Tuesday 7 March 2017

#2324
अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल के बंदियों की भूख हड़ताल को सरकार गंभीरता से ले। अब तक 20 बंदियों को अस्पताल में भर्ती कराया। 
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सात मार्च को भी अजमेर स्थित हाई सिक्योरिटी जेल के बंदियों की भूख हड़ताल जारी रही। बंदी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर डेढ़ माह से हड़ताल पर हैं। भूख से बीमार होने वाले कोई 20 बंदियों को अब तक जे.एल.एन.अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। अजमेर में दो तरह की जेल है। एक सेंट्रल जेल, जिसमें आम बंदियों को रखा जाता है, दूसरी हाई सिक्योरिटी जेल, जिसमें हार्डकोर कैदियों को रखा जाता है। यानि जो कैदी जेल तोड़कर भागे या फिर आदतन अपराधी हैं। स्वाभाविक है कि हाई सिक्योरिटी जेल में रह रहे बंदियों पर सेंट्रल जेल के मुकाबले अधिक पाबंदियां हंै। बंदियों का एक आरोप यह भी है कि जेल प्रशासन ने बेवजह कुछ बंदियों को सेंट्रल जेल से हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया। अब उन्हें बेवजह की कठिनाईयां झेलनी पड़ रही है। हो सकता है कि कुछ हार्डकोर बंदी जेल प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए भूख हड़ताल करवा रहे हों। लेकिन फिर भी सरकार को बंदियों की भूख हड़ताल को गंभीरता के साथ लेना चाहिए। यदि किसी द्वेषतावश किसी बंदी को सेंट्रल जेल से हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट किया गया है तो सरकार को इस मामले में भी दखल देना चाहिए। लेकिन यदि कोई हार्डकोर अपराधी दबाव बना रहा है तो सरकार को उसके विरूद्व सख्त कार्यवाही भी करनी चाहिए। पिछले डेढ़ माह से चल रही भूख हड़ताल से अभी तक जेल प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने ही निपटा है, इसलिए जेल अधीक्षक से लेकर जेल विभाग के एडीजी सुधाकर जौहरी तक एक सी भाषा बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चाहिए कि वे अपने किसी वरिष्ठ मंत्री को भेज कर निष्पक्ष जांच करवाएं और बंदियों की भूख हड़ताल को खत्म करवाए। जेल में बंद कैदियों की इतने लंबे समय तक भूख हड़ताल चलना सरकार के लिए अच्छी बात नहीं है। 
(एस.पी.मित्तल) (07-03-17)
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