राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 नवंबर को जयपुर में अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का फोकस भाजपा द्वारा जारी आपराधिक घटनाओं की खबरों के विज्ञापन पर था। सीएम ने एक अखबार में छपे भाजपा के विज्ञापन को दिखाते हुए कहा कि यह सब षडय़ंत्र है। भाजपा ने विज्ञापन के तौर पर मेरी सरकार के खिलाफ जो खबरें प्रकाशित करवाई वे सच्चाई से परे हैं। सीएम के कथन बता रहे थे कि पिछले पांच वर्ष में घाटी आपराधिक घटनाएं मुफ्ती की योजना पर हावी हो रही है। सीएम गहलोत अब तक यह कह रहे थे कि उन्होंने जो योजनाएं लागू की है उसकी वजह से सरकार रिपीट होगी। लेकिन मतदान से दो दिन पहले सीएम गहलोत ने आपराधिक घटनाओं पर अपनी सफाई दी और बताया कि ऐसी घटनाएं देशभर में हो रही हैं। असल में कांग्रेस ने जो मुफ्त की घोषणाएं की वैसी ही भाजपा ने भी कर दी है। कांग्रेस यदि पांच सौ रुपए में सिलेंडर दे रही है तो भाजपा ने साढ़े चार सौ रुपए में देने का वादा किया है। छात्राओं को दो लाख रुपए के बॉन्ड का वादा कर भाजपा ने कांग्रेस की शिक्षा से जुड़ी योजनाओं पर बढ़त हासिल की है। कांग्रेस यदि परिसर की मुखिया के खाते में सालाना दस हजार रुपए की राशि जमा करवाएगी तो वहीं भाजपा ने भी पीएम सम्मान निधि की राशि को छह हजार से बढ़ाकर 11 हजार रुपए करने का वादा कर दिया है। यानी मुफ्त की योजनाओं में भाजपा और कांग्रेस बराबर की स्थिति में है। जो भाजपा कुछ दिनों पहले तक गहलोत की मुफ्त की योजनाओं को रेवडिय़ां बना रही थी, वही भाजपा अब चुनाव के समय कांग्रेस की तरह मुफ्त का लाभ देने का वादा कर रही है। पेट्रोल डीजल पर वेट घटाने से सीएम गहलोत ने साफ इंकार कर दिया है। गहलोत का कहना है कि कल्याणकारी योजनाओं के खर्च के लिए डीजल पेट्रोल पर वेट लगाए रखना जरूरी है। लेकिन वही भाजपा ने सरकार बनने पर राजस्थान में पेट्रोल डीजल पर से वेट घटाने का वादा किया है। लेकिन वहीं सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने के मामले में भाजपा मौन है। राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। अब जब मतदान में दो दिन शेष रह गए हैं, तब दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रचार अंतिम चरण में है। इस अंतिम चरण में दोनों ही दल शक्ति प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। भाजपा ने जिस तरह से आपराधिक घटनाओं को अखबारों के माध्यम से उजागर किया है उस से कांग्रेस को विपरीत हालातों का सामना करना पड़ रहा है। अपराध की इन घटनाओं पर कांग्रेस के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। हो सकता है कि भाजपा के ऐसे विज्ञापन 24 और 25 नवंबर को भी अखबारों में प्रकाशित हो।
विधायक बेईमान नहीं:
23 नवंबर को सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा पर सरकार गिराने वाला आरोप दोहराया। सीएम ने कहा कि राजनीतिक संकट के समय कांग्रेस निर्दलीय और छोटे दलों से जो विधायक उनके साथ थे उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। यदि ऐसे विधायक बेईमान होते तो भाजपा से 10 करोड़ रुपए की पहली किश्त लेते। तब ऐसे विधायक मेरे साथ होटलों में नहीं रहते। ऐसे विधायकों की वजह से ही मेरी सरकार को गिराने में भाजपा को सफलता नहीं मिली। मालूम हो कि इससे पहले सीएम गहलोत ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2020 में सचिन पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे, उन्होंने भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लिए हैं। हालांकि 23 नवंबर को गहलोत ने सचिन पायलट के नाम को तो उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह बात स्पष्ट रूप से कही कि सरकार गिराने के लिए भाजपा ने पहली किश्त के तौर पर दस करोड़ रुपए दिए थे।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2023)
विधायक बेईमान नहीं:
23 नवंबर को सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा पर सरकार गिराने वाला आरोप दोहराया। सीएम ने कहा कि राजनीतिक संकट के समय कांग्रेस निर्दलीय और छोटे दलों से जो विधायक उनके साथ थे उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। यदि ऐसे विधायक बेईमान होते तो भाजपा से 10 करोड़ रुपए की पहली किश्त लेते। तब ऐसे विधायक मेरे साथ होटलों में नहीं रहते। ऐसे विधायकों की वजह से ही मेरी सरकार को गिराने में भाजपा को सफलता नहीं मिली। मालूम हो कि इससे पहले सीएम गहलोत ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2020 में सचिन पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे, उन्होंने भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लिए हैं। हालांकि 23 नवंबर को गहलोत ने सचिन पायलट के नाम को तो उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह बात स्पष्ट रूप से कही कि सरकार गिराने के लिए भाजपा ने पहली किश्त के तौर पर दस करोड़ रुपए दिए थे।
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