Sunday 30 January 2022

रीट परीक्षा घोटाला: राजस्थान में कांग्रेस सरकार चलाने की मजबूरी है। बर्खास्त अध्यक्ष जारोली का बयान सरकार की यह मजबूरी जाहिर करता है।राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े पदाधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।सीबीआई जांच कराने के लिए राष्ट्रीय रोजगार संघ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगा।रीट परीक्षा को रद्द करना आसान काम नहीं है-अशोक गहलोत व गोविंद सिंह डोटासरा।

सब जानते हैं कि राजस्थान में राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) 2021 प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के कितनी महत्वपूर्ण थी। दो लेवल की परीक्षा के लिए प्रदेश में करीब 16 लाख डिग्री धारकों ने परीक्षा दी। अब यह साफ हो गया है कि परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र आउट हो गया। राज्य सरकार ने परीक्षा करवाने वाली एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त कर कर तीन अधिकारियों को निलंबित भी किया है। बर्खास्तगी के बाद जारोली ने चौंकाने वाला बयान दिया है। जारोली का कहना है कि प्रश्न पत्र उन लोगों ने आउट किया, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ था। उन्हें भी राजनीतिक षडय़ंत्र का शिकार बनाया गया है। जारोली के इस बयान से जाहिर है कि परीक्षा के इंतजामों की ऐसी लोगों को जिम्मेदारी दी गई, जिन्हें सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रभावशाली नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। सब जानते हैं कि रीट परीक्षा की व्यवस्था में राज्य मंत्री सुभाष गर्ग का जबर्दस्त दखल रहा। परीक्षा के समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पास स्कूली शिक्षा का मंत्री पद का प्रभार भी था। जारोली के बयान का अर्थ निकाला जाए तो रीट परीक्षा के लिए रिटायर्ड लेक्चरर प्रदीप पाराशर को जयपुर जिले का समन्वयक राजनीतिक दबाव से ही बनाया गया और प्रश्न पत्र भी जयपुर के शिक्षा संकुल से ही आउट हुआ। इसी प्रकार सरकार ने कॉलेज शिक्षा के जिन दो अधिकारी डॉ. सुभाष यादव और डॉ. बीएस बैरवा को निलंबित किया गया है, वे राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े हुए हैं और राजस्थ्ज्ञान में इस संस्थान की कमान राज्यमंत्री सुभाष गर्ग के पास है। इस संस्था में सभी पदाधिकारी कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हैं। राजस्थान की राजनीति में रुचि रखने वालों को पता है कि जुलाई 2020 में जब कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक संकट आया था, तब डोटासरा और सुभाष गर्ग ने भी सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि जो मंत्री-विधायक मेरे साथ है, उन्हें मैं ब्याज सहित भुगतान करुंगा। तब मुख्यमंत्री का यह आशय नहीं था कि रीट परीक्षा का प्रश्न पत्र बेचकर करोड़ों रुपए की वसूली कर ली जाए। लेकिन जारोली के बयान से लगता है कि कुछ लोग रीट परीक्षा का प्रश्न पत्र बेचकर करोड़ों रुपया कमाने में लग गए। राज्य सरकार की जांच एजेंसी एसओजी ने रीट परीक्षा का घोटाला उजागर कर दिया है, लेकिन सवाल उठता है कि जिन लोगों ने संकट के समय सरकार को बचाया, क्या उन पर कोई कार्यवाही होगी? कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि रीट परीक्षा घोटाले के उजागर होने के साथ सीएम गहलोत असमंजस की स्थिति में है। बोर्ड अध्यक्ष की बर्खास्तगी और अधिकारियों के निलंबन से सरकार कोई खतरा नहीं है, लेकिन यदि और आगे कार्यवाही की गई तो सरकार के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। अब जब विधानसभा चुनाव में डेढ़ वर्ष रह गया है, तब गहलोत ऐसी कोई कार्यवाही नहीं करेंगे, जिससे सरकार कमजोर होती हो। गहलोत ने ब्याज का भुगतान खुद करने की बात की थी, लेकिन कुछ लोग स्वयं ही वसूली में लग गए। सीएम गहलोत यदि शिक्षा विभाग में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के पदाधिकारियों की भूमिका की जांच करवाएं तो वसूली को देखकर उनकी आंखें चकरा जाएंगी।
 
परीक्षा रद्द करना आसान नहीं:
30 जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि रीट की परीक्षा को रद्द करना आसान नहीं है। रीट परीक्षा के परिणाम से ही 30 हजार से भी ज्यादा युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिलती है। परीक्षा के महत्व को देखते हुए ही मई में रीट की परीक्षा को लेने की घोषणा की गई है। मई की परीक्षा के बाद 30 हजार युवाओं को और नौकरी मिलेगी। दोनों ने कहा कि रीट परीक्षा में जो गड़बड़ी हुई है, उसकी जांच एसओजी पूरी निष्पक्षता के साथ कर रही है। एसओजी की जांच के आधार पर ही शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष को बर्खास्त और कई अधिकारियों को निलंबित किया गया है। सरकार पूरी तरह गंभीर है,इस मामले में किसी भी दोषी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। सीएम गहलोत ने कहा कि परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय लेना तो एक मिनट का काम है, लेकिन सरकार को निर्णय के परिणामों को भी देखना पड़ता है। वहीं डोटासरा ने कहा कि रीट परीक्षा को लेकर यदि सरकार को निर्देश देने की जरुरत ही पड़ी तो कांग्रेस संगठन ऐसे निर्देश देगा। डोटासरा ने कहा कि सरकार पूरी ईमानदारी के साथ रीट परीक्षा में हुई गड़बडिय़ों की जांच करवा रही है। गहलोत और डोटासरा ने कहा कि रीट को लेकर भाजपा में एक राय नहीं है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया जांच को लेकर एसओजी की प्रशंसा कर रहे हैं, तो वहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया अलग ही राग अलाप रहे हैं। डोटासरा ने कहा कि जब सरकार इतनी गंभीर है तो फिर विपक्ष को भी एक राय का होना चाहिए।
 
सीबीआई जांच के लिए याचिका:
राष्ट्रीय बेरोजगार संघ के संरक्षक भरत बेनीवाल ने बताया कि रीट परीक्षा की गड़बडिय़ों की जांच सीबीआई से कराने के लिए अगले एक दो दिन में हाईकोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की जाएगी। बेनीवाल ने कहा कि पूर्व में जो याचिकाएं प्रस्तुत की गई है, उनमें सबूतों का अभाव है। अब चूंकि एसओजी ने नए सबूत जुटा लिए हैं, इसलिए नए सबूतों के आधार पर नए सिरे से याचिका प्रस्तुत की जाएगी। बेनीवाल ने कहा कि रीट परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट करने में सरकार के बड़े लोगों की भी भूमिका है, इसलिए जांच सीबीआई से ही होनी चाहिए। बेनीवाल ने कहा कि परीक्षा की गड़बडिय़ों को लेकर यदि कोई तथ्य किसी के पास हों तो वे मोबाइल नंबर 8058216422 पर संपर्क कर सकते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-01-2022)
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