Saturday 19 August 2017

#2922
उदयपुर के गीताजंलि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के नाम पर लूटने का मामला कोर्ट में पहुंचा। राजस्थान पत्रिका और एडवोकेट अजय जैन का आधार।
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राजस्थान ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के प्रमुख उदयपुर स्थित गीतांजलि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रवेश के नाम पर करोड़ों रुपए लूटने का मामला अब कोर्ट मे पहुंच गया है। जयपुर स्थित एसीबी कोर्ट संख्या एक ने 18 अगस्त को एक आदेश दिया है, जिसमें एसीबी से इस मामले में 22 सितम्बर तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इस गंभीर मामले में तत्कालीन विशिष्ट सचिव (चिकित्सा) श्रीमती रोली सिंह और चिकित्सा विभाग के ही अतिरिक्त निदेशक के साथ-साथ गीतांजलि एजुकेशन सोसायटी के जे.पी.अग्रवाल को भी आरोपी बनाया गया है। असल में हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील अजय कुमार जैन ने एसीबी में एक शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि उदयपुर में 10 एकड़ जमीन सरकार से रियायती दर पर लेने के बाद भी सरकार के नियमों के तहत कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। कायदे से गीतांजलि को दी गई भूमि का आवंटन स्वत: ही निरस्त हो जाना चाहिए। लेकिन रोली सिंह जैसे अधिकारियों ने अपने दायित्व का निर्वाहन नहीं किया। जबकि इस कॉलेज ने करोड़ों रुपए लेकर प्रवेश दिए। प्रवेश परीक्षा लिए बिना ही 51 विद्यार्थियों को प्रवेश दे दिया गया। एडवोकेट जैन के प्रार्थना पत्र पर ही अब कोर्ट ने एसीबी से जांच रिपोर्ट तलब की है। सब जानते हैं कि गीतांजलि कॉलेज के मालिक बेहद प्रभावशाली हैं। इसीलिए मजबूर अभिभावक चुपचाप करोड़ों रुपए दे देते हैं। मशहूर डॉक्टरों को अपने बेटो ंको भी डॉक्टर बनवाना होता है। इसलिए वे गीतांजलि जैसे कॉलेजों का ही इस्तेमाल करते हैं। चूंकि सरकार में बैठे अधिकारी और मंत्री भी उपकृत होते हैं। इसलिए शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती। लेकिन एडवोकेट जैन ने हिम्मत दिखाई और सबूत एकत्रित कर गीतांजलि को कोर्ट तक ले गए। इसके लिए एडवोकेट जैन का आभार तो होना ही चाहिए। साथ ही राजस्थान पत्रिका का भी आभार व्यक्त किया जाना चाहिए कि उसने गीतांजलि कॉलेज के खिलाफ खबर प्रकाशित की है। गीतांजलि की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए जाते हैं। लेकिन पत्रिका ने विज्ञापन के दबाव को हटाते हुए गीतांजलि के खिलाफ खबर लगाई है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में गीतांजलि अस्पताल के विज्ञापन पत्रिका में प्रकाशित न हो। पत्रिका ने इस सच्चाई को जानते हुए भी पाठकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है। 
एस.पी.मित्तल) (19-08-17)
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