Wednesday 19 April 2023

काश! बाबूलाल कटारा की सरकार चलाने में भूमिका होती।रीट घोटाले के आरोपी अभी भी बचे हुए हैं, क्योंकि उन्हीं की वजह से गहलोत सरकार टिकी है।राजनीतिक दखल से दूर हो राजस्थान लोक सेवा आयोग।

सैकंड ग्रेड भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में एसओजी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार कर लिया है। आयोग के लिए इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती कि आयोग के जिस सदस्य के पास परीक्षा निष्पक्ष करवाने की जिम्मेदारी थी उसी सदस्य ने प्रश्न पत्र माफियाओं को बेच दिए। एसओजी और एसओजी के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पीठ थपथपा सकते हैं कि आयोग के सदस्य को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। सवाल उठता है कि ऐसी कार्यवाही गत वर्ष राज्य स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा रीट के पेपर आउट होने के बाद क्यों नहीं की गई। सरकार ने जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर रीट परीक्षा आयोजित करवाने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ डीपी जारोली को बर्खास्त किया,लेकिन उन्हीं जारोली को जांच में क्लीन चिट दे दी। स्वयं की पीठ थपथपाने वाले बताएं कि जांच एजेंसियों ने जारोली को क्लीन चिट क्यों दी? जबकि बर्खास्तगी के बाद जारोली ने मीडिया में बयान दिया कि रीट पेपर आउट करने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। सब जानते हैं कि एसओजी के जांच में राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े पदाधिकारियों के नाम भी सामने आए। राजस्थान में इस संस्था की कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे विश्वस्त राज्य मंत्री सुभाष गर्ग के हाथ में है। रीट परीक्षा भले ही शिक्षा बोर्ड ले रहा था, लेकिन परीक्षा पर सारा नियंत्रण सुभाष गर्ग का था। परीक्षा के अनुबंध के कार्य उन्हीं फर्मों को दिए गए जिन पर सुभाष गर्ग ने मुहर लगाई। कंप्यूटर फर्म हो या प्रिंटिंग प्रेस। इतना ही नहीं जयपुर में सरकारी ट्रेजरी में प्रश्न पत्र रखने की जगह शिक्षा संकुल के दफ्तर में रखे थे और इसी शिक्षा संकुल से रीट का प्रश्नपत्र चुराया गया। इतने सबूत होने के बाद भी एसओजी को जिन प्रभावशाली व्यक्तियों से पूछताछ की जानी थी उनसे कोई पूछताछ नहीं हुई, क्योंकि प्रभावशाली व्यक्तियों की अशोक गहलोत की सरकार को टिकाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है। अगस्त 2019 में जब सियासी संकट हुआ तब सुभाष गर्ग जैसे मंत्रियों ने सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी दुर्भाग्य है, क्योंकि उन प्रभावशाली व्यक्तियों को संरक्षण नहीं मिला जिनके दम पर सरकार चल रही है। यदि आदिवासी क्षेत्र के कटारा को भी संरक्षण मिला होता तो आज उनकी गिरफ्तारी नहीं होती। जांच एजेंसियों को भी पता है कि कटारा की गिरफ्तारी से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा गहलोत के नेतृत्व में सरकार चलती रहेगी।
 
राजनीतिक दखल हो बंद:
असल में आयोग में जबरदस्त राजनीतिक दखल है। आयोग के सदस्य की नियुक्ति राजनीतिक नजरिए से की जाती है। जब भाजपा की सरकार होती है तो भाजपा की विचारधारा वाले व्यक्तियों को ही आयोग का सदस्य बनाया जाता है। अशोक गहलोत ने तो मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीतिक विचारधारा के रिकॉर्ड तोड़ दिए। गहलोत ने कांग्रेस ही नहीं स्वयं के समर्थकों को ही नियुक्त किया। कटारा की नियुक्ति भी 15 नवंबर 2020 को गहलोत ने अपने ही नजरिए से की। कटारा के साथ ही कवि कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा और तत्कालीन मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य और एक पुस्तक के लेखक जसवंत राठी की नियुक्ति की। गहलोत ही बता सकते हैं कि नियुक्त होने वाले सदस्यों में क्या योग्यता देखी गई? इतना जरूर है कि पत्नी मंजू शर्मा की नियुक्ति के बाद अब कुमार विश्वास ने मंचों से राहुल गांधी और कांग्रेस की आलोचना नहीं करते हैं। अब तो कांग्रेस के लोग कुमार विश्वास को अपने कवि सम्मेलनों में भी बुलाते हैं। सब जानते हैं कि निरंजन आर्य ने मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए गहलोत सरकार के समर्थन में क्या-क्या किया। हाल ही में आईपीएस अधिकारी संजय श्रोत्रीय को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। श्रोत्रीय की नियुक्ति में भी गहलोत की व्यक्तिगत रूचि रही। मौजूदा सदस्यों से आयोग के कामकाज का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो आयोग आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर लेक्चरर आदि जैसे पदों पर भर्तियां करता है, उस आयोग में अशोक गहलोत ने कैसे-कैसे सदस्यों की नियुक्ति की है। यदि सदस्यों का स्तर ऐसा ही होगा तो फिर कटारा जैसे सदस्य प्रश्नों को बेचने का काम ही करेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-04-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

No comments:

Post a Comment