Thursday 1 June 2023

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अभी सुलह नहीं।दोनों ही नेता अपने अपने मकसद से कर रहे हैं राजनीति। सबसे बड़ा सवाल टिकट कौन बांटेगा?

29 मई को दिल्ली में जब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मीडिया के सामने दिखे तो यह कयास लगाया गया कि अब राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच सुलह हो गई है और दोनों ही नेता मिल कर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन दोनों ही नेताओं ने राजस्थान आकर जो बयानबाजी की है, उससे जाहिर है कि दोनों में सुलह नहीं हुई है। गहलोत ने पायलट की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें धैर्य रखना चाहिए, जबकि पायलट ने दो टूक शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार और युवाओं के हकों को लेकर मैंने जो मुद्दे उठाए हैं उन पर आज भी कायम हंू। गहलोत की ओर इशारा करते हुए पायलट ने कहा कि किसी को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। मालूम हो कि पायलट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने, पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देने और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रखी है। पायलट ने गहलोत सरकार को 30 मई तक का समय दिया था। 29 मई को दिल्ली में हुई बैठक के बाद पायलट ने आंदोलन की घोषणा की तो टाल दी, लेकिन अपनी मांगों पर कायम है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के 7 जून को विदेश से लौटने पर गहलोत और पायलट को फिर से दिल्ली बुलाया जाएगा। राजस्थान कांग्रेस में विवाद की स्थिति तब है, जब विधानसभा चुनाव पांच माह बाद होने वाले हैं। कांग्रेस हाईकमान के दबाव में गहलोत और पायलट एक साथ बैठ तो जाते हैं, लेकिन दोनों के मन नहीं मिलते। राजस्थान आकर दोनों नेता अपने अपने मकसद से राजनीति करने लगते हैं। अशोक गहलोत चाहते हैं कि पायलट के बगैर ही सरकार रिपीट करवाई जाए, जबकि पायलट ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं। गहलोत माने या नहीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान खासकर गांधी परिवार भी मानता है कि पायलट के सहयोग से ही सरकार रिपीट हो सकती है। 2018 में पायलट की मेहनत से ही प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत मिला था। असल में कांग्रेस में अब मुख्य मुद्दा चुनाव में टिकट बंटवारे का है। यानी टिकट अशोक गहलोत बांटेंगे या सचिन पायलट। गहलोत की प्राथमिकता उन विधायकों और नेताओं को उम्मीदवार बनाने की होगी जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, जबकि पायलट की प्राथमिकता उन विधायकों और नेताओं को उम्मीदवार बनाने की होगी, जिन्होंने मुसीबत के समय साथ निभाया। प्रतिद्वंदी भाजपा की नजर भी गहलोत और पायलट पर लगी हुई है। यदि दोनों में सुलह नहीं होती है तो प्रदेश में भाजपा की जीत आसान होगी। 


S.P.MITTAL BLOGGER (02-06-2023)
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