अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत को समर्थन देने के मुद्दे पर अजमेर में वैश्य समाज ने दो फाड़ हो गई है। काली चरण खंडेलवाल के गुट ने जहां सारस्वत को समर्थन देने की घोषणा की है, वहीं सतीश बंसल ने आरोप लगाया है कि वैश्य समाज के नाम का दुरुपयोग हो रहा है। खंडेलवाल ने बताया कि 9 नवंबर को उनके वैशाली नगर स्थित आवास पर वैश्य समाज की एक बैठक हुई थी, इस बैठक में सुभाष काबरा, उमेश गर्ग, अशोक पंसारी, रमेश तापडिय़ा आदि प्रतिनिधि उपस्थित रहे और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि उत्तर क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को समर्थन दिया जाएगा। इस निर्णय के बाद वैश्य समाज की बैठक में ज्ञान सारस्वत भी शामिल हुए और उनका माला पहनाकर स्वागत किया गया। सारस्वत ने कहा कि वैश्य समाज ने उन्हें जो समर्थन दिया है उसकी भरपाई चुनाव के बाद की जाएगी। समर्थन देने के लिए सारस्वत ने वैश्य समाज का आभार भी प्रकट किया। खंडेलवाल ने बताया कि टिकट बंटवारे से पूर्व ही वैश्य समाज ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से आग्रह किया था कि अजमेर उत्तर क्षेत्र में समाज के किसी नेता को उम्मीदवार बनाया जया। लेकिन दोनों ही दलों ने वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व नहीं दिया, इसलिए अब निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया गया है। वहीं दूसरी ओर वैश्य समाज के प्रमुख नेता सतीश बंसल ने कहा कि जिन लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी सारस्वत को समर्थन देने की का निर्णय लिया है वे संपूर्ण वैश्य समाज का प्रतिनिधि नहीं करते हैं। बसंल ने कहा कि अजमेर में वैश्य समाज की प्रमुख प्रतिनिधियों की एक बैठक 10 नवंबर को हो रही है। इस बैठक में विधानसभा चुनाव में समाज की भूमिका पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग वैश्य समाज के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार हो:
प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 नवंबर को वैश्य समाज के कुछ नेताओं की बैठक वैशाली नगर में हो रही थी, तभी अग्रवाल समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि नरेंद्र डिडवानिया पहुंच गए। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जगन्नाथ भगवान के मंदिर के पुजारी के प्रकरण में जो विवाद हुआ उसमें ब्राह्मण समाज का एक तरफा रुख सामने आया। तब मंदिर की प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वे वैश्य समाज और ब्राह्मण समाज में कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते, लेकिन पुजारी के प्रकरण में ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज यदि निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को समर्थन देता है तो फिर मंदिर प्रकरण पर भी विचार होना चाहिए।
राहुल-खडग़े के संदेश के बाद माने:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। भाटी का कहना रहा कि नाम वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आदि नेताओं के फोन आए थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के संदेश के बाद अपना नामांकन वापस लिया। भाटी ने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता खेड़ा राहुल और खडग़े का संदेश लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी के दावे को नजर अंदाज कर पार्टी ने द्रौपदी कोली को उम्मीदवार बनाया। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया गया था, लेकिन अब वे कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी को जिताने का काम करेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (10-11-2023)
ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार हो:
प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 नवंबर को वैश्य समाज के कुछ नेताओं की बैठक वैशाली नगर में हो रही थी, तभी अग्रवाल समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि नरेंद्र डिडवानिया पहुंच गए। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जगन्नाथ भगवान के मंदिर के पुजारी के प्रकरण में जो विवाद हुआ उसमें ब्राह्मण समाज का एक तरफा रुख सामने आया। तब मंदिर की प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वे वैश्य समाज और ब्राह्मण समाज में कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते, लेकिन पुजारी के प्रकरण में ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज यदि निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को समर्थन देता है तो फिर मंदिर प्रकरण पर भी विचार होना चाहिए।
राहुल-खडग़े के संदेश के बाद माने:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। भाटी का कहना रहा कि नाम वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आदि नेताओं के फोन आए थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के संदेश के बाद अपना नामांकन वापस लिया। भाटी ने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता खेड़ा राहुल और खडग़े का संदेश लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी के दावे को नजर अंदाज कर पार्टी ने द्रौपदी कोली को उम्मीदवार बनाया। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया गया था, लेकिन अब वे कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी को जिताने का काम करेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (10-11-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment