Saturday 2 March 2019

अभिनंदन की वापसी की जश्न में कुपवाड़ा के जवानों की शहादत को भी याद रखा जाए।

अभिनंदन की वापसी की जश्न में कुपवाड़ा के जवानों की शहादत को भी याद रखा जाए।
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1 मार्च को जब पूरा देश विंग कमांडर अभिनंदन की पाकिस्तान से सकुशल वापसी के जश्न में डूबा हुआ था तब कश्मीर के कुपवाड़ा में हमारे सुरक्षा बलों के जवान अतांकियों से मुकाबला कर रहे थे। इस मुकाबले में पांच जवान शहीद हो गई। अब हम अभिनंदन की वापसी का जश्न मना रहे हैं तब हमें कुपवाडा के जवानों की शहादत को नहीं भुलना चाहिए। जिन परिवारों के जवान शहीद हुए उन परिवारों में अब मातम का माहौल है। माना कि अभिनंदन की वापसी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। लेकिन हमारे पांच जवानों की शहादत भी मायने रखती है। जब हम एक जवान की वापसी पर जश्न मना सकते हैं तो हमें पांच जवानों की शहादत के गम में भी शामिल होना चाहिए। कश्मीर में आए दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव डलवाकर एक पायलट को पाकिस्तान के चंगुल से बाहर निकाल लिया। लेकिन उनका क्या जो आतंकियों के हाथों शहीद हो रहे हैं? सब जानते हैं कि 14 फरवरी को भी चालीस से भी ज्यादा जवान पुलवामा में शहीद हुए। अगले दिन ही एक मेजर सहित चार जवानों की बलि आतंकियों ने ले ली। कश्मीर के हालात बद से बदत्तर हो गए हैं। हालांकि सरकार ने आतंकियों पर अंकुश लगाया है और इसी के तहत 26 फरवरी को पाक के कब्जे वाले कश्मीर में सैन्य कार्यवाही भी की गई। लेकिन 26 फरवरी के बाद भी कश्मीर में आतंकी वारदातें लगातार हो रही हैं। सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए जिसमें कश्मीर को आतंक से मुक्त किया जा सके। जहां तक आतंकियों के हिमायतियों का सवाल है तो अब पूरा देश सरकार के साथ खड़ा है। ऐसे में आतंकियों के हिमायतियों की परवाह किए बिना सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए।  अभिनंदन की पाकिस्तान से वापसी का तभी मायने है जब कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोका जाए। यदि कश्मीर में एक साथ पांच पांच जवान शहीद होते रहे तो फिर एक अभिनंदन की वापसी क्या मायने रखती है? अब समय आ गया है जब सरकार को कश्मीर में बड़ी कार्यवाही करने की जरुरत है। अभिनंदन की वापसी के मौके पर केन्द्र सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो समर्थन मिला है उसका फायदा भी कश्मीर से आतंकवाद मिटाने में करना चाहिए। यह भी सरकार की बड़ी उपलब्धि है कि इस्लामिक सहयोग संगठन के सम्मेलन में भारत उपस्थित रहा। इस संगठन ने पाकिस्तान के बहिष्कार की भी परवाह नहीं की। यानि मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान के मुकाबले भारत को तरजीह दी है। 
एस.पी.मित्तल) (02-03-19)
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