23 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के निकट जमवारामगढ़ में आयोजित महंगाई राहत शिविर का जायजा लिया। इसी अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से बीसलपुर बांध का पानी जयपुर के सूखे पड़े रामगढ़ बांध में लाने के लिए सर्वे करने को कहा है। यानी सरकार अब बीसलपुर बांध का पानी रामगढ़ बांध में ले जाना चाहते हैं। सीएम गहलोत की इस घोषणा पर अजमेर जिले के जनप्रतिनिधियों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। मौजूदा समय में भी बीसलपुर के पानी पर अजमेर के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए ही किया गया था। लेकिन आज बांध से प्रतिदिन जयपुर को 950 एमएलडी पानी दिया जा रहा है, जबकि अजमेर को मात्र 350 एमएलडी पानी दिया जाता है। अजमेर में तीन और चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। जबकि बीसलपुर बांध के पानी से जयपुर में रोजाना सप्लाई होती है। इतने भेदभाव के बाद भी अजमेर के जनप्रतिनिधि शांत बैठे हैं। अब जब बांध का पानी जयपुर के बांध में डालने का सर्वे हो रहा है तब अजमेर के जनप्रतिनिधियों के खून में कुछ तो गर्मी होनी चाहिए। शासन भाजपा का हो या कांग्रेस का दोनों ही शासन में अजमेर के जनप्रतिनिधि जयपुर के मुकाबले में कमजोर साबित हुए हैं। भाजपा के जनप्रतिनिधि अपनी सरकार में मुख्यमंत्री के सामने बीसलपुर के मुद्दे पर जुबान खोलने की हिम्मत नहीं रखते थे तो अब कांग्रेस के शासन में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि शांत हैं। केकड़ी के विधायक रघु शर्मा ताकतवर माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों वे अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में ही सिमट कर रह गए हैं। चूंकि रघु शर्मा को आगामी चुनाव में हार का डर सता रहा है, इसलिए इन दिनों मतदाताओं से लगातार संपर्क बना रहे है। यह बात अलग है कि जब वे चिकित्सा मंत्री थे, तब उन्होंने केकड़ी के लोगों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मसूदा के कांग्रेसी विधायक राकेश पारीक सचिन पायलट गुट में हैं, इसलिए सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। सब जानते हैं कि जयपुर का रामगढ़ बांध इसलिए सूखा है, क्योंकि बांध में पानी के आवक वाले रास्तों पर अतिक्रमण हो गए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी अतिक्रमणों को नहीं हटाया जा सका है। सीएम गहलोत चाहते हैं कि अब रामगढ़ बांध को बीसलपुर बांध के पानी से भर दिया जाए। मौजूदा समय में पाइप लाइन के जरिए बीसलपुर से जयपुर को पानी की सप्लाई होती है। यदि पाइप लाइन से ही रामगढ़ बांध को भरने का निर्णय लिया जाता है तो यह अजमेर के साथ अन्याय होगा। अच्छा हो कि अजमेर जिले के जनप्रतिनिधि इस अन्याय को रोकने के लिए आवाज बुलंद करें। यदि जनप्रतिनिधियों ने विरोध नहीं किया तो अजमेर की जनता ऐसे जनप्रतिनिधियां को काफ नहीं करेगी।
अनुभव और न समझ अधिकारी:
बहुत कम लोग जानते होंगे कि अजमेर के आना सागर से निकला पानी गुजरात के रण ऑफ कच्छ तक जाता है। गुजरात के कच्छ से आए बिपरजॉय तूफान की वजह से ही आनासागर लबालब हो गया है। आनासागर के भराव क्षेत्र में बनी कॉलोनियों के मकान डूबे पड़े हैं। लोगों को बचाने के लिए आनासागर से पानी की निकासी तेज गति से हो रही है। अजमेर में नियुक्त अनुभवहीन और न समझ अधिकारियों-इंजीनियरों ने पहले तो बिपरजॉय तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया और जब आवासीय कॉलोनियों में पानी भर कर तो आनासागर के पानी की निकासी तेज रफ्तार से की जा रही है। अभी भी आनासागर के 13 फिट के जल स्तर तक आने में एक सप्ताह का समय लग जाएगा। यानी एक सप्ताह तक पानी की निकासी होती रहेगी। पिछले पांच छह दिनों में जो निकासी हुई है, उससे आनासागर का पानी 75 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़ तक पहुंच गया है। क्षेत्र में आने वाले खान पुरा, दौराई, तबीजी, सराधना डुमाडा, भांवता, नूरियावास, बुधवाड़ा, पीसांगन आदि के क्षेत्रों में मिर्ची, भिंडी, गोभी, लौकी, ककड़ी, धनिया, आदि की फसलें नष्ट हो गई है। यही वजह है कि अजमेर में सब्जियां महंगी हो गई है। न समझ अधिकारियों और इंजीनियरों ने पहले जहां तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया वहीं अब आनासागर के पानी से होने वाले नुकसान को ध्यान में नहीं रखा। यदि अधिकारी और इंजीनियर थोड़े अक्लमंद होते तो तूफान की बरसात से पहले आनासागर को खाली कर देते। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी तो तूफान का अलर्ट जारी करने में ही रह गए। अधिकारियों की न समझी की वजह से ही हजारों गरीब किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस पानी की वजह से गांव ढाणी के बीच संपर्क भी कट गया है। जैसे जैसे आनासागर का पानी बढ़ेगा वैसे वैसे तबाही होती जाएगी। जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर रहे अनिल जैन ने कहा कि आनासागर का पानी अजमेर जिले से निकल कर नागौर, पाली जोधपुर होते हुए लूणी नदी के माध्यम से गुजरात के कच्छ तक पहुंचता है। लूणी नदी रेगिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण और लंबी नदी है।
अनुभव और न समझ अधिकारी:
बहुत कम लोग जानते होंगे कि अजमेर के आना सागर से निकला पानी गुजरात के रण ऑफ कच्छ तक जाता है। गुजरात के कच्छ से आए बिपरजॉय तूफान की वजह से ही आनासागर लबालब हो गया है। आनासागर के भराव क्षेत्र में बनी कॉलोनियों के मकान डूबे पड़े हैं। लोगों को बचाने के लिए आनासागर से पानी की निकासी तेज गति से हो रही है। अजमेर में नियुक्त अनुभवहीन और न समझ अधिकारियों-इंजीनियरों ने पहले तो बिपरजॉय तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया और जब आवासीय कॉलोनियों में पानी भर कर तो आनासागर के पानी की निकासी तेज रफ्तार से की जा रही है। अभी भी आनासागर के 13 फिट के जल स्तर तक आने में एक सप्ताह का समय लग जाएगा। यानी एक सप्ताह तक पानी की निकासी होती रहेगी। पिछले पांच छह दिनों में जो निकासी हुई है, उससे आनासागर का पानी 75 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़ तक पहुंच गया है। क्षेत्र में आने वाले खान पुरा, दौराई, तबीजी, सराधना डुमाडा, भांवता, नूरियावास, बुधवाड़ा, पीसांगन आदि के क्षेत्रों में मिर्ची, भिंडी, गोभी, लौकी, ककड़ी, धनिया, आदि की फसलें नष्ट हो गई है। यही वजह है कि अजमेर में सब्जियां महंगी हो गई है। न समझ अधिकारियों और इंजीनियरों ने पहले जहां तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया वहीं अब आनासागर के पानी से होने वाले नुकसान को ध्यान में नहीं रखा। यदि अधिकारी और इंजीनियर थोड़े अक्लमंद होते तो तूफान की बरसात से पहले आनासागर को खाली कर देते। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी तो तूफान का अलर्ट जारी करने में ही रह गए। अधिकारियों की न समझी की वजह से ही हजारों गरीब किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस पानी की वजह से गांव ढाणी के बीच संपर्क भी कट गया है। जैसे जैसे आनासागर का पानी बढ़ेगा वैसे वैसे तबाही होती जाएगी। जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर रहे अनिल जैन ने कहा कि आनासागर का पानी अजमेर जिले से निकल कर नागौर, पाली जोधपुर होते हुए लूणी नदी के माध्यम से गुजरात के कच्छ तक पहुंचता है। लूणी नदी रेगिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण और लंबी नदी है।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2023)
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