Friday 27 November 2020

अर्नब गोस्वामी के बाद अदालत ने अभिनेत्री कंगना रनौत को भी राहत दी। घर में की गई तोडफ़ोड़ की कार्यवाही अवैध बताया। कांग्रेस और शरद पवार की शह पर उद्धव ठाकरे अपने विरोधियों को कुचलना बंद करें। मुख्यमंत्री पद का सुख भोग रहे हो तो आलोचना भी सहनी पड़ेगी।

27 नवम्बर को बाम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि मुम्बई महानगर पालिका ने अभिनेत्री कंगना रनौत के मुम्बई स्थित दफ्तर में जो तोडफ़ोड़ की वह पूरी तरह अवैध है। बीएमसी को अब तोडफ़ेड़ का मुआवजा देना चाहिए। कोर्ट ने उसके साथ ही बीएमसी का नोटिस भी रद्द कर दिया। अब कंगना रनौत फिर से अपना दफ्तर-घर बनाने को स्वतंत्र हैं। यह दूसरा अवसर है कि अदालत ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार को फटकार लगाई है। इससे पहले रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया। अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया। अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत दोनों ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बोलते रहे। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला हो या फिर अभिनेत्री दिशा सानियाल। अर्नब और कंगना ने सीएम ठाकरे को कटघरे में खड़ा किया। इसीसे खफा होकर महाराष्ट्र सरकार ने पहले कंगना का दफ्तर तोड़ डाला और अर्नब को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। ठाकरे ने यह दिखाने की कोशिश की कि जो उनके खिलाफ बोलेगा, उसे परिणाम भुगतने होंगे। सब जानते हैं कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के सहयोग से गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। सरकार गठन से पहले शिवसेना और उद्धव ठाकरे भी अर्नब गोस्वामी और कंगना के समर्थक थे। तब कांग्रेस और एनसीपी चाहते हुए भी अर्नब और कंगना जैसों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस और शरद पवार को कार्यवाही करने का मौका मिल गया है। अब उद्धव ठाकरे को आगे कर विरोधियों को एक एक कुचला जा रहा है। कांग्रेस और शरद पवार को तो मजा आ गया है,क्योंकि विरोधियों को कुचलने में शिवसेना ही आगे है। सारी बदनामी शिवसेना और सीएम ठाकरे की हो रही है। अब कोर्ट की फटकार भी मुख्यमंत्री को ही लग रही है। बीएमसी पर भी शिवसेना का ही कब्जा है। असल में अब शिव सेना को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। उद्धव ठाकरे भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से शिवसेना को ही सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत के प्रकरणो में अदालतों ने जो फैसले आए है उससे उद्धव ठाकरे को सबक लेना चाहिए। जब मुख्यमंत्री के पद पर रह कर सत्ता का सुख भोग रहे हैं तब आलोचना सहने की शक्ति भी होनी चाहिए। यदि आलोचना करने वालों को जेल में डालने दफ्तर तोडऩे जैसी कार्यवाही होगी तो फिर कोर्ट की फटकार भी खानी पड़ेगी। S.P.MITTAL BLOGGER (27-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

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