Sunday, 16 March 2025

राजस्थान के साठ हजार पुलिस कर्मी विरोध पर उतर जाए और मुख्यमंत्री को पता भी न चले ऐसे कैसे हो सकता है? पुलिस कर्मियों द्वारा होली का पर्व न मनाना गंभीर बात है। जांच होनी चाहिए। क्या अधिकारियों की शह के बगैर कांस्टेबल ऐसा कर सकते हैं?

होली पर्व पर धुलंडी के अगले दिन राजस्थान के पुलिस महकमे में होली खेलने की परंपरा है। लेकिन इस बार 15 मार्च को प्रदेश भर के पुलिस महकमे में होली खेलने की परंपरा को नहीं निभाया गया। कांस्टेबल स्तर के साठ हजार से भी ज्यादा पुलिस कर्मियों का कहना रहा कि उनका वेतन मान पटवारी से भी कम है। विभाग में कांस्टेबल से लेकर पुलिस निरीक्षक तक की पदोन्नति भी समयबद्ध नहीं है। फलस्वरूप पात्र होने के बाद भी पुलिसकर्मियों की पदोन्नति नहीं हो पाती। वेतन विसंगतियों, पदोन्नति, मैस भत्ता बढ़ाने आदि की मांगों को लेकर ही पुलिसकर्मियों ने होली पर्व का बहिष्कार किया। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि पुलिस कर्मी होली का बहिष्कार कर रहे है। इस पर सीएम ने तत्काल ही पुलिस महानिदेशक यूआर साहू से बात की और पुलिस कर्मियों की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए। सवाल उठता है कि ऐसे कैसे हो सकता है कि प्रदेश के साठ हजार पुलिस कर्मी विरोध पर उतर जाए और मुख्यमंत्री को पता ही न चले? यह भी तब जब गृह विभाग ही मुख्यमंत्री के पास ही है। मुख्यमंत्री आमतौर पर गृह विभाग को अपने पास इसलिए रखते है ताकि प्रदेश में होने वाली घटनाओं की जानकारी तत्काल मिल जाए। सूचनाएं एकत्रित करने के लिए राजस्थान पुलिस में भ सीआईडी का बड़ा स्टाफ है। यहां भी पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी तैनात है। यदि गृह विभाग वाले मुख्यमंत्री को साठ हजार पुलिस कर्मियों के विरोध की जानकारी नहीं मिली तो यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद गंभीर बात है। मुख्यमंत्री शर्मा को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करवानी चाहिए। उन अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने इतने बड़े विरोध प्रदर्शन की जानकारी मुख्यमंत्री को समय पर नहीं दी। होली पर्व का बहिष्कार का मामला मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग होने पर भी सवाल उठता है। होली पर्व का बहिष्कार एक साथ पूरे प्रदेश में होगा, इसकी तैयारी पुलिस कर्मियों ने पहले से ही होगी। इस तैयारी के बारे में भनक नहीं लगना सरकार के सूचना तंत्र की विफलता को भी उजागर करता है। अधिकारियों की शह?: होली खेलना पुलिस अधिकारियों और कार्मिकों का मिला जुला पर्व है। पुलिस कार्मिक अपने थानों पर एकत्रित होकर पुलिस अधीक्षक, रेज आईजी आदि अधिकारियों के घरों पर या फिर पुलिस लाइन पर पहुंचते हैं। इस दिन अधिकारियों और कांस्टेबल का भेद खत्म हो जाता है। होली के इस पर्व का पुलिस महकमे में वर्ष भर इंतजार रहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस कार्मिकों ने अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शह के बगैर इतना बड़ विरोध प्रदर्शन कर दिया? 15 मार्च को कोई पुलिस कर्मी होली खेलने नहीं आएगा क्या इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को नहीं था? पुलिस में अनुशासन को जो सिस्टम है, उसमें कांस्टेबल के लिए पुलिस अधीक्षक तो भगवान के बराबर होता है। अपने थानाधिकारी के निर्देशों को न मानने की हिम्मत कांस्टेबल नहीं दिखा सकता। ऐसे सख्त अनुशासन में पुलिस कार्मिक बड़े अधिकारियों की शह के बगैर विरोध कर ही नहीं सकते थे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं लेकिन पुलिस कार्मिकों के इतने बड़े प्रदर्शन के पीछे अधिकारियों की शह रही है। S.P.MITTAL BLOGGER (16-03-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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