प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 जून तक अमेरिका में भारत का डंका बजा रहे हैं। अपने देश को मजबूत करने के लिए वो सभी वस्तुएं और तकनीक ला रहे हैं जिनकी जरूरत है। इनमें सेमीकंडक्टर से लेकर चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले हंटर ड्रोन भी शामिल हैं। अंतरिक्ष में भारत की नजर और प्रभावी हो इसके लिए अमरीका की स्पेस एजेंसी नासा से अनुबंध किया गया है। पिछले 9 वर्षों में भारत में जो विकास हुआ उसी की वजह से अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करने को लालायित हैं। कुछ कंपनियां तो चीन में अपना कारोबार समेट कर भारत में आ गए हैं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और कंपनियां के मालिक यह मानते हैं कि भारत में कारोबार करना आसान है। मोदी के नेतृत्व में भारत की जो इमेज बनी उसी का परिणाम रहा कि 22 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति के सरकारी आवास वाइट हाउस के लोन में पांच हजार भारतीय मूल के अमेरिकी एकत्रित हुए। ऐसा 2015 में तब हुआ था, जब पोप फ्रांसिस अमेरीका आए थे। यानी जो सम्मान ईसाई संप्रदाय के सबसे बड़े धर्मगुरु को मिला वही सम्मान नरेंद्र मोदी को भी मिला है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन दोनों पीएम मोदी की मेहमान नवाजी कर रहे हैं। मोदी का जिस प्रकार अमेरिका में स्वागत सत्कार हुआ उससे चीन और पाकिस्तान भी ईर्ष्या कर रहे हैं। हमारे इन दोनों दुश्मन पड़ोसी देशों का मानना है कि मोदी के कार्यकाल में भारत बहुत मजबूत हुआ है। लेकिन वहीं भारत के विपक्षी दल चाहते हैं कि 2024 में होने वाले आम चुनावों में मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया जाए। इसके लिए 23 जून को ही 15 विपक्षी दलों के नेता बिहार की राजधानी पटना में एकत्रित हुए हैं। बिहार में मौजूदा समय में जेडीयू और राजद की संयुक्त सरकार है, इसलिए विपक्षी दलों की बैठक मुख्यमंत्री नितीश कुमार के सरकारी आवास पर हुई। विपक्षी दल मोदी को हटाने का संकल्प ले, यह लोकतंत्र की खूबसूरती है, लेकिन सवाल उठता है कि विपक्षी की एकता में कांग्रेस का क्या होगा। 23 जून की बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी उपस्थित रहे। ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पंवार, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल, भगवत मान जैसे नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दिल्ली और पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को हरा कर ही सत्ता प्राप्त की है। 20 जून को ही केजरीवाल ने राजस्थान के श्रीगंगानगर में कांग्रेस को हराने की घोषणा की है। केजरीवाल ने भाजपा के साथ साथ कांग्रेस को भी भ्रष्टाचारी बताया है। अब जब मोदी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष बनाया जाएगा तो क्या ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता कांग्रेस के साथ कोई समझौता कर लेंगे? यदि कांग्रेस के साथ समझौता करते हैं तो फिर उनके दलों का क्या होगा। देश में जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल सत्ता में है, उन्होंने कांग्रेस को ही हराया है। आज 13 से भी ज्यादा राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार हैं। कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। यह सही है कि हाल ही में कर्नाटक की जीत से कांग्रेस का हौसला बुलंद है। ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ किस प्रकार का समझौता करती है। अरविंद केजरीवाल भले ही राहुल गांधी के साथ विपक्ष की बैठक में शामिल हुए हों, लेकिन केजरीवाल ने घोषणा कर दी है कि राजस्थान में सभी 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। गुजरात में भी केजरीवाल ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इससे गुजरात में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। जानकारों की मानें तो केजरीवाल ने 23 जून की बैठक में इसलिए उपस्थिति दर्ज कराई ताकि दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का साथ लिया जा सके। हालांकि दिल्ली कांग्रेस के नेता पहले ही केजरीवाल का विरोध कर चुके हैं। सवाल यह भी है यदि कांग्रेस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी तो फिर केजरीवाल विपक्ष के एजेंडे में शामिल क्यों होंगे? गुजरात में केजरीवाल को जो वोट मिले उसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद केजरीवाल भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी जैसे नेता भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। मोदी को हटाने के लिए विपक्षी दल पाकिस्तान परस्त महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के साथ बैठने को भी तैयार हैं। 23 जून को नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों की बैठक तो सफल हो गई, लेकिन आने वाले दिनों में जब परिणाम सामने आएंगे तब हकीकत पता चलेगी। इस बैठक में अखिलेश यादव, शरद पंवार, उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने भाग लिया। यूपी में कांग्रेस के वोट अखिलेश यादव ने ही हड़पे हैं। इसी प्रकार महाराष्ट्र में कांग्रेस के वोट लेकर ही शरद पंवार मजबूत स्थिति में है। ममता बनर्जी ने तो कांग्रेस से निकल कर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सफाया कर दिया। आज बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। विपक्षी एकता में कांग्रेस की भूमिका ही महत्वपूर्ण होगी। मौजूदा समय में भी लोकसभा में कांग्रेस के 49 सांसद हैं, जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु के डीएमके का नंबर है। डीएमके 24 और तीसरे नंबर पर ममता बनर्जी के 24 सांसद हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2023)
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