Thursday 27 January 2022

परीक्षा से पहले रीट का पेपर बिकने के प्रकरण में अब तक एक करोड़ 22 लाख रुपए की वसूली सामने आई।एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने पेपर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया।क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रीट परीक्षा करवाने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को बचाते रहेंगे?बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने ही रिटायर लेक्चरर प्रदीप पाराशर और गिरफ्तार रामकृपाल मीणा को जयपुर को-ऑर्डिनेटर बनाया था।एसओजी की अजमेर के रीट कार्यालय में दस्तक।

राजस्थान एसओजी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अशोक राठौड़ ने साफ कर दिया है कि प्रदेश भर में गत 26 सितंबर को हुई राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) का प्रश्न पत्र परीक्षा से एक दिन पहले ही आउट हो गया। गिरोह के सदस्यों ने पेपर को जमकर बेचा। अब तक एक करोड़ 22 लाख रुपए की वसूली का पता चल चुका है। पेपर बेचने और खरीदने वाले 32 व्यक्ति एसओजी की गिरफ्त में है। जांच अभी जारी है। जिन परीक्षार्थियों ने प्रश्न पत्र खरीदा उनकी सूची रीट परीक्षा लेने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भेजी जा रही है, ताकि ऐसे परीक्षार्थियों को डिबार किया जा सके। राठौड़ ने बताया कि अब यह साफ हो गया है कि रीट का पेपर परीक्षा से पहले ही आउट हो गया। एसओजी ने गत दिनों गिरोह के प्रमुख सदस्य भजनलाल विश्नोई को गिरफ्तार किया। भजनलाल ने बताया कि प्रश्न पत्र उसे उदाराम बिश्नोई ने दिया। जालौर निवासी उदाराम विश्नोई ने बताया कि एक प्रश्न पत्र से उसे 25 सितंबर की रात को रीट परीक्षा के जयपुर स्थित को ऑर्डिनेटर रामकृपाल मीणा ने दिया था। मीणा जयुपर में ही गोपालपुरा त्रिवेणी नगर में संचालित एसएम कॉलेज का मालिक है। इस प्राइवेट शिक्षण संस्था में भी रीट का परीक्षा केंद्र बनाया गया। मीणा की पत्नी ने भी रीट की परीक्षा दी। रामकृपाल मीणा के पास ही जयपुर जिले के परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र भिजवाने की जिम्मेदारी दी। प्रश्न पत्रों के बंडल परीक्षा केंद्रों पर भिजवाने के समय ही मीणा ने एक बंडल से एक पेपर निकाल लिया और उसे ही रात भर में उन लोगों को भेजा, जिनसे राशि ली गई थी।
 
जारौली भी जांच के दायरे में :

एडीजी राठौड़ के खुलासे के बाद रीट परीक्षा करवाने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली भी जांच के दायरे में आ गए हैं, क्योंकि प्रदीप पाराशर और रामकृपाल मीणा को जयपुर जिले की जिम्मेदारी जारौली ने ही दी। सवाल उठता है कि जब प्रदेश के अन्य जिलों में सरकारी अधिकारियों को परीक्षा का को-ऑर्डिनेटर बनाया गया, तब अकेले जयपुर में गैर सरकारी व्यक्तियों को परीक्षा की जिम्मेदारी क्यों दी गई? जबकि जयपुर में सबसे अधिक परीक्षा केंद्र थे। अन्य जिलों में प्रश्न पत्र सरकारी ट्रेजरी या पुलिस स्टेशनों पर रखवाए गए, जबकि जयपुर में जारौली के निर्देश पर शिक्षा संकुल स्थित शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में रखवाए गए। इतना ही नहीं 24 सितंबर की रात को खुद जारौली ने जयपुर में शिक्षा संकुल के उस स्थान का जायजा लिया, जहां प्रश्न पत्रों के बंडल रखे हुए थे। एसओजी की अब तक की जांच से पता चलता है कि शिक्षा बोर्ड रीट परीक्षा को लेकर बेहद लापरवाही बरती। लापरवाही बरतने में बोर्ड के पदाधिकारियों के स्वार्थ की जांच भी होनी जरूरी है। हो सकता है कि राजनीतिक कारणों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एसओजी की जांच का मुंह शिक्षा बोर्ड की ओर नहीं करवाएं, क्योंकि यदि एसओजी शिक्षा बोर्ड की जांच करती है तो फिर मामला राज्य सरकार तक पहुंच सकता है। रीट की परीक्षा के समय प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा थे। डोटासरा मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। एसओजी के खुलासे के बाद अब विपक्ष भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमलावर हो गया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, पूर्व मंत्री मदन दिलावर आदि ने रीट परीक्षा प्रश्न पत्र आउट होने की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। गहलोत पर अब डीपी जारोली को अध्यक्ष पद से हटाने का दबाव भी बढ़ गया है। देखना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जारोली को कब तक बचाते हैं।

जल्दबाजी में परिणाम:

इसे शिक्षा बोर्ड का डर ही कहा जाएगा कि परीक्षा के मात्र 35 दिनों बाद ही रीट का परिणाम घोषित कर दिया गया। जबकि प्रदेश के 16 लाख युवाओं ने रीट की परीक्षा दी थी। जल्दबाजी की वजह से परिणाम में अनेक गड़बड़ी से भी हुई। जोधपुर और जयपुर हाईकोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं लंबित पड़ी है। शिकायतें मिलने के बाद बोर्ड ने अब तक 31 हजार अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया है। एसओजी के खुलासे के बाद ही संपूर्ण रीट परीक्षा पर सवालिया निशान लग गया है। जो अभ्यर्थियों पात्र घोषित नहीं हुए हैं, वे स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन अभ्यर्थियों ने प्रश्न पत्र खरीद लिया, सिर्फ वे ही परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। उल्लेखनीय है कि रीट परीक्षा परिणाम की मेरिट के अनुसार युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिलेगी। बोर्ड ने इससे पहले भी कई बार रीट की परीक्षा का आयोजन किया, लेकिन बोर्ड की ऐसी दुर्गति कभी नहीं हुई। वरिष्ठ आरएएस श्रीमती मेघना चौधरी जब बोर्ड की सचिव रहीं तब भी दो बार रीट की परीक्षा हुई, लेकिन तब पेपर आउट होने की एक भी शिकायत नहीं आई। परीक्षार्थियों ने जो आपत्तियां दर्ज करवाई तब उनका समाधान भी संतोषजनक तरीके से किया गया।
 
एसओजी रीट कार्यालय में:

पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार आरोपियों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुरूप ही 27 जनवरी को एसओजी की टीम रीट के अजमेर स्थित कार्यालय में पहुंच गई है। रीट का कार्यालय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिसर में ही है। एसओजी की टीम के रीट दफ्तर में पहुंचने के साथ ही शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने मीडिया से दूरी बना ली है। जानकार सूत्रों के अनुसार एसओजी के अधिकारी बोर्ड अध्यक्ष जारोली और सचिव अरविंद कुमार सेंगवा से भी पूछताछ कर सकते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-01-2022)
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