Thursday 13 July 2017

#2781
क्या गैंगस्टर आनंदपाल को सरकार और राजपूत समाज दोनों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है? जनता दे जवाब-कटारिया। बाजोर ने भी जताई नाराजगी। 
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13 जुलाई को राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर की जांच राज्य सरकार सीबीआई से नहीं करवाएगी। आनंदपाल के परिजन और समर्थक चाहे तो हाईकोर्ट से आदेश ले आएं। कटारिया ने यह बात तब कही जब 12 जुलाई को राजपूत समाज की ओर से आनंदपाल के गांव सांवराद में एक बड़ी रैली की गई। समाज के प्रतिनिधियों को उम्मीद थी कि बड़ी रैली के बाद राज्य सरकार पर दबाव पड़ेगा और सीबीआई जांच का प्रस्ताव किया जा सकता है। समाज के प्रतिनिधियों ने देखा कि किस तरह से रैली में शामिल हजारों लोगों को पुलिस ने सांवराद गांव से खदेड़ दिया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने पुलिसकर्मियों का उपयोग किया गया होगा। समाज के प्रतिनिधि एक लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का दावा कर रहे हैं। लेकिन यदि 50 हजार की संख्या भी मान ली जाए तो अपने आपमें यह बड़ी बात है। यानि 12 जुलाई को सरकार और राजपूत समाज ने अपनी-अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। ऐसा प्रतीत होता है कि इन दोनों ने आनंदपाल को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। पिछले 19 दिनों से गैंगस्टर आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। अब सरकार चाहती है कि मानवाधिकार आयोग के आदेश की आड़ में आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाए। 12 जुलाई को ही आयोग के अध्यक्ष प्रकाश टांटिया ने 24 घंटे में अंतिम संस्कार करने के आदेश सरकार को दिए हैं। यानि सरकार के पास अंतिम संस्कार के लिए एक कानूनी आदेश आ गया है। जबकि आनंदपाल की माताजी श्रीमती निर्मल कंवर ने एक बार फिर सीबीआई जांच की मांग दोहराई है। अब देखना है कि सरकार आगे क्या करती है। जहां तक आम लोगों की परेशानी का सवाल हैं तो उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। चुरू, नागौर, बीकानेर, सीकर आदि जिलो में दहशत का माहौल है। इंटरनेट सेवाएं बंद पड़ी हैं तो रेल और सड़क यातायात बाधित हो रहा है। सरकार ने लोहे को लोहे से काटने की नीति अपनाते हुए आंदोलन से निपटने की जिम्मेदारी राजपूत समाज के डीजी (जेल) अजीत सिंह को दे दी है। सिंह ने ही 12 जुलाई को राजस्थान भर के राजपूत पुलिस अधिकारियों को सांवराद गांव बुलाकर हजारों राजपूतों को खदेड़ दिया। इसे अजीत सिंह की सफलता ही माना जाएगा कि 12 जुलाई को सांवराद में कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई। राजपूत समाज ने भी इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर सरकार को चेतावनी दे दी है। यह माना कि आनंदपाल एक कुख्यात गैंगस्टर था। लेकिन जब किसी समाज का इतना बड़ा वर्ग आंदोलन कर रहा हो तो सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। अच्छा हो कि सीबीआई से जांच के मामले में राजपूत समाज भी हाईकोर्ट में याचिका दायर करें। जहां तक शव के अंतिम संस्कार का सवाल है तो दोनों ही पक्षों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। 
जनता दें जवाब-कटारिया : 
सांवराद में हुई हिंसक वारदातों के सम्बन्ध में गृहमंत्री कटारिया ने कहा कि अब जनता को ही जवाब देना चाहिए। पुलिस ने एनकाउंटर में किसी निर्दोंष व्यक्ति को नहीं मारा। यदि कुख्यात अपराधी के एनकाउंटर के बाद भी पुलिस को कटघरे में खड़ा किया जाएगा तो भविष्य में कोई भी पुलिसकर्मी अपराधियों को मुकाबला नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे आंदोलन से पुलिस का मनोबल गिरता है। आम लोगों को चाहिए कि पुलिस का मनोबल बनाए रखने के लिए असामाजिक तत्वों के खिलाफ आवाज उठाएं। 12 जुलाई को सांवराद में नागौर के एसपी को वाहन से नीचे उतारकर मारपीट की और वाहन में आग लगा दी। इतना ही नहीं महिला आईपीएस मोनिका सेन के साथ भी दुव्र्यवहार किया। एक और सरकार से वार्ता का प्रस्ताव किया जा रहा था तो दूसरी ओर समाज के नेता भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। वहीं डीजी अजीत सिंह ने कहा है कि 12 जुलाई को सांवराद में जिन लोगों ने हिंसा की, उन सबके खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। किसी भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा। अब तक राजपूत समाज के बड़े नेताओं के साथ दो सौ से भी ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन पर पुलिस के हथियार लूटने के आरोप भी हैं। 
बाजोर ने जताई नाराजगी :
राजपूत समाज के प्रमुख नेता प्रेम सिंह बाजोर ने भी अब राजपूत समाज के कुछ लोगों के गैर जिम्मेदाराना रवैए पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जो लोग आनंदपाल के समर्थन में हिंसा कर रहे हैं, वे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (13-07-17)
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