दावा तो यही किया जाता है कि श्राइन बोर्ड की ओर से वैष्णो देवी के दरबार में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इन दावों की पोल 2022 के पहले दिन ही खुल गई। माता के दरबार में इतनी भीड़ थी कि 13 श्रद्धालु कुचलने और दम घुटने से मर गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए थे जिसकी वजह से श्रद्धालु अपने स्तर पर ही इधर उधर भगदड़ कर रहे थे। 31 दिसंबर की रात से ही वैष्णो देवी के दरबार में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ थी। एक जनवरी को तड़के तीन बजे जो भगदड़ हुई इसमें 13 श्रद्धालु की मौत हो गई और 20 घायल हो गए। सब जानते हैं कि वैष्णो देवी के मंदिर परिसर में जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों की भी तैनाती होती है। सीआरपीएफ की एक चौकी तो दरबार के मुख्य परिसर में ही स्थित है। लेकिन नव वर्ष के मौके पर भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए। श्राइन बोर्ड के पास पहले से ही सूचना थी कि नव वर्ष के मौके पर बड़ी संख्या में युवा श्रद्धालु आएंगे। लेकिन कटरा से लेकर मुख्य दरबार तक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। हालांकि अब जांच कमेटी बैठा दी गई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए संपूर्ण हादसे पर दुख जताया है। सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा समय में उप राज्यपाल का शासन है। ऐसे में हादसे की जिम्मेदारी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की है। सरकार ने जो अधिकारी लगा रखे हैं उनकी भी यह जिम्मेदारी थी कि पहले से ही भीड़ का अध्ययन करते। भीड़ को देखते हुए प्रतीत होता है कि किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने अपनी ड्यूटी का निर्वहन नहीं किया। हादसे के बाद मंदिर के द्वार बंद कर दिए गए इससे भी लाखों श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। भविष्य में ऐसे हादसे न हो इसके लिए सरकार को पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-01-2022)
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