आखिर दो साल में ही आईएएस अतहर आमिर और टीना डाबी का विवाह क्यों खत्म हो गया?
अपने धर्म की सीमा लांघ कर विवाह या निकाह करने वाले युवा सबक लें।
लव जिहाद पर कानून बनाने के शोर के बीच दोनों आईएएस ने लगाई है विवाह विच्छेद की अर्जी।
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राजस्थान कैडर के आईएएस अतहर आमिर और टीना डाबी ने अपने विवाह को समाप्त करने के लिए जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में संयुक्त तौर पर प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। इस समय अतहर जयपुर जिला परिषद के सीईओ और टीना डाबी जयपुर में ही वित्त विभाग के संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। दोनों ने वर्ष 2018 में विवाह किया था। सवाल उठता है कि सिर्फ दो वर्ष में ऐसा क्या हुआ कि विवाह को तोडऩा पड़ रहा है। अतहर और टीना कोई साधारण लड़के लड़की नहीं हैं। दोनो ने संघ लोक सेवा आयोग की वर्ष 2015 की परीक्षा में टॉप किया था। टीना प्रथम तथा अतहर द्वितीय स्थान पर रहे थे। 2016 बैच के आईएएस बनने के बाद दोनों ने एक साथ ट्रेनिंग ली। अलग अलग धर्म के होने के बाद भी दोनों में प्यार हो गया और दोनों ने 2018 में विवाह कर लिया। तब यह तर्क दिया गया कि प्यार कोई धर्म नहीं देखता। प्यार का कोई धर्म नहीं होता। प्रगतिशील विचार वालों ने तो इस विवाह को हिन्दू-मुस्लिम एकता से भी जोड़ दिया। विवाह के बाद जब कुछ लोगों ने टीना डाबी के इस कृत्य को उचित नहीं माना तो डाबी अपने पति परमेश्वर अतहर आमिर के बचाव में खड़ी हो गई। टीना ने कहा कि उन्होंने अतहर के साथ विवाह कर कोई गलत कृत्य नहीं किया है और जब हम एक दूसरे को पसंद करते हैं तो फिर किसी को एतराज क्यों? लेकिन अब जब इसी विवाह को तोडऩे के लिए न्यायालय में अर्जी लगाई गई है तो कहा गया कि हमारे विचार एक दूसरे से नहीं मिलते हैं। इसलिए अब पति-पत्नी के तौर पर एक साथ रहना संभव नहीं है। विवाह विच्छेद को लेकर दायर प्रार्थना पत्र से प्रतीत होता है। अपने धर्म की सीमा को लांघ कर दोनों ने जो गलती की, उसका अहमसास अब हो रहा है। असल में हिन्दू और मुस्लिम धर्म की अपनी अपनी परंपराएं और रिवाज हैं। भाई चारे के लिए हम कुछ भी कह लें, लेकिन विवाह के तौर पर संबंध निभाना बहुत मुश्किल होता है। सवाल यह नहीं है कि हिन्दू लड़की टीना ने मुस्लिम लड़के अतहर से विवाह कर लिया? सवाल यह भी है कि क्या कोई मुस्लिम लड़की किसी हिन्दू लड़के से विवाह कर जिदंगी गुजर सकती है? क्या उसके परिजन इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे? कुछ मामलों को छोड़कर अधिकांश मामलों में विवाह विच्छेद की स्थिति ही उत्पन्न होती है। प्रगतिशील विचारों वाले बुद्धिजीवी कुछ भी तर्क दें, लेकिन विवाह जैसे संस्कारको अपने ही धर्म में निभते हैं। जब दो आईएएस ऐसे संस्कारों को नहीं निभा सके, तब साधारण जोड़ों का निभना संभव नहीं है। अतहर आमिर और टीना डाबी के विवाह विच्छेद का प्रार्थना पत्र तब दायर हुआ है, जब राजस्थान सहित पूरे देश में लव जिहाद का शोर है। कहा जा रहा है कि जो युवक अपना धर्म छिपाकर विवाह करता है उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए अलग से कानून बनाया जाए। हालांकि अतहर और टीना का विवाह विच्छेद मौजूदा शोर से अलग हैं, क्योंकि टीना डाबी को अतहर के मुस्लिम होने का पता था और अतहर ने भी विवाह से पहले धर्म बदलने के लिए कोई दबाव नहीं डाला। लेकिन मात्र दो साल में ही दोनों के बीच नफरत हो गई। सोशल मीडिया के प्लेट फार्म पर दोनों ने एक दूसरे को नापसंद घोषित कर दिया। विवाह के बाद टीना से अपना नाम टीना खान रख लिया था, लेकिन अतहर को नापसंद घोषित करने के बाद टीना ने फिर से अपने नाम के साथ डाबी लिख लिया है। यानि टीना वर्ष 2015 से जहां से शुरू हुई थी। वहीं पहुंच गई है। जो लोग धर्म लांघ कर विवाह या निकाह के हिमायती है उन्हें एक बार अतहर आमिर और टीना डाबी के प्रकरण का अध्ययन कर लेना चाहिए। अतहर और टीना ने अभी उन कारणों का खुलासा नहीं किया है, जिनकी वह से विवाह खत्म करना पड़ रहा है। हो सकता है कि भविष्य में दोनों ही अपने अपने विचार सार्वजनिक करें।
(एस.पी.मित्तल) (21-11-2020)
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