का भी बड़ा मुद्दा:
सरसों की एमएसपी पर खरीद से भी बड़ा मुद्दा खरीद की सीलिंग है। केंद्र सरकार ने एक किसान से 25 क्विंटल उपज ही खरीदने की सीलिंग कर रखी है। यानी एक किसान एमएसपी पर 25 क्विंटल उपज ही बेच सकता है। यदि किसी किसान के पाव 25 क्विंटल से ज्यादा उपज है तो उसे शेष उपज खुले बाजार में सस्ती दरों पर बेचनी होगी। किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि राजस्थान में सरसों की खरीद फरवरी माह से ही करने और सीलिंग हटाने की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किया जा चुका है। लेकिन कोई भी सरकार किसानों की नहीं सुनती। लाइव डिबेट में भाजपा के प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा कि गत वर्ष राजस्थान में मूंगफली की रिकॉर्ड खरीद हुई है। अशोक गहलोत ने अपने 15 वर्ष के शासन में जितनी मूंगफली खरीदी उससे ज्यादा एक वर्ष में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने खरीदी है। वहीं सांसद अमराराम चौधरी व कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ.गर्ग ने दावा किया कि गत कांग्रेस के शासन में किसानों को प्रतिदिन आठ घंटे बिजली की सप्लाई की जा रही थी।
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यह अफसोसनाक है कि तीन सौ वर्ष बाद भी क्रूर शासक औरंगजेब को लेकर भारत में घमासान हो रहा है। नागपुर की घटना देशहित में नहीं।
मुगल शासक औरंगजेब आलमगीर की मौत को हुए तीन सौ वर्ष से भी ज्यादा हो गए, लेकिन यह अफसोसनाक है कि औरंगजेब को लेकर आज भी भारत में घमासान हो रहा है। 17 मार्च को महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब के विवाद को लेकर जो हिंसा हुई उसे देश हित में नहीं माना जा सकता। इस हिंसा में तीन डीएसपी और 20 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हुए। इतना ही नहीं सड़कों पर खड़े वाहनों में जमकर तोडफ़ोड़ की गई। कुछ मुस्लिम युवक सड़कों पर उतरे और उन्होंने जमकर हिंसा की। यह हिंसा एक अफवाह के बाद की गई। इससे प्रतीत होता है कि नागपुर में एक सुनियोजित तरीके से मुस्लिम युवकों को भड़काया गया। सवाल यह भी है कि औरंगजेब का लेकर भारत में इतना घमासान क्यों हो रहा है? जबकि इतिहास गवाह है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर अत्याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महाराष्ट्र और देश के नायक शिवाजी को तो भीषण यातनाएं तक दी गई। महाराष्ट्र की रक्षा के लिए शिवाजी ने जो बलिदान दिया उसे महाराष्ट्र के लोग आज भी मानते हैं। लेकिन आज उसी महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर हिंसा हो रही है। यानी मरने के बाद भी औरंगजेब के नाम पर हिंदुओं को पीटा जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका औरंगाबाद में औरंगजेब की कब्र है। इसे भी अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि आजादी के बाद औरंगजेब की कब्र को भी संरक्षित स्थल मान लिया गया। वैसे तो 1947 में पाकिस्तान का जन्म हो जाने के बाद औरंगजेब की कब्र को भी संरक्षित स्थल की सूची से हटा दिया जाना चाहिए। जिन लोगों को औरंगजेब से मोहब्बत थी या जो लोग औरंगजेब को अपना नायक मानते थे, उन्हें कब्र को भी पाकिस्तान में ले जाना चाहिए था। लेकिन तुष्टीकरण की नीति के चलते औरंगजेब के स्मारक को भारत में ही बनाए रखा गया। आज वो ही औरंगजेब का स्मारक विवाद का कारण बना हुआ है। महाराष्ट्र के लोगों के जेहन में जब औरंगजेब की क्रूरता आती है तो फिर औरंगजेब के स्मारक के प्रति भी गुस्सा नजर आता है। खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सवाल उठाया है कि आखिर औरंगजेब के स्मारक की सुरक्षा क्यों की जाए? गंभीर बात तो यह है कि सीएम फडणवीस के इस बयान को भी हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यदि नागपुर की हिंसा का एक कारण सीएम फडणवीस का बयान भी है तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। जिस औरंगजेब ने हिंदुओं पर इतने अत्याचार किए उसके प्रति सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
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Tuesday, 18 March 2025
सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल में होगा चार दिवसीय अजमेर थियेटर फेस्टिवल। 22 मार्च को अजमेर के मेडिकल कॉलेज में सजेगी ठहाकों की महफिल। महिला पार्षद ने चलाया गौरेया चिडिय़ा बचाओ अभियान।
अपना थियेटर संस्था की ओर से अजमेर के पंचशील स्थित सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में 27 से 30 मार्च तक अजमेर थियेटर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। संस्था के प्रमुख योबी जॉर्ज ने बताया कि इस फेस्टिवल के माध्यम से अजमेर के कलाकारों के समक्ष नाट्य की अलग अलग विधाओं को प्रस्तुत किया जाएगा। संस्था को सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल का सभागार उपलब्ध करवाने के लिए योबी जॉर्ज ने स्कूल के निदेशक राजा डी ठारवानी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इससे अजमेर के नाट्य प्रेमियों को नाटक देखने का अवसर मिलेगा। इस फेस्टिवल में देश के ख्याति प्राप्त नाट्य कलाकारों ने भाग लेने की अनुमति दे दी है। इनमें भीलवाड़ा के गोपाल आचार्य, बीकानेर के सुदेश व्यास, जोधपुर के अरुण व्यास व ख्याति व्यास, भोपाल के सौरभ अनंत आदि शामिल है। गोपाल आचार्य भोपा, भैरूनाथ, सुरेश व्यास दुलारी बाई अरुण व्यास खांचे तथा सौरभ अनंत चूड़ामणि जैसे प्रसिद्ध नाटकों की प्रस्तुति देंगे। योबी जॉर्ज और उनके साथी निरंजन कुमार, राजेंद्र सिंह गजेंद्र प्रसाद, सतीश चंद्र उज्जवल मित्र विष्णु अवतार भार्गव बताते हैं कि एक समय था जब सूचना केंद्र के खुले रंगमंच पर होने वाले नाटकों को देखने के लिए शहरवासी बड़ी संख्या में एकत्रित होते थे। उसी माहौल को दोबारा से जागृत करने के लिए थियेटर फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। इस फेस्टिवल के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414258642 पर नाट्य कर्मी योबी जॉर्ज से ली जा सकती है ।
ठहाकों की महफिल:
अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज के भीमराव अंबेडकर सभागार में 22 मार्च को सायं सात बजे से आनंदम परिवार की ओर से जस्ट हास्यम् का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के ख्याति प्राप्त हास्य कवि सुरेंद्र यादव, लोकेश महाकाली, सुश्री आरुषि राखेचा, दीपक कविता पाठ करेंगे। इस कवि सम्मेलन के सूत्रधार देश के ख्याति प्राप्त कवि रास बिहारी गौड़ हैं। रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलराज मीणा ने बताया कि समारोह में निर्धारित निमंत्रण पत्र के जरिए ही प्रवेश होगा। निमंत्रण पत्र प्राप्त करने के लिए मोबाइल नंबर 9680073007 पर रास बिहारी गौड़ से संवाद किया जा सकता है।
गौरेया चिडिय़ा बचाओ अभियान:
अजमेर के वार्ड संख्या 3 की पार्षद श्रीमती प्रतिभा पारशर ने अपने वार्ड में गौरेया चिडिय़ा बचाव अभियान चलाया है। इस अभियान का शुभारंभ 17 मार्च को क्षेत्रीय विधायक और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने किया। इस अवसर पर श्रीमती पाराशर ने बताया कि वे अपने वार्ड में प्रमुख स्थानों पर दो हजार गौरेया चिडिय़ा के घोंसले स्थापित करेंगी। इसके साथ ही वार्ड में पेड़ लगाए जाएंगे ताकि गौरेया चिडिय़ा आ सके। पाराशर ने कहा कि लगातार पेड़ कटने के कारण गौरेया की प्रजाति लुप्त हो रही है। उन्होंने वार्ड वासियों से भी अपील की कि वे अपने घरों के बाहर एक पात्र में दाना डाले ताकि चिडिय़ाएं आ सकें। इस अभियान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003346 पर प्रतिभा पाराशर से ली जा सकती है।
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होली पर सरकार की किरकिरी करवाने के बाद अधिकारियों को याद आया पुलिस का अनुशासन।
राजस्थान पुलिस के मुखिया यूआर साहू के निर्देश पर 17 मार्च को सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस लाइन में जाकर जवानों के साथ भोजन किया। पुलिस थानों और लाइन में रह रहे जवानों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया गया।यह कार्यवाही इसलिए की गई ताकि कोई भी जवान थानों और पुलिस लाइन में भोजन का बहिष्कार न करे। अधिकारियों ने कहा कि यदि किसी जवान ने बहिष्कार किया तो इसके विरुद्ध अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जाएगी। जवानों को याद दिलाया गया कि पुलिस सेवा नियमों में मांगों को लेकर विरोध करने की अनुमति नहीं है। अधिकारियों ने 17 मार्च को अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया उसी का परिणाम रहा कि अब कोई भी जवान भोजन का बहिष्कार नहीं कर रहा है। पुलिस अधिकारियों को अनुशासन तब याद आया है, जब 15 मार्च को राजस्थान में भजनलाल सरकार की किरकिरी हो गई। पुलिस जवानों ने वेतन विसंगतियों और पदोन्नति की मांगों को लेकर 15 मार्च को होली मिलन का प्रदेश भर में बहिष्कार किया। परंपरा के अनुरूप पुलिस के अधिकारी जवानों के साथ होली खेलने के लिए पुलिस लाइन पहुंच गए, लेकिन एक भी जवान होली खेलने नहीं आया। किसी भी पुलिस थाने से सिपाही निकले ही नही। राजस्थान पुलिस के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब पुलिस जवानों के विरोध की जानकारी मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची। प्रदेश के साठ हजार पुलिस जवान होली मिलन समारोह का बहिष्कार कर रहे है, इसकी जानकारी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को 15 मार्च को ही सोशल मीडिया के माध्यम से हुई। सरकार के लिए यह और बुरी बात थी कि गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री के पास ही है। यानी प्रदेश के 60 हजार जवान एक साथ होली पर्व का बहिष्कार कर रहे है और मुख्यमंत्री को जानकारी भी नहीं है। जवानों का होली बहिष्कार सरकार के सूचना तंत्र पर भी सवालिया निशान लगाता है। कायदे से तो उन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने प्रदेश भर के जवानों को होली पर्व का बहिष्कार करने की शह दी। अधिकारियों की शह के बगैर पुलिस के जवान इतनी बड़ी अनुशासनहीनता नहीं कर सकते।
Monday, 17 March 2025
वक्फ एक्ट में संशोधन के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले लोग पहले पड़ोसी इस्लामिक देश पाकिस्तान के हालात देख लें। ट्रेन हाइजैक के बाद पाकिस्तान में थल और जल सेना पर हमला। अनगिनत सैनिक मारे गए। बलूच लिबरेशन आर्मी की वजह से पाकिस्तान की सेना में हड़कंप।
17 मार्च को दिल्ली में वक्फ एक्ट में संशोधन के विरोध में कुछ मुस्लिम संगठन प्रदर्शन कर रहे है। इन मुस्लिम संगठनों का कहना है कि संशोधन के बाद वक्फ की संपत्तियां मुसलमानों से छीन जाएगी। हालांकि सरकार ने कई बार स्पष्ट कर दिया है कि वक्फ की संपत्तियां संबंधित मुस्लिम संगठनों के नियंत्रण में रहेगी। सरकार का उद्देश्य संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और संबंधित संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता लाना है। लेकिन इसके बाद भी कुछ मुस्लिम संगठन सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे है। इसी के अंतर्गत 17 मार्च को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। जो लोग भारत में नए वक्फ कानून का विरोध कर रहे हैं उन्हें एक बार पड़ोसी इस्लामिक देश पाकिस्तान के ताजा हालात देख लेने चाहिए। पाकिस्तान में ऐसे मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन बन गए है जो सीधे सेना को चुनौती दे रहे है। 16 मार्च को भी क्वेटा में बलूच लिबरेशन आर्मी का आत्मघाती दल पाकिस्तानी सेना के काफिले में घुस गया और विस्फोट कर दिया। इससे सेना के अनगिनत सैनिक मारे गए। बलूच आर्मी ने दावा किया है कि 90 से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है। इसी दिन ग्वादर कोष्ठ गार्ड पर भी हमला किया गया। इस हमले में भी अनेक पाकिस्तानी कोष्ठ गार्ड मारे गए। हाल ही में बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। बलोच आर्मी की वजह से पाकिस्तान की सेना में हड़कंप मचा हुआ है। इस्लामिक देश पाकिस्तान में ऐसे मुस्लिम चरमपंथी संगठन मजबूत हो गए है जो सरकार के बाद सेना को चुनौती दे रहे है। भारत में वक्फ एक्ट में संशोधन का उद्देश्य भी वक्फ बोर्डों पर काबिज संगठनों के कामकाज पर नजर रखना है। यदि ऐसे संगठनों पर नजर नहीं रखी जाएगी तो भारत में भी चरमपंथी संगठन मजबूत होते चले जाएंगे। वैसे भी देश के सभी सामाजिक संगठनों पर निगरानी का अधिकार सरकार का होना चाहिए। कोई संगठन क्या कर रहा है, इसकी जानकारी सरकार के पास होनी चाहिए। जब किसी संगठन का उद्देश्य सामाजिक विकास का हो तो फिर संगठनों को भी निगरानी से डरना नहीं चाहिए। सवाल उठता है कि वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और काबिज संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता लाने का विरोध क्यों किया जा रहा है? यदि संगठनों से जुड़े लोगों को डर नहीं है तो फिर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि वक्फ संपत्तियों को उपयोगी बनाकर मुसलमानों का ही विकास किया जाएगा। क्या काबिज मुस्लिम संगठन अपने ही समाज के लोगों का विकास नहीं चाहते?
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आनासागर के भराव क्षेत्र में बने पक्के निर्माणों ने जिन लोगों ने राजस्थान हाई कोर्ट से स्टे ले रखा है, क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे स्टे आडरों को खारिज करवाएगा? सेवन वंडर, फूड प्लाजा आदि इमारतों को तोड़ने का मामला।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट के आदेश निर्देश के बाद अजमेर में आनासागर के भराव क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बने सेवन वंडर, फूड प्लाजा, गांधी स्मृति उद्यान को तोड़ने का काम लगातारी जारी है। इस तोडफ़ोड ़की कार्यवाही केबीच सवाल उठता है कि जिन लोगों ने आनासागर के भराव क्षेत्र में अपने पक्के निर्माणों पर राजस्थान हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है, क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे स्टे आर्डरों को खारिज करवा देगा? सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि एनजीटी ने सेवन वंडर, प्लाजा आदि को आनासागर के भराव क्षेत्र से हटाने का जो आदेश पारित किया है उस पर प्रशासनिक कार्यवाही करे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन ने बुलडोजर चला कर कुछ इमारतों को तोड़ा भी है, लेकिन आनासागर के भराव क्षेत्र में एक हजार से भी ज्यादा पक्के निर्माण हो रखे हैं। कुछ लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे आदेश ले रखा है ताकि प्रशासन तोडफ़ोड की कार्यवाही न कर सके। यह सही है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टर के अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन कर सेवन वंडर, फूड प्लाजा जैसे निर्माण आनासागर के भराव क्षेत्र में कर दिए। जबकि इन स्थानों पर पर्यावरण की दृष्टि से पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए थे? चूंकि सेवन वंडर जैसी इमारतें सरकारी है, इसलिए इन्हें तोड़ा जा रहा है, लेकिन आनासागर झील को बचाने का काम तभी सफल होगा, जब सभी पक्के निर्माण हटाए जाए। इसके लिए जरूरी है कि पहले हाईकोर्ट के स्टे आर्डर खारिज हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट एनजीटी के आदेशों की पालना के अंतर्गत सरकारी इमारतें तुड़वादे और हाईकोर्ट के स्टे आदेश से प्रभावशाली लोगों के पक्के निर्माण आनासागर में बने रहे। आनासागर के साथ न्याय तभी होगा जब हाईकोर्ट वाले स्टे आदेश भी खारिज हो। सुप्रीम कोर्ट को अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए हाईकोर्ट के स्टे आदेश खारिज करवाने चाहिए।
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Sunday, 16 March 2025
अब कर्नाटक में भी सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण। अत्याचारी औरंगजेब की मजार की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात। ओवैसी को झूठ बोलने की छूट। मुसलमानों को भारत में और क्या चाहिए।
कांग्रेस शासित कर्नाटक में सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी कार्यों के ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, इसके लिए सरकार ने मौजूदा कानूनों में बदलाव भी किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि अल्पसंख्यक वर्ग के विकास के लिए यह निर्णय लिया गया है। केरल, बिहार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में मुसलमानों को ओबीसी वर्ग का दर्जा देकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जा रहा है। वैसे भी सरकार की किसी भी योजना में मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। 25 करोड़ मुस्लिम आबादी में से अधिकांश मुस्लिम प्रतिमाह पांच किलो अनाज फ्री में प्राप्त कर रहे है।
मजार की सुरक्षा:
सब जानते हैं कि मुगल काल में मुगल शासक औरंगजेब आलमगीर ने हिंदुओं पर घोर अत्याचार किए। देश के प्रमुख हिंदू मंदिरों में तोडफ़ोड़ की। इस्लाम धर्म न कबूलने पर करोड़ों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया। ऐसे अत्याचारी शासक की मजार आज भी महाराष्ट्र के औरंगाबाद के खुल्दाबाद में है। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के बयान से उत्पन्न हुए हालातों में औरंगजेब की मजार को भी खतरा हो गया। औरंगजेब की मजार सुरक्षित रहे इसके लिए देवेंद्र फडनवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मजार परिसर के बाहर पुलिस तैनात कर दी है। यानी अत्याचार औरंगजेब की मजार की भी सुरक्षा की जा रही है।
झूठ बोलने की छूट:
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 14 मार्च को जुम्मे की नमाज के बाद हैदराबाद की मस्जिद में तकरीर करते हुए कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मुसलमानों की मस्जिदे, कब्रिस्तान और दरगाहों तक को छीन लेगी। ओवैसी ने वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर जो कुछ भी कहा वह सफेद झूठ है। संसद में प्रस्तुत प्रस्ताव में ऐसा कही भी नहीं लिखा है कि नए कानून से वक्फ की संपत्तियों इधर उधर हो जाएंगी। सरकार की ओर से कई बार यह स्पष्ट कर दिया गया है कि संशोधन के बाद भी वक्फ संपत्तियां मुस्लिम संस्थाओं के पास ही रहेंगी। सरकार का उद्देश्य सिर्फ संपत्तियों का विधिवत पंजीकरण और संपत्तियों का उपयोग मुसलमानों के हित में करना है। लेकिन इसके बाद भी ओवैसी जैसे नेता झूठ बोल कर मुसलमानों को गुमराह कर रहे है। भारत में जब मुसलमानों को नौकरियों, सरकारी ठेकों में आरक्षण और औरंगजेब की मजार की सुरक्षा करने के साथ साथ ओवैसी जैसे नेताओं को झूठ बोलने की छूट है, तब सवाल उठता है कि मुसलमानों को और क्या चाहिए? इतिहास गवाह है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने अंग्रेजों से दो टूक शब्दों में कहा था कि मुसलमान भारत में हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते, इसलिए मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान बनाया जाए। अंग्रेजों ने जिन्ना की मांग पर ही पाकिस्तान बनाया। मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान बन जाने के बाद भी भारत में आज भी मुसलमानों का सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इस सम्मान का क्या परिणाम होगा यह वक्त ही बताएगा।
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राजस्थान के साठ हजार पुलिस कर्मी विरोध पर उतर जाए और मुख्यमंत्री को पता भी न चले ऐसे कैसे हो सकता है? पुलिस कर्मियों द्वारा होली का पर्व न मनाना गंभीर बात है। जांच होनी चाहिए। क्या अधिकारियों की शह के बगैर कांस्टेबल ऐसा कर सकते हैं?
होली पर्व पर धुलंडी के अगले दिन राजस्थान के पुलिस महकमे में होली खेलने की परंपरा है। लेकिन इस बार 15 मार्च को प्रदेश भर के पुलिस महकमे में होली खेलने की परंपरा को नहीं निभाया गया। कांस्टेबल स्तर के साठ हजार से भी ज्यादा पुलिस कर्मियों का कहना रहा कि उनका वेतन मान पटवारी से भी कम है। विभाग में कांस्टेबल से लेकर पुलिस निरीक्षक तक की पदोन्नति भी समयबद्ध नहीं है। फलस्वरूप पात्र होने के बाद भी पुलिसकर्मियों की पदोन्नति नहीं हो पाती। वेतन विसंगतियों, पदोन्नति, मैस भत्ता बढ़ाने आदि की मांगों को लेकर ही पुलिसकर्मियों ने होली पर्व का बहिष्कार किया। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि पुलिस कर्मी होली का बहिष्कार कर रहे है। इस पर सीएम ने तत्काल ही पुलिस महानिदेशक यूआर साहू से बात की और पुलिस कर्मियों की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए। सवाल उठता है कि ऐसे कैसे हो सकता है कि प्रदेश के साठ हजार पुलिस कर्मी विरोध पर उतर जाए और मुख्यमंत्री को पता ही न चले? यह भी तब जब गृह विभाग ही मुख्यमंत्री के पास ही है। मुख्यमंत्री आमतौर पर गृह विभाग को अपने पास इसलिए रखते है ताकि प्रदेश में होने वाली घटनाओं की जानकारी तत्काल मिल जाए। सूचनाएं एकत्रित करने के लिए राजस्थान पुलिस में भ सीआईडी का बड़ा स्टाफ है। यहां भी पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी तैनात है। यदि गृह विभाग वाले मुख्यमंत्री को साठ हजार पुलिस कर्मियों के विरोध की जानकारी नहीं मिली तो यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद गंभीर बात है। मुख्यमंत्री शर्मा को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करवानी चाहिए। उन अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने इतने बड़े विरोध प्रदर्शन की जानकारी मुख्यमंत्री को समय पर नहीं दी। होली पर्व का बहिष्कार का मामला मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग होने पर भी सवाल उठता है। होली पर्व का बहिष्कार एक साथ पूरे प्रदेश में होगा, इसकी तैयारी पुलिस कर्मियों ने पहले से ही होगी। इस तैयारी के बारे में भनक नहीं लगना सरकार के सूचना तंत्र की विफलता को भी उजागर करता है।
अधिकारियों की शह?:
होली खेलना पुलिस अधिकारियों और कार्मिकों का मिला जुला पर्व है। पुलिस कार्मिक अपने थानों पर एकत्रित होकर पुलिस अधीक्षक, रेज आईजी आदि अधिकारियों के घरों पर या फिर पुलिस लाइन पर पहुंचते हैं। इस दिन अधिकारियों और कांस्टेबल का भेद खत्म हो जाता है। होली के इस पर्व का पुलिस महकमे में वर्ष भर इंतजार रहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस कार्मिकों ने अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शह के बगैर इतना बड़ विरोध प्रदर्शन कर दिया? 15 मार्च को कोई पुलिस कर्मी होली खेलने नहीं आएगा क्या इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को नहीं था? पुलिस में अनुशासन को जो सिस्टम है, उसमें कांस्टेबल के लिए पुलिस अधीक्षक तो भगवान के बराबर होता है। अपने थानाधिकारी के निर्देशों को न मानने की हिम्मत कांस्टेबल नहीं दिखा सकता। ऐसे सख्त अनुशासन में पुलिस कार्मिक बड़े अधिकारियों की शह के बगैर विरोध कर ही नहीं सकते थे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं लेकिन पुलिस कार्मिकों के इतने बड़े प्रदर्शन के पीछे अधिकारियों की शह रही है।
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केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की सफलता में पिता कदम सिंह की कड़ी मेहनत रही। वर्ष 1993 में अजमेर के डीआरएम ऑफिस से सेवानिवृत्त हुए। अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी शामिल हुए।
राजस्थान के अलवर के भाजपा सांसद और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के 93 वर्षीय पिता कदम सिंह यादव का 15 मार्च को निधन हो गया। उनकी पार्थिव देह का अंतिम संस्कार इसी दिन पैतृत गांव जमालपुर (जिला गुडग़ांव हरियाणा) में कर दिया गया। अंतिम संस्कार में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी शामिल हुए। सीएम शर्मा ने कदम सिंह के निधन पर गहरा शोक जताया। भूपेंद्र यादव की राजनीतिक सफलता के पीदे दिवंगत पिता कदम सिंह की कड़ी मेहनत रही है। कदम सिंह 1993 में अजमेर के रेल मंडल कार्यालय के लेखा शाखा से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के समय तक कदम सिंह अजमेर के फ्रेजर रोड स्थित रेलवे के क्वार्टर में निवास करते थे। रेलवे के क्वार्टर में ही कदम सिंह ने तीन बेटियों और एक बेटे भूपेंद्र यादव को पढ़ाया लिखाया। कदम सिंह के साथ ही रेलवे क्वार्टर में रहने वाले रेलवे स्कूल की रिटायर प्रिंसिपल श्रीमती मीना गुर्जर ने बताया कि कदम सिंह उनके भाई के समान थे। कदम सिंह अपने परिवार के प्रति हमेशा चिंतित रहते थे। रेलवे में नौकरी करने के कारण ही बेटे भूपेंद्र यादव ने स्कूली पढ़ाई सेंट पॉल स्कूल में की और फिर गवर्नमेंट कॉलेज में स्नातक करने के बाद एलएलबी की डिग्री ली। कुछ समय भूपेंद्र यादव ने अजमेर के जिला न्यायालय में वकालत भी की, लेकिन सेवानिवृत्त के बाद कदम सिंह अपने परिवार के साथ हरियाणा चले गए। इसके बाद भूपेंद्र यादव ने राजनीति में प्रवेश किया और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव से लेकर केंद्रीय मंत्री तक बने। भूपेंद्र यादव की राजनीतिक सफलता में उनके पिता कदम सिंह की कड़ी मेहनत रही है। पिता ने जीवन का जो पाठ पढ़ाया उसी की वजह से भूपेंद्र यादव आज देश के चुनिंदा राजनेताओं में से एक है। पिता ने जो सीख दी उसी की वजह से भूपेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भरोसा जीत रखा है। आज देश के किसी भी राज्य में चुनाव होने पर भाजपा की रणनीति भूपेंद्र यादव ही तैयार करते हैं। पिता कदम सिंह ने भले ही अपना जीवन रेलवे क्वार्टर में गुजार दिया हो, लेकिन महाराष्ट्र के चुनाव में भूपेंद्र यादव भाजपा के प्रभारी थे, तो केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सह प्रभारी। यानी जिन रेल मंत्री के पास संपूर्ण देश का रेल विभाग हो उन रेल मंत्री ने महाराष्ट्र चुनाव में भूपेंद्र यादव के निर्देशों की क्रियान्विति की। अब जब बिहार के चुनाव हो रहे है तो भूपेंद्र यादव ने भाजपा की रणनीति बनाने का काम शुरू कर दिया है। 27 वर्ष बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार बनाने में भी यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भूपेंद्र यादव ने अपने पिता कदम सिंह की सेवा करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वे राजनीति की कितनी भी ऊंचाईयों पर रहे हो, लेकिन अपने पिता को साथ रखा। भूपेंद्र यादव भी मानते हैं कि उनकी सफलता में पिता का आशीर्वाद है। उल्लेखनीय है कि भूपेंद्र यादव की छोटी बहन श्रीमती रेखा यादव पुष्कर के गवर्नमेंट कॉलेज में प्राध्यापक है तथा रेखा के पति डॉ. मिलन यादव इसी कॉलेज के प्राचार्य हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-03-2025)
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Saturday, 15 March 2025
इस बार चेटीचंड पर्व पर फोटोग्राफर इंदर चेनानी (नटराज) को भी सिंधु रत्न मिलेगा। अजमेर में फोटो जर्नलिस्ट में वाकई रत्न है इंदर जी।
अजमेर में चेटीचंड पर्व के अवसर पर इस बार फोटो जर्नलिस्ट इंदर चेनानी (नटराज) को भी सिंधु रत्न से सम्मानित किया जाएगा। चेटी चंड समारोह समिति के संयोजक कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि यह सम्मान समारोह 23 मार्च को आयोजित होगा। इस समारोह में सिंधी समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के फोटो जर्नलिज्म में इंदर चेनानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब तो मोबाइल से ली गई फोटो भी अख़बारों में छप जाती है, लेकिन 80 के दशक में कैमरे से ली गई फोटो ही अखबारों में छप पाती थी। शुरुआत के दिनों में तो ऑफसेट मशीन पर भी ब्लैक एंड व्हाइट अखबार ही छपते थे। तब फोटो का अपना महत्व होता था। अजमेर में दैनिक नवज्योति अखबार में सबसे पहले ऑफसेट मशीन लगी। तभी से इंदर चेनानी ने प्रेस फोटोग्राफर का काम शुरू किया। इससे पहले इंदर चेनानी नला बाजार स्थित अपने स्टूडियो में दरगाह में आने वाले जायरीन की फोटो खींचते थे। दैनिक नवज्योति से शुरू की गई फोटो जर्नलिज्म की यात्रा आज भी जारी है। उम्र भले ही 84 वर्ष की हो, लेकिन फोटो खींचने का जज्बा कम नहीं हुआ है। चेनानी ने नवज्योति के बाद राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राष्ट्रदूत, पंजाब केसरी जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में लंबे समय तक काम किया। चेनानी इंदर नटराज के नाम से मशहूर हुए। स्टेशन रोड पर उनके स्टूडियो का नाम नटराज स्टूडियो था। चेनानी ने अपने नाम का पहला शब्द और स्टूडियो का नाम जोड़कर इंदर नटराज रख लिया। जब दैनिक नवज्योति अपने चरम पर था, तब इंदर नटराज की भी पत्रकारिता के क्षेत्र में तूती बोलती थी। मुझे यह लिखने में संकोच नहीं कि मेरी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में इंदर चेनानी का विशेष योगदान रहा। जब मैं राष्ट्रदूत अखबार में काम करता था। तब मेरे लिखने का स्थान चेनानी का नटराज स्टूडियो ही रहा। उस समय कागज पर खबर खिलकर रोडवेज बस के माध्यम से खबरों को जयपुर भेजा जाता था। संघर्ष के उन दिनों में चेनानी का स्कूटर ही काम आता था। मुझे याद है कि एक बार मैंने राष्ट्रदूत अखबार में उर्स मेले के दौरान पाकिस्तानी जायरीनों द्वारा पाकिस्तान का झंडा लहराने की खबर लिखी। इस खबर के बाद देशभर में हंगामा हुआ। ब सरकार ने खबर की पुष्टि के लिए सबूत मांग लिया। उस समय हमने सभी फोटोग्राफरों की रील ली और एक एक फोटो को नटराज स्टूडियो के डार्क रूम में देखा तभी हमें पाकिस्तानी झंडे वाला फोटो भी मिल गया। अगले दिन सबूत के साथ खबर प्रकाशित की तो संसद में केंद्र सरकार को भी जवाब देना पड़ा। मेरे पत्रकारिता के जीवन में ऐसे कई अवसर आए जिनमें इंदर नटराज के फोटो का खास महत्व रहा। कहा जा सकता है कि इंदर नटराज अजमेर में प्रेस फोटोग्राफी के जनक है। ऐसे में कई फोटोग्राफर हुए जिन्होंने इंदर चेनानी से फोटोग्राफी के गुर सीखे। इंदर चेनानी ने अजमेर के पुराने सभी वरिष्ठ पत्रकारों के साथ काम किया। मेरा यह सौभाग्य है कि इंदर चेनानी से आज भी संवाद बना हुआ है। आज इंदर नटराज भले ही फोटो जर्नलिज्म में सक्रिय न हो, लेकिन शारीरिक दृष्टि से पूर्ण स्वस्थ है। 84 वर्ष की उम्र में भी इंदर चेनानी का शरीर निरोगी बना हुआ है। इसका मुख्य कारण यही है कि वे अपने दैनिक जीवन में अनुशासन प्रिय है। सिंधी समुदाय के इंदर चेनानी को सिंध रत्न देने का जो फैसला किया है, वह सराहनीय है। मोबाइल नंबर 8058884505 पर इंदर चेनानी को बधाई दी जा सकती है।
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तमिलनाडु सरकार ने रुपए के चिन्ह को बदला। डीएमके का यह कृत्य देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है। कश्मीर से भी ज्यादा खतरनाक रास्ते पर चल रहा है तमिलनाडु।
एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (डीएमके) की सरकार ने तमिलनाडु के बजट में इस बा देश की मुद्रा रुपए के चिह्न को ही बदल दिया है। सरकार की ओर से जो बजट पेश किया गया उसमें चिन्ह को तमिल भाषा में प्रदर्शित किया गया है। रुपए के चिन्ह को बदलना देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है। कोई भी राज्य अपने नजरिए से देश की मुद्रा की पहचान नहीं बदल सकता है। भारत सरकार ने अपनी मुद्रा रुपए का विशेष ह्नि बनाया है। सभी राज्यों को अनिवार्य रूप से इस चिह्न का उपयोग करना है, लेकिन तमिलनाडु ने रुपए के चिह्न को बदल कर ही केंद्र सरकार को चुनौती दी है। इससे पहले भ तमिलनाडु सरकार ने केंद्र के त्रिभाषायी फार्मूले को मानने से इंकार कर दिया। मुख्यमंत्री स्टालिन और उनके पुत्र उदयनिधि स्टालिन पहले ही सनातन धर्म को नष्ट करने की बात कह चुके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि तमिलनाडु अब कश्मीर से भी ज्यादा खतरनाक रास्ते पर चल रहा है। मुख्यमंत्री स्टालिन द्रविड़ समुदाय को खुश करने के लिए जो तौर तरीके अपना रहे है उससे देश की एकता और अखंड खतरे में पड़ सकती है। केंद्र सरकार को समय रहते तमिलनाडु पर नियंत्रण करने की जरूरत है। स्टालिन अपने समुदाय के लोगों की भावनाओं को जागृत कर खतरनाक खेल खेल रहे हैं। तमिलनाडु के हालातों पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो हालात बदत्तर होंगे।
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उत्तर प्रदेश में हिंदुओं को भी अधिकार और सम्मान के साथ रहने का हक है। इस बात का एहसास करवाने के बाद होली के पर्व पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुसलमानों की अहमियत भी स्वीकारी।
सब जानते हैं कि आजादी के बाद उत्तर प्रदेश पर शासन करने वाले राजनीतिक दल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने तुष्टीकरण की नीति अपनाई। इस तुष्टिकरण की नीति के कारण उत्तर प्रदेश में हिंदुओं का जीना दूभर हो गया। आजम खान के मंत्री रहते हुए जिस तरह हिंदुओं का पलायन करना पड़ा, उस माहौल में कल्पना नहीं की गइ्र कि संभव में बंद हुए मंदिर फिर से खुल जाएंगे। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। लेकिन पिछले सात वर्षों के शासन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में हिंदुओं को भी अधिकार व सम्मान के साथ रहने का अधिकार है। अयोध्या में न केवल राम मंदिर बना बल्कि संभल में इस बार मंदिरों में होली का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। मीडिया में आशंका जताई गई कि होली के पर्व पर निकलने वाले जुलूस के कारण सांप्रदायिक दंगे हो सकते हैं, लेकिन सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुई। पूरे उत्तर प्रदेश में शांति और सौहार्द के माहौल में होली का पर्व मनाया गया। कुछ स्थानों पर तो मुस्लिम संप्रदाय के लोगों को होली का पर्व मनाते देखा गया। इस बार रमजान माह का शुक्रवार (जुमा) और होली पर्व की धुलंडी (रंग खेलने का दिन) एक ही दिन रहा। मस्जिदों में जुमे की नमाज भी पढ़ी गई तो हिंदुओं ने होली के रंगों का आनंद भी लिया। संभव की कुछ मस्जिदों पर त्रिपाल ढकने को लेकर माहौल को बिगाडऩे की कोशिश की गई, लेकिन धुलंडी के एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हुड़दंग करने वालों को भी चेतावनी दे दी। योगी ने स्पष्ट कहा कि होली पर्व की आड़ में किसी को भी हुड़दंग का अड्डा बनाने का मौका नहीं दिया जाएगा। गोरखनाथ मंदिर की परंपरा के अनुसार योगी आदित्यनाथ होली का पर्व गोरखपुर स्थित मंदिर परिसर में ही मानते हैं। 14 मार्च को मंदिर परिसर में लोगों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि होली का पर्व आपसी मतभेदों को खत्म करने का पर्व है। इस पर्व का एक ही संदेश है कि एकता से ही देश की अखंडता बनी रहेगी। यानी योगी आदित्यनाथ ने एकता में मुसलमानों की अहमियत को भी स्वीकार किया है। मतभेदों को समाप्त करने की बात कह कर योगी ने मुस्लिम आबादी के प्रति भी सकारात्मक संदेश दिया है। देश में उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में जो शांति कायम हुई है उसका लाभ मुसलमानों को भी मिला है। सरकार की योजनाओं का लाभ भी आम मुसलमान को मिलने लगा है। होली के पर्व पर योगी आदित्यनाथ ने जो सकारात्मक संदेश दिया है उसकी प्रशंसा मुस्लिम प्रतिनिधियों ने भी की है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन करवा कर भी योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म की सामर्थ्य दिखाई है। महाकुंभ दुनिया का पहला पर्व रहा, जिसमें 45 दिनों की अवधि में एक स्थान पर 65 करोड़ से भी ज्यादा लोग एकत्रित हुए।
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Tuesday, 11 March 2025
क्या सुप्रीम कोर्ट उन अफसरों पर कार्यवाही करेगा, जिन्होंने स्मार्ट सिटी के काम करवाए? जब सरकारी निर्माण ही टूट रहे हैं तो आनासागर के किनारे बसी आवासीय कॉलोनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का क्या होगा? सेवन वंडर, फूड प्लाजा, गांधी स्मृति उद्यान आदि तोड़ने का मामला।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अजमेर में आनासागर के किनारे भराव क्षेत्र में बनाए गए फूड प्लाजा, सेवन वंडर की इमारतों, गांधी स्मृति उद्यान आदि पक्के निर्माण को जेसीबी से तोडऩे का काम 11 मार्च को भी जारी रहा। तोडफ़ोड़ की यह कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप 10 मार्च से शुरू हुई थी। यदि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर पूरी तरह अमल होता है तो आनासागर के किनारे 10 किलोमीटर लम्बे बने पाथवे को भी तोडऩा पड़ेगा। आरोप है कि आनासागर के भराव क्षेत्र की जिस आद्र्र भूमि (वेटलैंड) पर पेड़ लगाए जाने चाहिए थे, उस पर अधिकारियों ने पक्के निर्माण करवा दिए। सुप्रीम कोर्ट की सख्त कार्यवाही से बचने के लिए राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सरकारी पक्के निर्माण तुड़वा दिए। पंत का मानना रहा कि सरकारी इमारतों को बचाने के लिए वे सजा क्यों भुगते। इन पक्के निर्माणों पर 150 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि खर्च हुई है। लेकिन सारा पैसा केंद्र और राज्य सरकार का है। किसी भी अधिकारी ने एक रुपया भी अपनी जेब से नहीं लगाया। जब अधिकारियों ने एक रुपया भी नहीं लगाया तो फिर ऐसे निर्माणों को तोड़ने में कोई दुख भी नहीं हो रहा। सब जानते हैं कि सरकार जो पैसा खर्च करती है, वह जनता का ही होता है। देखा जाए तो यह अजमेर के लोगों का ही नुकसान है। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने तो स्मार्ट सिटी के पक्के निर्माण तुड़वा दिए, लेकिन सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट उन अफसरों पर कार्यवाही करेगा, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन कर ऐसे निर्माण करवाए? कायदे से सुप्रीम कोर्ट को उन अफसरों पर कार्यवाही करनी चाहिए जिन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में होने वाले कार्यों का चयन किया। यहां खासतौर से उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जनप्रतिनिधियों और शहर के जागरूक नागरिकों की भागीदारी भी रही है। उन जागरूक नागरिकों के नाम भी उजागर होने चाहिए, जिन्होंने सेवन वंडर, फूड प्लाजा, पाथवे जैसे कार्यो को करवाने पर सहमति दी। अजमेर के जनप्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की कार्यसमिति में नगर निगम के मेयर, अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, विधायक, सांसद आदि भी प्रतिनिधि होते हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी के कार्यों की जिम्मेदारी इन सबकी भी है। अजमेर की जनता बहुत भोली है, इसलिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपनी मनमर्जी करते है। अच्छा हो कि सुप्रीम कोर्ट स्मार्ट सिटी के कार्यों को हटाने के साथ साथ उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही करें जो इन कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं।
आवासीय कॉलोनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठान:
जब स्मार्ट सिटी के पक्के निर्माण ही टूट रहे हैं, तब सवाल उठता है कि आनासागर के भराव क्षेत्र में बसी आवासीय कॉलोनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का क्या होगा? देखा जाए तो आनासागर के किनारे ऋषि उद्यान से लेकर सर्किट हाउस के नीचे तक की भूमि भराव क्षेत्र में ही आती है। ऐसे में इस दस किलोमीटर में जो भी निर्माण है उन्हें टूटना चाहिए। अब आवासीय कॉलोनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बचाने में प्रशासन की भी कोई रुचि नहीं होगी। प्रशासन ने पूर्व में भी आनासागर के किनारे बसी कॉलोनियों को हटाने को लेकर कार्यवाही की है। कुछ माह पहले ही रीजनल कॉलेज के सामने सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सीज किया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर शहर के बीचों बीच बनी आनासागर झील प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाती है। यदि आनासागर की भराव क्षमता पहले की तरह 16 फीट हो जाती है तो इससे भूमिगत जलस्तर में भी वृद्धि होगी। सेवन वंडर जैसी इमारतों के टूटने से आनासागर के किनारे बसी कॉलोनियों में दहशत का माहौल है।
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योगी से कम नहीं है राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गौ सेवा भाव। देश में सर्वाधिक गाय। एकादशी पर गौ मय हुआ मुख्यमंत्री आवास। व्रतधारियों को फलहारी खिलाई। हर सनातनी परिवार प्रतिदिन एक रोटी (गो ग्रास) गौशाला में दे। गाय को राज्य माता का दर्जा भी मिलेगा। बैलों से खेती करने वाले किसान को सालाना 30 हजार का अनुदान।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरे देश में गौ भक्त के तौर पर भी जाना जाता है, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गौ सेवा भाव भी किसी से कम नहीं है। इसी भाव के अंतर्गत 10 मार्च को जयपुर में मुख्यमंत्री का सरकारी आवास गौ मय हो गया। बजट में गौशालाओं को अनुदान में वृद्धि करने पर राजस्थान गौ सेवा समिति के तत्वावधान में गोविंद वल्लभदास महाराज, दिनेश गिरी महाराज, रघुनाथ भारती आदि साधु संतों के नेतृत्व में प्रदेशभर के गौ सेवक 10 मार्च को सीएम शर्मा का अभिनंदन करने के लिए एकत्रित हुए। इस समारोह में मुख्यमंत्री ने बताया कि इस सरकारी आवास में आने से पहले उन्होंने गौ माता का प्रवेश करवाया और गौशाला स्थापित की। आज जिस तेजी के साथ वे रात और दिन काम कर रहे है उसके पीछे भी गौमाता की कृपा है। जब वे सुबह उठते हैं तो सबसे पहले गौ माता के दर्शन करते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि प्रदेश भर के गौभक्त फाल्गुन माह की एकादशी पर एकत्रित हुए हैं। मैं स्वयं भगवान कृष्ण की पहचान वाली ब्रजभूमि का निवासी हंू, इसलिए हर एकादशी का व्रत करता हंू। चूंकि आज मेरा एकादशी का ब्रज है, इसलिए फलाहारी वाला भोजन ही करुंगा। मैंने आप सब लोगों के लिए फलाहारी वाला भोजन बनवाया है। सीएम शर्मा ने कहा कि मेरे सामने गौशालाओं की समस्याओं को रखा जाता है। प्रदेश का मुखिया होने के नाते मेरी जवाबदेही है कि मैं समस्याओं का समाधान करूं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में तो हर परिवार में प्रतिदिन एक रोटी गौ ग्रास के तौर पर बनाई जाती है। आज भी मेरे परिवार जैसे हजारों परिवार है, जिनमें पहली रोटी गाय को खिलाने के लिए बनाई जाती है। हो सकता है कि अब शहरी क्षेत्रों में गाय देखने को न मिले। ऐसे परिवार एक रोटी के मूल्य की राशि गौशाला में दान करे। यदि सनातनी परिवार प्रतिदिन एक रोटी के हिसाब से प्रतिमाह निर्धारित राशि गौशाला में दान करेगा तो किसी भी गौशाला को सरकार से अनुदान प्राप्त करने की जरूरत ही नहीं होगी। सीएम शर्मा ने इस अवसर पर उन सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जो जो गौवंश के लिए चल रही है। उन्होंने बताया कि जो किसान आज भी बैलों के जरिए खेती करता है उसे राज्य सरकार प्रतिवर्ष 50 हजार रुपए का अनुदान दे रही है। इतना ही नहीं गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए भी अनुदान दिया जाता है। गोपालक क्रेडिट कार्ड पर अब ढाई लाख रुपए का लोन रियायती ब्याज दर पर मिलेगा। सर्दियों में गाय को बाजरा खिलाने का काम भी उनकी सरकार कर रही है। एक लीटर दूध सहकारी समिति में जमा करवाने पर पांच रुपए का अनुदान भी दिया जा रहा है। सरकार प्रदेश भर में एक हजार नई ग्राम दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति बनाने जा रही है। ताकि पशु पालक ज्यादा से ज्यादा दूध इन समितियों में जमा करवा सके। सीएम शर्मा ने संतों की मांग पर भरोसा दिलाया कि गाय को राज्य माता का दर्जा दिलाया जाएगा। उन्होंने माना कि देश में सर्वाधिक गाय राजस्थान में ही है। महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में गाय को राज्य माता का दर्जा दे दिया है। उन्होंने माना कि जो लोग गौशाला गौचर भूमि पर संचालित है उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। सीएम ने कहा कि मैं स्वयं गौ भक्त हंू। आप लोग देखते जाइए कि आगे आगे होता है क्या। राजस्थान में गौ माता के संरक्षण और सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। लेकिन गौ माता के प्रति जागरुकता की भी जरूरत हे। गाय सड़कों पर आवास न घूमे इसकी जिम्मेदारी हम सबकी है।
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शब्द निष्ठा प्रतियोगिता के परिणाम घोषित। साहित्यकार समीक्षक और लेखक डॉ. अखिलेश पालरिया की अनूठी पहल।
डॉ. अखिलेश पालरिया संभवत: देश के एक मात्र साहित्यकार, लेखक और समीक्षक होंगे जो प्रतिवर्ष अपनी पेंशन राशि में से देश भर के लेखकों को पुरस्कार वितरित करते हैं। अजमेर के प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. पालरिया गत 11 वर्षों से शब्द निष्ठा प्रतियोगिता आयोजित कर रहे है, इसमें देश भर के लेखकों से प्रविष्ठियां मांगी जाती है। डॉ. पालरिया ने बताया कि शब्द निष्ठा प्रतियोगिता 11 का परिणाम घोषित कर दिया गया है। डॉ. पालरिया ने अजमेर में बीसला पाल स्थित अपने आवास पर एक सभागार बना रखा है और यह सभागार साहित्यिक गतिविधियों के लिए निशुल्क दिया जाता है। डॉ. पालरिया की विभिन्न विधाओं पर अब तक 29 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रतिवर्ष पचास हजार रुपए से भी ज्यादा की राशि दी जाती है। शब्द निष्ठा संस्था की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9610510526 पर डॉ. पालरिया से ली जा सकती है।
शब्द निष्ठा प्रतियोगिता के परिणाम:
(क) कहानी संग्रह-
-----------------------
प्राप्त प्रविष्टियाँ: 60 (महिला 44 , पुरुष 16)
तीन पुरस्कार प्रत्येक को 5000 :
1.*निर्मला तिवारी, जबलपुर (म.प्र.)* को उनके संग्रह- 'जो राम रचि राखा' के लिए।
2.*डाॅ. लता अग्रवाल 'तुलजा', भोपाल (म.प्र.)* को उनके संग्रह- 'हवाई चप्पल वाला हीरो' के लिए।
3.*भरत चन्द्र शर्मा, बांसवाड़ा (राज.)* को उनके संग्रह- 'चयनित कहानियाँ' के लिए।
अगले 7 संग्रह का वरीयता क्रम:
1.*कमल कपूर, फरीदाबाद (हरियाणा)* का कहानी संग्रह- 'उम्र की बिसरी गली'
2.*सुमन बाजपेयी, दिल्ली* का कहानी संग्रह- 'कैनवास के रंग'
3.*भगवती प्रसाद द्विवेदी, पटना (बिहार)* का कहानी संग्रह- 'जिसके आगे राह नहीं'
4.*नीरू मित्तल 'नीर', (हरियाणा)* का कहानी संग्रह- 'कोहरे से झाँकती धूप'
5.*विभा रानी, मुंबई* का कहानी संग्रह- 'भरतपुर लुट गयो'
6.*सुधा जुगरान, देहरादून (उत्तराखंड)* का कहानी संग्रह - 'मुक्तिबोध'
7.*इंजी. आशा शर्मा, बीकानेर (राज.)* का कहानी संग्रह- 'अगेती फसल'
(ख) लघुकथा-
------------------
*प्रथम*- (दो को संयुक्त रूप से: प्रत्येक को 2500):
*कंचन सक्सेना, जयपुर*
(वचन) एवं
*दिव्या शर्मा, देहरादून*
(सतर्कता)
*द्वितीय*- (दो को संयुक्त रूप से: प्रत्येक को 1500):
*चंद्रेश छतलानी, उदयपुर*
(फिर वही निर्णय)
एवं
*संतोष सुपेकर, उज्जैन*
(भाड़ा)
*तृतीय*- (दो को संयुक्त रूप से: प्रत्येक को ₹ 1000):
*अंजना मनोज गर्ग, कोटा*
(सृजन)
एवं
*डाॅ. इंदु गुप्ता, फरीदाबाद*
(उस बहाने से)
*श्रेष्ठ लघुकथाएँ*- (प्रत्येक को 550):
1.*डाॅ. जगदीश पंत, चकरपुर, उधमसिंहनगर*
(भूकंप)
2.*डाॅ. आशा शर्मा, जयपुर*
(दृष्टिकोण)
3.*नीलम राकेश, लखनऊ*
(डर)
4.*डाॅ. शील कौशिक, सिरसा (हरियाणा)*
(सद्गति)
5.*हरीश कुमार अमित, गुरुग्राम*
(भीड़)
6.*रश्मि स्थापक, इंदौर*
(जरूरत)
7.*सुनील गट्टाणी, बीकानेर*
(वारिस)
8.*अनिता रश्मि, राँची*
(चहचहाहट नहीं, चीख)
9.*मधु जैन, भोपाल*
(पापी पेट)
10.*पवित्रा अग्रवाल,बेंगलुरु*
(हमारे लिए कौन)
11.*मनोरमा पंत, भोपाल*
(भारत माता ग्रामवासिनी)
12.*मदन सैनी, श्री डूंगरगढ़, बीकानेर*
(न्याय)
13.*कुसुम रानी नैथानी, देहरादून*
(अपनापन)
14.*प्रतिभा शर्मा, अजमेर*
(कटी पतंग)
15.*डाॅ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया, नवी मुंबई*
(कर्तव्य)
16.*पंकज शर्मा, अंबाला शहर*
(लाभ)
17.*गोविंद शर्मा, संगरिया, हनुमानगढ़*
(दीवार में द्वार)
18.*सोनू कुमारी टेलर, जावला-गोयला, अजमेर*
(थपकी)
19.*सुनीता विश्नोलिया, जयपुर*
(पीरियड लीव)
20.*सुषमा सिन्हा, वाराणसी*
(सीख)
लघुकथा के परिणाम में 4 विद्वान निर्णायकों की भूमिका इस प्रकार रही:
*मुख्य निर्णायक:*
1.श्रीमती सुनीता मिश्रा, भोपाल
*सहायक निर्णायक:*
1.श्रीमती अनूप कटारिया, जयपुर
2.श्रीमती आशा शर्मा 'अंशु', जयपुर
3.श्री सतीश व्यास 'आस', भीलवाड़ा
(ग) कहानी-
---------------
(दो को संयुक्त रूप से: प्रत्येक को 2500)
1.*विनीता राहुरीकर, भोपाल* को उनकी कहानी- 'इत्र में भीगी हथेलियाँ' के लिए।
2.*नमिता सचान सुंदर, लखनऊ* को उनकी कहानी- 'विरासत' के लिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-03-2025)
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Sunday, 9 March 2025
कांग्रेस में दौड़ने वाले घोड़े (नेताओं ) को बारात वाले घोड़े बना रखा है। इस बयान का अर्थ राहुल गांधी ही समझा सकते हैं। राहुल जी ! बारात में घोड़े नहीं घोड़ियों का उपयोग होता है। कांग्रेस में घोड़े नहीं खच्चर बचे हैं-गौरव वल्लभ
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और मौजूदा समय में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 6 और 7 मार्च को दो दिवसीय गुजरात दौरे में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया। इन संवादों में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस में दौड़ने वाले घोड़े नेताओं की कमी नहीं है लेकिन ऐसे घोड़े नुमा नेताओं को बारात का घोड़ा बना रखा है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि गुजरात की जनता कांग्रेस से दिशा लेना चाहती है, लेकिन हमारे नेता जनता को सही दिशा दे पा रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी के नेताओं की तुलना बारात के घोड़े से क्योंकि इसके बारे में तो राहुल गांधी ही बता सकते हैं लेकिन घोड़े के बारे में जानकारी रखने वालों का कहना है कि भारत में कई नस्ल के घोड़े पये जाते हैं। सवाल यह भी है कि आखिर कांग्रेस में दौड़ने वाले घोड़ो को बारात के घोड़े में कौन इस्तेमाल कर रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो लेकिन संगठन में बड़े फैसले खुद राहुल गांधी और उनकी बहन श्रीमती प्रियंका गांधी करती है। गुजरात में कांग्रेस 30 वर्षों से सत्ता से बाहर है। इसकी जिम्मेदारी भी राहुल गांधी की है। राहुल गांधी को चाहिए कि जिन दौड़ने वाले घोड़े का इस्तेमाल बारात में हो रहा है उनका इस्तेमाल गुजरात में भाजपा से मुकाबला करने में किया जाए। राहुल गांधी यदि बारात वाले घोडो को दौड़ने वाला घोड़ा बनाएंगे तो किसी को भी ऐतराज नहीं हो सकता है। राहुल गांधी को संगठन के नेताओं के साथ-साथ स्वयं के बारे में भी स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस नस्ल के घोड़े हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी ने गत लोकसभा चुनाव में जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम रहा कि कांग्रेस के सांसदों की संख्या 50 से बढ़कर 100 हो गई।
बारात में घोड़े का नहीं घोड़ियों का उपयोग होता है:
राहुल गांधी स्वयं को सनातन धर्म से जुड़ा मानते हैं लेकिन यदि राहुल गांधी को सनातन संस्कृति की परंपराओं का ज्ञान होता तो वह बारात में घोड़े के उपयोग की बात नहीं कहते। सनातन संस्कृति में बारात निकालने की जो परंपरा है उसमें घोड़ियों का उपयोग होता है। यानी दूल्हा घोड़ी पर बैठकर दुल्हन के घर जाता है। वही एक वर्ष पहले तक कांग्रेस के प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ ने राहुल गांधी के घोड़े वाले बयान पर प्रतिक्रिया पर देते हुए कहा है कि कांग्रेस में घोड़े नहीं है। कांग्रेस में तो सिर्फ खच्चर बच्चे हैं। मालूम हो कि राहुल गांधी की कार्यशैली पर आरोप लगाकर ही गौरव वल्लभ ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।
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डोटासरा और धारीवाल को जेल भेजने के मुद्दे पर राजस्थान की भाजपा सरकार बार-बार क्यों अपमानित होती है? दम नहीं है तो चुनौती भी नहीं दी जानी चाहिए।
7 मार्च को विधानसभा में नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जब गत कांग्रेस शासन में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तो कांग्रेस विधायक और पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से आरोप लगाए जा रहे हैं। मैं 150 बार कह चुका हूं कि भ्रष्टाचार के मामले की जांच करवा कर मेरे खिलाफ कार्यवाही की जाए लेकिन भाजपा सरकार ने आज तक भी जांच के परिणाम के बारे में नहीं बताया है। मैं एक बार फिर भाजपा सरकार को चुनौती दे रहा हूं की हिम्मत हो तो मेरे खिलाफ कार्रवाई करें। यह सही है कि धारीवाल ऐसी चुनौतियां कई बार दे चुके हैं, लेकिन भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आज तक भी धारीवाल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है। धारीवाल ही नहीं कांग्रेस शासन में शिक्षा मंत्री रहे गोविंद सिंह डोटासरा भी बार-बार भाजपा सरकार को चुनौती दे रहे हैं। मौजूदा शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कई बार कहा है कि कांग्रेस के शासन में शिक्षा विभाग में जो भ्रष्टाचार हुआ उसमें डोटासरा को जेल जाना पड़ेगा, लेकिन भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग में हो रही जांच के परिणाम के बारे में आज तक नहीं बताया है। भाजपा के नेता और मंत्री कांग्रेस के विधायक शांति धारीवाल और गोविंद सिंह डोटासरा पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते हैं लेकिन इन दोनों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते। भाजपा की ओर से जब-जब आरोप लगाए जाते हैं तब तक धारीवाल और डोटासरा पूरी सरकार को चुनौती देते हैं। सवाल उठता है कि जब भाजपा के पास दम नहीं है तो फिर धारीवाल और डोटासरा को जेल भेजने की बात क्यों कहीं जाती है? मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं लेकिन भाजपा नेताओं की बयान बाजी से बार-बार अपमानित होना पड़ रहा है। डोटासरा ने तो विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी तक के लिए अमर्यादित टिप्पणी की है। लेकिन ऐसी अमर्यादित बयानों के लिए भी डोटासरा ने अभी तक भी माफी नहीं मांगी है, इससे डोटासरा की राजनीतिक योग्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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