Sunday 9 January 2022

आखिर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने न्यूज चैनल वालों को चलती कार में इंटरव्यू क्यों दिए?चन्नी का भाजपाई विरोध फर्जी?क्या चन्नी की तरह 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कार से उतर कर प्रदर्शनकारियों से संवाद करना चाहिए था?आखिर सीएम ने प्रियंका गांधी को जानकारी क्यों दी?

पंजाब में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का तर्क है कि 5 जनवरी को जब फिरोजपुर के फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोका गया, तब मोदी को कार से उतर कर प्रदर्शनकारियों से संवाद करना चाहिए था। अपने इस तर्क को सही साबित करने के लिए चन्नी ने न्यूज चैनल वालों को कार में ही इंटरव्यू दिए।  चन्नी ने चैनल वालों को बताया कि मेरा भी विरोध होता है, लेकिन में प्रदर्शनकारियों से बच कर वापस नहीं लौटता हंू। मैं तो प्रदर्शनकारियों के बीच जाकर उनसे संवाद करता हंू। जागरूक पाठकों ने देखा हो कि चलती कार में इंटरव्यू के दौरान ही मुख्यमंत्री चन्नी कार से उतरते हैं और प्रदर्शनकारियों से मिलते हैं। इंटरव्यू ले रहे पत्रकार और कैमरामैन को इस बात के लिए बाध्य किया जाता है कि वे चन्नी को प्रदर्शनकारियों से मिलते हुए दिखाएं। यदि कोई पत्रकार इंकार करता है तो उस पर सच्चाई नहीं दिखाने का आरोप खुद चन्नी ही लगा देते हैं। इंटरव्यू के दौरान चन्नी को पत्रकारों से उलझते हुए भी देखा गया है। जब चन्नी प्रदर्शनकारियों से मुलाकात के बाद वापस कार में बैठते हैं तो इंटरव्यू को जारी रखते हुए कहते हैं कि मुझे तो कोई नहीं खतरा नजर नहीं आया जिस तरह में प्रदर्शनकारियों से मिला, वैसे ही 5 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी भी मिल सकते थे। सीएम चन्नी की यह नाटक बाजी कितनी टिकेगी, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन सवाल उठता है कि जिस तरह चन्नी का विरोध प्रदर्शन था, क्या वैसा ही प्रधानमंत्री वाला भी था? सबने देखा कि 5 जनवरी को प्रदर्शनकारी बीच सड़क पर थे, ताकि प्रधानमंत्री काफिला गुजर नहीं सके। जबकि चन्नी के प्रदर्शनकारी सड़क के किनारे बेरीकेड के पीछे खड़े थे। न्यूज चैनलों पर देखे गए दृश्यों से साफ जाहिर था कि चन्नी का विरोध प्रायोजित था। इस नाटक पर कोई शक नहीं करे, इसलिए भीड़ के पीछे भाजपा के झंडे भी दिखाए गए। किसी भी स्थान पर पंजाब के प्रमुख विपक्षी दल आम आदमी पार्टी, अकाली दल, बसपा आदि के झंडे नहीं दिखाई दिए। क्योंकि अकाली दल और आप के झंडे दिखाए जाते तो चन्नी की नौटंकी उजागर हो सकती थी। सब जानते हैं कि पंजाब में भाजपा की स्थिति कमजोर है। मौजूदा समय में भी 117 में भाजपा के मात्र दो विधायक हैं। पिछला चुनाव भाजपा ने अकाली दल के साथ लड़ा तो इस बार पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कंधे पर सवार होकर भाजपा चुनाव लड़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि चन्नी का विरोध करने के लिए भाजपाई कहां से आ गए? यदि भाजपा चन्नी का विरोध करने की स्थिति में होती तो 5 जनवरी को फिरोजपुर में प्रधानमंत्री का काफिला भी नहीं रुकता। सब जानते हैं कि किसान आंदोलन के दौरान कांग्रेस की क्या भूमिका रही थी। 5 जनवरी को प्रधानमंत्री के काफिले को जिस प्रकार फिरोजपुर फ्लाईओवर से वापस लौटना पड़ा वह बेहद गंभीर मामला है और चलती कार में इंटरव्यू देकर सीएम चन्नी मामले की गंभीरता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। चन्नी को यह समझना चाहिए कि पंजाब  सीमावर्ती राज्य है और मौजूदा समय में खालिस्तान समर्थक सक्रिय है। खालिस्तान समर्थक मौजूदा कांग्रेस सरकार को अपना मददगार समझते हैं, इसलिए चन्नी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार से उतर का प्रदर्शनकारियों से संवाद करें, इतना जोखिम सुरक्षा एजेंसियां नहीं ले सकती हैं।
प्रियंका को जानकारी:
पंजाब के सीएम चन्नी ने कहा है कि 5 जनवरी की घटना के संबंध में उन्होंने राज्य सरकार से जुड़ी जानकारी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को दी है। यह जानकारी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के फोन के बाद दी गई। उल्लेखनीय है कि सोनिया गांधी ने 5 जनवरी को प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी घटना की जांच कराने के निर्देश चन्नी को दिए थे। सवाल उठता है कि जो घटना देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी हुई है,उसकी जानकारी प्रियंका गांधी को क्यों दी गई? संविधान के जानकारों का कहना है कि प्रियंका गांधी किसी संवैधानिक पद पर नहीं है, लेकिन फिर भी सीएम चन्नी ने देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां प्रियंका गांधी को दी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (09-01-2022)
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